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- गंगा नदी में बाढ़ आने...
फैसल खान
बिजनौर जिला इस वक्त बुरे हालात से गुज़र रहा है। बिजनौर यूपी का अकेला ऐसा शहर है जो चारो ओर से गांवो से घिरा हुआ है। इस शहर की एक तिहाई आबादी गावो में बसी हुई है और हर साल बरसात के मौसम में इन लोगो का कडा इम्तेहान होता है ये उस इम्तहान की पूरे साल तैयारी करते हैं मगर जब रिजल्ट का वक्त आता है तो हमेशा ये लोग फेल हो जाते हैं बल्कि अगर ये कहा जाए कि बुरी तरह से फेल हो जाते है तो गलत नहीं होगा
क्योंकि हर साल गंगा नदी अपने पूरे उफान पर होती है और गांव वाले इसका पूरी तरह से शिकार हो जाते हैं।हर साल लाखों घर बाढ की चपेट में आकर बर्बाद हो जाते हैं। हजारो बीघा फसले जलमग्न हो जाती है। हालात यहां तक पहुंच जाते है कि गांव वालों को पशुओं का चारा लाने के लिए भी अपनी जान जोखिम में डालकर नदियां पार करनी पड़ती है जिसमें उनकी जान को खतरा हो सकता है। बल्कि अगर ये कहा जाए कि खतरा ही होता है तो बिल्कुल भी गलत नहीं होगा क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले ही गंगा बैराज पर पशुओं का चारा लेने जा रहे ग्रामीणों से भरी नाव गंगा में पलट जाने से कई लोगो की मौत हो गई थी और 4 महिलाओं अभी भी लापता हैं। आज हमारी पूरी टीम बिजनौर ओर हरिद्वार को जोडने वाली मालन नदी के रपटे पर पहुंची क्योंकि वहां लगभग 3 दिनों से कई- कई फिट पानी सडक पर चल रहा है। हमने वहां पाया कि वहां के हालात बद से बदतर हो गये है लोगों को अपनी
नौकरियों और खेतों पर जाने के लिए कई-कई किलोमीटर घूमकर जाना पड़ रहा है। प्रशासन ने दोनों ओर से रास्ते बंद करा दिये हैं अब ना तो कोई इस रोड से बिजनौर आ सकता है और ना ही कोई बिजनौर से जा सकता है दोनों ओर पुलिस की गाडियां खडी होकर निगरानी में लगी हुई हैं मगर फिर भी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर रपटा पार कर रहे हैं। जानवरों की लाशे पानी में बहकर आ रही जो रपटे के खम्बों में फंसी हुई है उनमें से बदबू फूट रही है जो उस क्षेत्र में माहमारी का काम कर सकती है। अगर पुलिस प्रशासन इस ओर थोडा सा ध्यान देकर उन लाशो को जेसीबी के जरिये निकलवा ले तो माहमारी फैलने से रोकी जा सकती है।