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
बिजनौर की सरजमी से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का गहरा नाता रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जब भाजपा से अलग हुए तो उन्होंने भारतीय क्रांति दल का गठन किया था। इस दौरान मंडावर निवासी लाला राम किशन अग्रवाल को जिला अध्यक्ष नियुक्त किया था। लाला राम किशन अग्रवाल उनके नजदीकी रहे हैं। वहीं कल्याण सिंह ने मंडावर में एक जनसभा को संबोधित किया था।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के गांव शादीपुर निवासी अतर सिंह भुइयार से घनिष्ठ संबंध थे। साल 2001 में कल्याण सिंह हुई अतर सिंह की बेटी की शादी में आए थे। 2001 में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया था और साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में अतर सिंह को नगीना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया था। वहीं वह पूर्व विधायक महेंद्रपाल सिंह के आवास पर भी गए थे।
अतर सिंह बताते है कि उनकी बेटी की शादी तत्कालीन एमएलसी डा. मंगलसेन कोरी के पुत्र से साल 2001 में हुई थी। इस शादी में कल्याण सिंह, तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रमापति शास्त्री, डा. बीरबल सिंह, अवनीश निर्वाल, सत्यवीर त्यागी के साथ शामिल हुए थे।
वैवाहिक स्थल पर मौजूद ग्रामीणों से कल्याण सिंह ने क्षेत्र की राजनीति पर बात की। इसके बाद वह पूर्व भाजपा विधायक चौधरी महेंद्र पाल सिंह के आवास पर पहुंचे थे। कल्याण सिंह के मंडावर निवासी रामकिशन गुप्ता से भी बेहद नजदीकी संबंध थे। रिक्शा में बैठकर गली-मोहल्लों में घूमे थे कल्याण सिंह
वर्ष 1980 के बाद का वह दौर जब भाजपा का गठन हुआ था तो कल्याण सिंह जिले में सक्रिय हो गए थे। नूरपुर, किरतपुर और बिजनौर में वह रिक्शा से गली-मोहल्लों में घूमे थे और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।
वर्ष 1980 से पूर्व जनसंघ हुआ करता था। तब भी उनके कंधों पर जिम्मेदारी होती थी। उसके बाद भाजपा का गठन हुआ तो उन्हें पूरे उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई। कुछ समय बाद ही उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इसके बाद बिजनौर में भी भाजपा को मजबूत करने का बीड़ा उन्होंने ही उठाया।
वर्ष 1982 में नूरपुर के फतियाबाद गांव के महावीर सिंह को बिजनौर जिलाध्यक्ष बनाया। कल्याण सिंह जमीन से जुड़े नेता थे। वर्ष 1991 में बाबरी प्रकरण के बाद जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो युवा वर्ग पर बहुत प्रभाव पड़ा था। वह युवाओं व किसानों के लिए समर्पित रहते थे। दो वर्ष पूर्व महावीर सिंह की उनसे आखिरी मुलाकात हुई।
गौरतलब है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार रात लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया था। दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 89 वर्षीय कल्याण सिंह 4 जुलाई से एसजीपीजीआई में भर्ती थे।
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