- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- बरेली
- /
- अग्नि को साक्षी मानकर...
अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया है या आवारगी के मौसम की एक लहकट और लंपट फसल से, यह तो आने वाला वक्त बतायेगा साक्षी!
अभिषेक उपाध्याय
साक्षी मिश्रा, ये पोस्ट अपनी जानकारी के आधार पर लिख रहा हूं। इस दुनिया में सबसे बड़ी लड़ाई च्वाइस की है कि आपने चुना क्या है? इससे अधिक महत्वपूर्ण जीवन में कुछ भी नही है। मेरा मानना है कि दुनिया से लड़ जाओ, अगर चुनने का हुनर हो। दुनिया को अपने कदमों पर बिठा दो, अगर चुनने का हुनर हो। वो ख्वाब हो या फिर मोहब्बत या फिर एक कदम आगे बढ़कर जीवन साथी, सारा संघर्ष सही चुनाव का ही तो है। पर तुम्हारे साथ सारा संकट यही है कि तुमने जिसे चुना है, उसके बारे में शर्मसार करने वाली कहानियों की भरमार है।
यूं कह लूं कि बाढ़ है। हम जिन छोटे शहरों से निकल कर आए हैं, उनमें लहकट और लंपट जैसी उपमाएं काफी प्रचलित रही हैं। बाकी वक्त बताएगा कि तुमने अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया है या फिर आवारगी के मौसम की एक लहकट और लंपट फसल को! कौन कह रहा है कि यहां बात अंतरजातीय विवाह की खिलाफत की है? विवाह में सबसे बड़ा मसला एक ही होता है। लड़की की खुशी, उसका सुनहरा मुस्तकबिल, उसका खिलखिलाता भविष्य। एक बाप को और क्या चाहिए? अगर बिटिया का भविष्य सुरक्षित हाथों में है, तो ये एक बाप के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। फिर वो चाहे उस शादी से खुश हो या फिर नाखुश।
मसला तो ये भी है कि जो बाप पहले ही दिन से ऑन रिकार्ड कह रहा है कि तुम बालिग हो, जैसे चाहो रहो, उसे ज़लील करने के लिए तुम्हें टीवी चैनलों के दफ्तर जाने की सलाह किसने दे दी? मैं मनोवैज्ञानिक नही हूं फिर भी तुम्हारे बयान की एक एक लाइन से समझ रहा हूं कि ये सब उसी लौंडे के दिमाग की उपज है जो कुछ ही दिनों पहले कम दहेज के चलते तुम्हारी ही जैसी एक साक्षी को बदनामी और अनिश्चितता के भंवर में छोड़कर लौटा है! वो तुम्हारे साथ ऐसा नही करेगा, इसकी क्या गारंटी है? बरेली में जिससे भी उस लौंडे के बारे में पता चल रहा है, सब एक ही कहानी बता रहे हैं और ये कहानी भरोसा तोड़ देने वाली है।
दुआ है कि तुम्हारे साथ सब अच्छा ही हो। मगर फिर भी, जिस रोज भी ये समझ आ जाए कि तुम लंपट और लहकट प्रजाति के एक आक्टोपस के चंगुल में फंस गई हो, वापिस लौट आना। बाप आखिर बाप ही होता है। थोड़ा झुंझलाएगा। थोड़ा उखड़ेगा। भड़केगा। मुंह फेर लेगा। मगर फिर वापिस गले लगा लेगा। जिंदगी सिर्फ और सिर्फ च्वाइस का ही खेल है और किसी एक च्वाइस के खराब निकलने से जीवन खत्म नही हो जाता!