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साहू राम स्वरूप महिला महाविद्यालय में निर्भया डे पर ह्यूमन चेन और प्रेस क्लब ने चलाया जागरूकता कार्यक्रम
बरेली। आज निर्भया कांड के 9 बरस पूरे हो रहे हैं। आज का ही वह काला दिन था जब हमारे समाज की एक बेटी के साथ अत्याचार हुआ। इस बात को याद रखने के लिए और बेटियों को भयमुक्त बनाने के लिए इस कांड को निर्भया नाम दिया गया। हम हर बेटी में निर्भया जैसी शक्ति भरना चाहते हैं जिसको कोई भी डर समाज से ना हो।उपजा प्रेस क्लब ने ह्यूमन चेन के साथ मिलकर निर्भया सप्ताह मनाने का फैसला किया और इस इवेंट को नाम दिया "सड़क पर नारी – मौका या जिम्मेदारी" इसी के तहत आज बरेली के सबसे प्रतिष्ठित लड़कियों के कॉलेज साहू राम स्वरूप में कार्यक्रम हुआ।
इस कार्यक्रम में उपजा प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉक्टर पवन सक्सेना ने बेटियों को उन्मुक्त आकाश में उड़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जो भय को जीत ले वही निर्भया है। बेटियों को हमारे समाज को और अच्छा बनाने के लिए अपना संपूर्ण विकास करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि स्त्री का स्थान समाज में सर्वश्रेष्ठ है। स्त्री के साथ विकास का चक्र पूरा होता है। प्रकृति ने स्त्री को संतति का जो उपहार दिया है वह किसी को भी नहीं दिया है। डा. पवन ने कहा कि इम्पावरमेंट में जो इम शब्द है, यह फ्रेंच है, इसका मतलब है मैं यानी मैं शक्तिशाली। उन्होंने लड़कियों को आत्मनिर्णयन के लिए तैयार रहने को कहा।
उद्यमी एवं पत्रकार डा. राजेश शर्मा ने कहा कि बेटियों को किसी से भी ना डरने की बात कही और साहित्य के माध्यम से अनेक ऐसी कहानियों को सुनाया जहां महिलाएं बहुत सशक्त और बहादुर है।
उन्होंने कहा कि बांग्ला के प्रसिद्ध साहित्यकार शरतचंद्र के माध्यम से डेढ़ सौ वर्ष पहले जो उन्होंने अपने साहित्य में नायिकाओं की रचना करी वह समाज का एक बोल्ड और अहम हिस्सा थीं।परिवार और समाज की धुरी थीं।उनकी बात करते हुए उन्होंने दुर्गा भाभी, प्रकाशवतीपाल, तहमीना दुर्रानी, अमृता प्रीतम,मैत्रेई पुष्पा, अनामिका,सिमोन द बउआ, साहिर लुधियानवी के माध्यम से स्त्री विमर्श को और उसकी महत्ता को सामने रखा। उपजा प्रेस क्लब के सचिव आशीष जौहरी ने बेटियों को समाज में आगे आने की बात कही और उन्होंने यह भी कहा कि आप बेटियों को किसी को भी नो कहना सीखना होगा। नो का मतलब नो।
ह्यूमन चेन की स्टेट सेक्रेटरी डॉ उजमा कमर ने भी बेटियों को समाज में अपना स्थान महत्वपूर्ण बनाने की बात कही और उन्होंने साइकोलॉजी के हिसाब से भी लड़कियों, बेटियों को अपना निर्णय लेने की क्षमताओं पर जोर दिया। उनका कहना था कि जैसी परिस्थितियां हो सभी काम उसी हिसाब से करने चाहिए। एसएमडीएचएम की अध्यक्षा डॉक्टर शहला जमाल ने बेटियों को मेनुस्ट्रल डिसऑर्डर्स के बारे में बताया और हाइजीन के बारे में विस्तार से समझाया। डा. कायनात ने कहा कि लड़कियों को मजबूत होना चाहिए। क्रिया की प्रतिक्रिया देनी चाहिए। निर्भया दिवस मनाते हुए आज हम सब ने निर्भया की याद में एक मिनट का मौन रखा और उस बहादुर बेटी को याद करते हुए मोमबत्तियां की जलायी।
इस अवसर पर कालेज की प्राचार्य डा. अनुपमा मेहरोत्रा, डा. अभिलाषा गौड़ व ज्योतसना शर्मा को नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया। इस मौके पर डा. उज्मा कमर ने कहा कि हम कालेज के प्रबंधन व शिक्षिकाओं के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने इस मौके को बेहद खास बनाया।