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दलितों-मुसलमानों को योगी सरकार मानती हैं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
शिव कुमार मिश्र
27 May 2018 4:23 PM IST
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लखनऊ/बाराबंकी । रिहाई मंच के प्रतिनिधि मंडल ने बाराबंकी के महादेवा में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत निरुद्ध किए गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा के जुलूस के दौरान गुलाल फेंकने की घटना के बाद पैदा हुए तनाव के बाद हुई मारपीट के बाद यह सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ था। जिसमें 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी जिसमें से चार को बाद में रासुका के तहत निरुद्ध कर दिया गया था। प्रतिनिधि मंडल में सृजनयोगी आदियोग, लक्ष्मण प्रसाद, वीरेन्द्र गुप्ता, नागेन्द्र यादव, राजीव यादव शामिल थे।
प्रतिनिधि मंडल ने रासुका के तहत निरुद्ध किए गए रिजवान उर्फ चुप्पी, जुबैर, अतीक, मुमताज के परिजनों व ग्राम वासियों से मुलाकात की। इसी कड़ी में 55 वर्षीय लकवाग्रस्त जान मोहम्मद और शाहफहद, जिसकी बहन पर गुलाम फेकने के बाद तनाव पैदा हुआ, से भी मुलाकात की गई। 14 मार्च 2018 को शाहफहद बाइक से बहन को लेकर जा रहा था। उसी वक्त मूर्ती प्राण प्रतिष्ठा के लिए जा रहे जुलूस के लोगों द्वारा लड़की पर गुलाल फेकने से कहा सुनी हो गई। जिसके बाद महादेवा कस्बे में दो समुदायों में मारपीट हुई। जिसके बाद 12 लोग गिरफ्तार हुए। जमानत के बाद जब वे जेल से निकल रहे थे तो ठीक उसी वक्त रासुका का आर्डर आने के बाद 4 को फिर से जेल भेज दिया गया।
रिजवान उर्फ चुप्पी के पिता पचपन वर्षीय जान मोहम्मद जो इस मामले में खुद भी नामजद अभियुक्त हैं दीवार पर टंगे अस्पताल के अल्ट्रासाउंड के थैले को दिखाते हुए कहते हैं कि मेरी दिमाग की नसे दब गई हैं। पूरे दाहिने हिस्से में फालिज मार दिया है जिसके चलते न हाथ चलता है न पैर। पुलिस मुझे दंगाई बता रही है। उनकी पत्नी सकीला कहती है कि हमारे साथ बहुत अन्याय हो रहा है। अपने पति जान मोहम्मद की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं कि आप ही बताएं कि क्या यह मार-पीट कर सकते हैं। जान मोहम्मद की एक गुमटी में साइकिल पंचर की दुकान है। पिछले एक साल से जब से वे अस्वस्थ हैं तब से उनके बेटे ताज मोहम्मद जो पोलियो से ग्रस्त हैं उस पर बैठते हैं।
रिजवान की पत्नी रुबी बताती हैं कि वो अपने ननिहाल में चक गांव में मिट्टी में गए थे और देर शाम आए। सुबह दस के करीब पुलिस आई और पकड़ कर लेकर चली गई और आज तक वो जेल में बंद हैं। रिजवान बिसाती का काम करते थे। उनके एक तीन साल और एक चार महीने का लड़का है। उनकी पत्नी बताती हैं कि किसी तरह रोज की मेहनत पर जो मिलता था उसी से घर चलता था। उनके जाने के बाद बहुत दिक्कत हो गई है। बच्चे भी छोटे-छोटे हैं और वे जेल में हैं, इनका क्या होगा।
मुमताज की मांग कौशर जहां उस दिन को याद करते हुए कहती हैं कि वो उस दिन छप्पर छा रहा था अभी छा भी नहीं पाया था कि पुलिस आई और लेकर चली गई तब से आज तक नहीं आया। रासुका के बारे में पूछने पर कहती हैं कि इसके बारे में उन्हें नहीं मालूम है। पिता कमरुद्दीन कहते हैं कि मुमताज मेहनत मजदूरी करके गुजर-बसर करता था। उस दिन बहू और उसमें घर का छप्पर जो टूट गया था को लेकर झगड़ा भी हुआ और वो उसके बाद अपने घर का छप्पर छाने लगा। आप ही बताएं कि अगर वो दंगाई रहता तो भाग जाता कि घर का छप्पर छाता। घर का हाल देखिए किसी तरह मजदूरी करके वो अपने बच्चों को पालता था।
