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अब अशरफ के इस वीडियो के आने के बाद दिखा जेल में कितना खौफ था
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बरेली जेल के सीसीटीवी फूटेज आने के बाद यह समझ में आजाना चाहिए आखिए जेलों में आम नागरिक और आम कैदी के लिए अलग व्यवस्था है जबकि माफिया और रंगबाजों के लिए अलग व्यवस्था है। एसा नहीं है कि यह आज हुआ है यह एक सिस्टम के तहत चला आ रहा है। इसी सबको लेकर योगी सरकार ने एक नहीं तीन तीन जेल अधीक्षक सस्पेंड किये क्योंकि जेलर या वार्डन के सस्पेंड होने से कुछ होने वाला नहीं है।
बरेली जेल के इस सीसीटीवी फूटेज ने प्रसाशनिक अधिकारियों के काम प्र प्रश्न वाचक चिन्ह लगा दिया है। जब आम नागरिक सामने आता है तो उसे दसियों जांच से गुजरना होता है, जबकि माफिया अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ से मिलने वालों की न तलाशी हुई न ही उनसे कोई जानकारी मांगी गई। एक सिपाही उन्हे वाइज्जत गेट से लेकर प्रवेश करता है और सीधा बिना जांच किये अंदर चला जाता है।
12 फरवरी को इन मुलाकात करने वालों में अतीक का बेटा असद, गुलाम, गुड्डू मुस्लिम समेत 9 शूटर बरेली जेल में अशरफ से मुलाकात करने पहुंचे थे। करीब ढाई घंटे अशरफ से मीटिंग चली।
बता दें कि आम कैदी से आम नागरिक की मुलाकात महज 30 मिनट की होती है तो माफिया अशरफ के साथ ये शूटर ढाई घंटे जेल के भीतर कैसे रहे?
इस मुलाकात के बाद 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम दिया जाता है। जिसमें उसके साथ दो गनर भी मारे जाते है। उसके बाद सरकार अतीक अहमद और अशरफ पर शिकंजा कसना शुरू करती है।
अशरफ को बरेली से तो अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से से प्रयागराज कोर्ट में प्रस्तुत किया जाता है। पहले बार दोनों की सकुशल वापसी होती है लेकिन अशरफ यह बात जरूर मीडिया से कहता है कि उसे एक आईपीएस अधिकारी ने धमकी दी है कि उसे आने वाले 15 दिन के बाद एक बार फिर से लाया जाएगा और उसे मार दिया जाएगा।
ठीक उसके 15 दिन बाद यकायक दोनों को फिर से कोर्ट में पेश किया जाता है जहां से पुलिस कस्टडी में उमेश पाल हत्याकांड को लेकर पूंछ तांछ करने के लिए रिमांड मांगा जाता है। इस दौरान पुलिस ने उन्हे अलग अलग जगह ले जाती है। इसके बाद उन्हे कोर्ट के निर्देश के मुताबिक मेडिकल के लिए ले जाया जाता है। जहां उन्हे मेडिकल में मीडिया के भेष में आए शूटरों ने गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया।
देखिए पूरा वीडियो