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यूपी सरकार ने जारी किया आदेश, कोरोना के मरीज़ होम आइसोलेशन में याद रखें ये बातें
बरेली, 27 अगस्त : कोरोना के ऐसे मरीज़ जिन्हें हल्के लक्षण हैं, शुरुआती लक्षण है या फिर कोई लक्षण नहीं हैं, उन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाती है वहीं घरवालों को भी क्वारंटीन रहना होता है लेकिन होम आइसोलेशन में कुछ सावधानियां बहुत जरूरी है।
300 बेड अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वागिश वैश्य ने बताया कि मरीज की कोरोना रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर या मेडिकल ऑफिसर मरीज़ को हल्के लक्षण हैं, या शुरुआती लक्षण हैं या फिर कोई लक्षण नहीं हैं यह देखते हैं। तब मरीज होम आइसोलेशन में जा सकते हैं। इसके अलावा चिकित्सक मरीज़ से खुद एक अंडरटेकिंग फॉर्म भी साइन कराते हैं जिसमें होम आइसोलेशन के नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिखा होता है । मरीज़ के घर पर होम आइसोलेशन और परिवार वालों को क्वारंटीन रखने के लिए अलग-अलग कमरे होना जरूरी होता है।
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि 27 अगस्त तक 3704 कोरोना मरीज का होम आइसोलेशन चल रहा है और वही 2669 मरीजों का होम आइसोलेशन पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि होम आईसोलेशन में चिकित्सक मरीजों के बराबर सम्पर्क में बने हुए हैं। मरीजों को समय-समय पर सारे निर्देश मरीजों को दिए जाते हैं। काफी संख्या में मरीजों का ठीक होने का सिलसिला जारी है।
यह नहीं जा सकते होम आईसोलेशन में
अगर मरीज़ HIV, अंग प्रत्यारोपण या कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज करवा रहा हो, तो वो होम आइसोलेशन में नहीं रह सकता। 60 बरस से ऊपर के मरीज़ और जो हाइपरटेंशन, डायबिटीज़, दिल से जुड़ी बीमारी, लंग/लिवर/किडनी से जुड़ी दिक्कतों के मरीज़ हों, उन्हें तभी होम आइसोलेशन में रखा जाएगा, जब मेडिकल ऑफिसर अच्छी तरह से उनकी जांच न कर ले।
डिस्ट्रिक्ट सर्विलेंस ऑफिसर से यह व्यक्ति करे संपर्क
एक केयर गिवर यानी देखभाल करने वाले व्यक्ति को चौबीसों घंटे मरीज़ की सेवा में मौजूद रहना होगा। जो समय-समय पर डिस्ट्रिक्ट सर्विलेंस ऑफिसर (जिला निगरानी अधिकारी) को मरीज़ से जुड़े अपडेट्स देता रहेगा। केयर गिवर और मरीज़ के सभी करीबियों को, जो उसके साथ होम क्वारंटीन हैं, उन्हें मेडिकल अधिकारी के कहने पर और प्रोटोकॉल के हिसाब से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन प्रोफिलेक्सिस खानी होगी। सभी के फोन पर आरोग्य सेतू ऐप होना चाहिए। मरीज़ को रोज़ाना अपनी हेल्थ को मॉनिटर करना होगा, और सारी जानकारी ज़िला निगरानी अधिकारी को देनी होगी।
कुछ सावधानियां भी ज़रूरी हैं
– मरीज़ को हर वक्त ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क पहनकर रहना होता है । जिसे हर आठ घंटे बाद या फिर उसके गंदे और गीले होने की कंडिशन में फेंकना होगा।
-- मास्क को फेंकने से पहले मास्क को 1% सोडियम हाइपो-क्लोराइट से डिस-इन्फेक्ट करना होगा। यानी शुद्ध करना होगा, ताकि उससे वायरस न फैले।
– मरीज़ को अपने ही कमरे में रहना होगा। घर के सभी लोगों से दूर खासतौर पर बुज़ुर्गों के टच में आना ही नहीं है। ज्यादा से ज्यादा आराम करना है, तरल पदार्थ जैसे- पानी, जूस पीते रहना है।
– साबुन से बार-बार हाथ धोना है। सैनिटाइज़र का इस्तेमाल भी करते रहना है। पर्सनल सामान तो किसी के साथ गलती से भी शेयर नहीं करना है। कमरे को 1% हाइपो-क्लोराइट सॉल्यूशन से बार-बार साफ करना है।
– डॉक्टर जो भी सलाह दे, उसका कड़ाई से पालन करना है। रोज़ाना शरीर का तापमान नापना है। अगर सेहत में ज़रा भी गड़बड़ी लगे तो अधिकारियों को खबर करनी है।
अधिकारी भी रखते हैं ध्यान
राज्य या ज़िले के स्वास्थ्य अधिकारी होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीज़ से लगातार कॉन्टैक्ट में रहते है फील्ड स्टाफ या सर्विलेंस टीम कॉल सेंटर के ज़रिए भी मरीज़ की स्थिति के बारे में पता करते रहते हैं ।
रोज यह जांच जरूरी
मरीज़ के शरीर का तापमान, पल्स रेट और ऑक्सिजन की मात्रा के बारे में पता करते रहें। फील्ड स्टाफ मरीज़ के फैमिली मेंबर्स और सभी क्लोज़ कॉन्टैक्ट की सेहत का जायज़ा लें और टेस्ट करते हैं।
कब लें मेडिकल हेल्प
मरीज़ को अगर सांस लेने में दिक्कत हो, ऑक्सिजन लेवल कम हो, सीने में दर्द हो या दबाव महसूस हो, भ्रम की स्थिति पैदा हो, कमज़ोरी लगे, ठीक से बोलते न बने, चेहरा या लिप्स नीले पड़ने लगे तो तुरंत ज़िले के स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क करना है।
कब खत्म होगा होम आइसोलेशन?
लक्षण सामने आने के दस दिन बाद और लगातार तीन दिन तक बुखार न आने पर मरीज़ को होम आइसोलेशन से डिस्चार्ज माना जाएगा। उसके बाद भी मरीज़ को लगातार सात दिन तक आइसोलेट रहना होगा और अपनी सेहत को मॉनिटर करते रहना होगा। होम आइसोलेशन का वक्त खत्म होने के बाद दोबारा टेस्टिंग की कोई ज़रूरत नहीं है।