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बिजनौर सीट पर है जयंत की खास नजर, पार्टी को दिए पूरा जोर लगाने के निर्देश
बिजनौर। निकाय चुनाव में जिला बिजनौर की सदर सीट पर बीजेपी और आरएलडी के बीच सीधा मुकाबले के आसार बन रहे हैं। आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी की इस सीट पर खास नजर है। रालोद की बिजनौर इकाई ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उनका उम्मीदवार बीजेपी उम्मीदवार के साथ सीधे मुकाबले में है। इस पर जयंत चौधरी ने रालोद की बिजनौर इकाई को जीत के लिए पूरा जोर लगाने के निर्देश दिए हैं।
जयंत चौधरी के बेहद करीबी सूत्रों ने बताया कि बीती रात जयंत चौधरी ने रालोद के जिला अध्यक्ष नागेंद्र पवार को हिदायत दी है कि इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दें। सूत्रों के मुताबिक बिजनौर की सदर सीट जीतकर आरएलडी जिले में अपने राजनीतिक नेतृत्व को स्थापित करना चाहती है। जयंत के साथ जुड़े किसान नेता भी इस मुहिम में रालोद को मदद कर रहे हैं। दरअसल बिजनौर सीट जीतकर जयंत इस धारणा को बदल देना चाहते हैं कि जाट रालोद के मुस्लिम उम्मीदवारों को वोट नहीं देते। काहे की रालोद की बिजनौर की इकाई शमशाद को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है।
दरअसल बिजनौर में बीजेपी का उम्मीदवार जाट है इसलिए यहां इस तरह की बातें उड़ रही है कि रालोद जाट समुदाय रालोद के वोट बीजेपी को वोट देगा लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल ने पुलवामा हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर सवाल उठाए हैं उसके बाद माना जा रहा है कि जाट समुदाय का बीजेपी और पीएम मोदी से मुंह बंद हो रहा है। इसके अलावा दुनिया भर में भारत का नाम रोशन करने वाली महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण के आरोपों में घिरे भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ पीएम मोदी और बीजेपी ने कोई कार्यवाही नहीं की है इससे भी जाट समुदाय में बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ नाराजगी का माहौल है। इसका असर भी बिजनौर के चुनाव पर पड़ता दिख रहा है।
ज्ञातव्य है कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बिजनौर के मुसलमानों ने रालोद-सपा गठबंधन के उम्मीदवार नीरज चौधरी को भरपूर समर्थन दिया था। रालोद आलाकमान की तरफ से पार्टी नेताओं को कहा गया है कि स्थानीय निकाय के चुनाव में अपनी पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवारों को जाट समुदाय का भरपूर समर्थन सुनिश्चित होना चाहिए। रालोद आलाकमान की तरफ से बिजनौर के तमाम जाट नेताओं को आलाकमान के निर्देश से अवगत करा दिया गया है। बिजनौर शहर में इसका असर भी देखने को मिल रहा है। मतदान के तारीख नजदीक आते-आते मुकाबला सीधे बीजेपी और रालोद के बीच होता नजर आने लगा है।
बता दें कि बिजनौर से रालोद के टिकट पर पूर्व चेयरपर्सन पति शमशाद अंसारी उम्मीदवार हैं। 2017 में शमशाद अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते थे। सपा ने उन्हें इस बार भी टिकट दिया था उन्होंने अपना नामांकन भी करा दिया था। लेकिन आखिरी वक्त में उनका टिकट कट गया और बसपा से समाजवादी पार्टी में गई रुचि वीरा की बेटी स्वाति वीरा को मिला। आखरी वक्त शमशाद का टिकट काटे जाने से से समाजवादी पार्टी के एक बड़े तबके में नाराजगी पैदा हुई तो उन्होंने शमशाद को रालोद के टिकट पर चुनाव मैदान में उतार दिया। सूत्रों के मुताबिक स्वाति वीरा को सपा का टिकट मिलने के बाद बिजनौर के रालोद नेताओं ने आलाकमान को साफ कह दिया था कि वह स्वाति वीरा को चुनाव नहीं लड़ाएंगे।
गौरतलब है कि सपा के टिकट पर जीतने वाले शमशाद अंसारी पहले मुस्लिम चेयरमैन रहे हैं। उनसे पहले कोई भी मुस्लिम सपा के टिकट पर चेयरमैन का चुनाव नहीं जीत पाया। उनके साथ दूसरा रिकॉर्ड यह है कि बिजनौर में उनसे पहले कभी भी लगातार दूसरी बार मुस्लिम चेयरमैन नहीं बना। बिजनौर की राजनीति पर पैनी नजर रखने वालों का मानना है कि बिजनौर सीट जाट-मुस्लिम गठबंधन पूरी तरह जिताऊ है। इस गठबंधन से शमशाद दूसरी बार लगातार जीत का रिकॉर्ड बना सकते हैं। साथ ही वो मुस्लिम चेयरमैन की हैट्रिक का रिकार्ड भी अपने नाम दर्ज करा सकते हैं। पिछले 5 साल में शमशाद ने बिजनौर की जनता के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है। शायद यही वजह है कि उनकी उम्मीदवारी को रालोद भी बिजनौर में अपनी जड़ें मजबूत करने के अवसर के रूप में ले रही है।