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रामपुर CRPF कैंप आतंकी हमला : 12 साल जेल में बिताने के बाद निर्दोष रिहा हुए गुलाब खान..कही ये बड़ी बात
बरेली : रामपुर के सीआरपीएफ कैंप पर हमले के मामले में रामपुर कोर्ट ने शुक्रवार को दिए फैसले में गुलाब खान को बरी कर दिया। करीब 12 साल जेल में बिताने के बाद शनिवार को खान जेल से बाहर निकले। अब 48 साल के हो चुके गुलाब बरेली के बाहेरी इलाके के रहने वाले हैं। वह कहते हैं कि ऊपरवाले ने उन्हें नया जीवन दिया है।
खान के भाई उन्हें लेने पहुंचे थे। उनके साथ जेल के बाहर खड़े खान ने बताया, 'मेरा आतंकी हमले से कोई संबंध नहीं था लेकिन मुझे फंसाया गया। जब मुझे इस केस में जब गिरफ्तार किया गया तो मुझे लगा कि मेरी जिंदगी और परिवार खत्म हो गए हैं। आतंकी हमले में फंसाए जाने का ख्याल बेहद डरावना था।' उन्होंने बताया कि इतने साल तक उन्हें यह चिंता सताती रही और उन्हें लगा कि हार्ट अटैक से उनकी मौत हो जाएगी। रिहा होने पर उन्होंने कहा, 'जब मैं जेल से बाहर आया, मैंने ऊपरवाले को धन्यवाद दिया। खुली हवा में सांस लेकर अच्छा लग रहा है। मैं नई शुरुआत करूंगा।'
खान की बाहेरी में वेल्डिंग की दुकान थी। उन्हें फरवरी 2008 में गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ आतंकी हमले में शामिल होने और घर पर हथियार रखने का आरोप था। इस केस में उनके रिश्तेदार मोहम्मद शरीफ को शनिवार को मौत की सजा सुनाई गई है। खान ने बताया, '10 फरवरी, 2008 को पुलिस ने मुझे बाहेरी में मेरे घर से उठाया। पुलिस ने मुझे उस वक्त बताया था कि मेरे खिलाफ बरेली में झगड़े को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है और मुझे वहां जाकर मामला सुलझाना है। मैंने उनसे कहा कि मैं कई महीनों से बरेली नहीं गया हूं लेकिन वे मुझे कार में ले गए।'
खान ने बताया कि उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाने के बजाय उन्हें एक गेस्ट हाउस ले जाया गया जहां उन्हें शाम तक रखा गया। बाद में रामपुर के एक पुलिस स्टेशन और फिर मेडिकल एग्जाम के लिए ले जाया गया। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। जब उन्होंने पूछा कि उन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया है, तो उनसे कहा गया कि यह उन्हें जेल जाकर पता चलेगा। खान ने बताया कि वह अपने परिवार से तीन महीने बाद मिल सके।
सरकार से गुजारिश
उनकी गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी नजरा ने बच्चों की परवरिश के लिए दर्जी का काम शुरू कर दिया। खान ने बताया, 'इतने साल हमारा परिवार परेशानियों में रहा। हमने आर्थिक समस्याएं झेलीं और मेरे बच्चों को पढ़ाई छोड़नी पड़ी। मैंने अपना मां को खो दिया और उनके अंतिम संस्कार में शामिल भी नहीं हो सका।' जब खान बाहेरी में अपने घर पहुंचे तो बड़ी संख्या में लोग उनसे मिलने आए। खान ने कहा, 'कोर्ट ने मुझे इस मामले में बरी कर दिया है और मैं सरकार से गुजारिश करता हूं कि मानवीय आधार पर मेरे और मेरे परिवार की मदद की जाए ताकि हम सम्मान की जिंदगी जी सकें।'