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फैसल खान
बिजनौर: कोविद 19 के मद्दे नज़र इस साल दसवी मुहर्रम के मौके पर जंज़ीरों के मातम की बजाय अकीदतमंदों ने हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में एक रक्तदान शिविर आयोजित किया जिसमें दर्जनों लोगों ने रक्त दान कर अपनी अक़ीदत का इज़हार करके इंसानियत की मिसाल पेश की।
ज़िले के क़स्बा नहटौरः में सरकारी अस्पताल में हज़रत इमाम हुसैन की याद में हुसैनी रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें इमाम हुसैन से अक़ीदत रखने वाले लोगो ने इंसानियत की खातिर रक्तदान किया। इस दौरान35 लोगो ने अपना खून देकर इंसानियत की मिसाल पेश की।
रक्तदान शिविर के आयोजकों ने कहा कि हज़रत इमाम हुसैन को कर्बला की जंग में आज के दिन तीन दिन की भूख और प्यास केदौरान साथियो के साथ यज़ीद ने क़त्ल कर दिया था। उसके बाद से आज तक कोई भी मुसलमान यज़ीद नाम नहीं रखता है यज़ीद उस दौर का सबसे बड़ा आंतकवादी था जिस तरह से श्री राम के आगे रावण आंतकवादी बन कर आया था । हिन्दू समाज मे भी कोई अपने बच्चे का नाम रावण नही रखता है। कर्बला की जंग आतकवाद के खिलाफ थी