अतीक के पिता कहते हैं कि उस दिन हम इंदिरा नगर में डा0 रेहान राषिद के यहां दिखाने के लिए गए थे। वे बताते हैं कि उन्हें न्यूरो प्राबलम है जब उनको मालूम चला कि तनाव हो गया है तो वे लखनऊ में ही रुक गए। शाहफहद जो अतीक का भाई है वो बताता है कि उस दिन बहन को लेकर वह आ रहा था इसी दौरान कई ट्रालियों से लोग आ रहे थे। जिनमें से कुछ लड़को ने बहन के ऊपर गुलाल फेंक दिया जिसका मैंने विरोध किया तो वे मारने-पीटने लगे। उसमें से कुछ लोगों ने किसी तरह वहां से मुझे निकाला जिसके बाद मैं घर आ गया।
जुबैर की पत्नी जुबैदा बताती हैं कि मेरे पति उस दिन बाराबंकी गए थे। वो फेरी लगाकर बिसाती का काम करते हैं। रोज की तरह शाम को आए, तब तक यहां तनाव शांत हो गया था। हम लोग घर में ही रहे। सुबह 9 बजे के करीब पुलिस आई और उनको बुलाई और लेकर चली गई। जुबैदा के तीन बच्चे हैं। जुबैर के जाने के बाद घर के हालात ठीक नहीं हैं। उनके पिता हबीब बताते हैं कि उनका भी छोटा-मोटा टेंट का काम है और परिवार काफी बड़ा है। जेल में मुलाकात से लेकर रोज कोर्ट कचहरी के खर्चे के चलते हालात और खराब हो गए हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि जब दो पक्षों में मार-पीट होने के बाद तनाव की बात कही जा रही है तो ऐसे में यह कैसे संभव है कि एक पक्ष के ही लोगों को आरोपी बनाया गया है। दूसरा सवाल कि अगर एक पक्ष का एफआईआर हुआ तो दूसरा पक्ष जो की कह रहा है कि गुलाल फेंकने के बाद तनाव पैदा हुआ उसकी एफआईआर क्यों नहीं हुई। आखिर पुलिस ने क्यों नहीं कोई एफआईआर दर्ज की जब मामला इतना संगीन था। महादेवा बाराबंकी के जिस मामले में रासुका लगी है उसमें तनाव के पहले कारण लड़की के गुलाल फेकने की घटना को पुलिस ने गायब कर दिया है और इस बात को स्थापित किया है कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए आ रही मूर्ती के जुलूस के दौरान तनाव पैदा हुआ। वहीं यह बात भी मालूम हुई कि घटना तात्कालिक थी जो एक टकराहट के बाद रुक गई लेकिन दूसरे दिन हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू साम्राज्य परिषद केे कार्यकर्ताओं के थाने के घेराव और स्थानीय भाजपा विधायक शरद अवस्थी के दबाव के चलते गिरफ्तारियां हुई। इस पूरे मामले में महादेवा मंदिर के महंत आदित्यनाथ तिवारी की अहम भूमिका है। इस घटना में 12 साल के नाबालिग कादिर को भी पुलिस ने उठा लिया। इस मामले में अतीक, शाह फहद, गुफरान, कादिर, मन्ना, अबरार, मयस्सर अली, रिजवान, शाह मोहम्मद, मुमताज, सद्दाम, जुबैर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस तनाव को भड़काने में आदित्यनाथ तिवारी, राजन तिवारी, डॉ चंद्रोदय शुक्ला, अमित अवस्थी, पुष्पेन्द्र अवस्थी, दीपक अवस्थी, उमेश तिवारी, पुष्पेन्द सिंह की अहम भूमिका है। जिनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। महादेवा मंदिर के पुजारी आदित्यनाथ तिवारी इसके पहले भी महादेवा में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की लगातार कोशिश करते रहे हैं। पिछली शिवरात्रि के मेले के दौरान भी वे जामा मस्जिद के माइक को हटाने के मामले को तूल देकर सम्प्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश कर चुके है। इस बार भी जुलूस के दौरान मूर्ती को उठा ले जाने की अफवाह फैलाई गई जिसपर प्रशासन ने भी बयान दिया की ऐसा नहीं हुआ है।
रिहाई मंच ने कहा कि रासुका के नाम पर मनुवादी और सांप्रदायिक षडयंत्र के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत बाराबंकी के महादेवा का दौरा किया गया। अगला पड़ाव कानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ आदि जगहें हैं जहां रासुका के तहत दलितों-मुसलमानों को निरुद्ध किया गया है।
शिव कुमार मिश्र
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