उत्तर प्रदेश

2022 चुनाव के लिए अभी से उम्मीदवार खोजने में जुटी भाजपा, खतरे में इन विधायकों की टिकट!

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21 Oct 2019 4:20 PM GMT
2022 चुनाव के लिए अभी से उम्मीदवार खोजने में जुटी भाजपा, खतरे में इन विधायकों की टिकट!
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पार्टी के सूत्रों के मुताबिक 2022 के लिए कैंडिडेट सिलेक्शन के लिए पार्टी की रणनीति 2017 से अलग रहेगी.

बीजेपी का उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के फौरन बाद 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटने का प्लान है. पार्टी का मानना है कि संगठन चुनाव के जरिए ही जनता से जुड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाए. विधानसभा क्षेत्र में दमदार, जनाधार वाला और टिकाऊ उमीदवार तलाशा जाए. इस बार बीजेपी उम्मीदवार सिलेक्शन में कई स्तर से नाम मांगेगी और परखने के बाद एक नाम फाइनल करेगी.

पार्टी के सूत्रों के मुताबिक 2022 के लिए कैंडिडेट सिलेक्शन के लिए पार्टी की रणनीति 2017 से अलग रहेगी. यानी पार्टी पुरानी रणनीति पर चुनाव नहीं लड़ेगी. हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी लोकसभा चुनाव 2019 में मिली जीत और यूपी सरकार के 5 साल के काम को आधार बनाकर चुनाव मैदान में उतरेगी. हालांकि पार्टी की यह नीति पार्टी वेस्ट यूपी के मौजूदा बीजेपी विधायकों के लिए खतरा साबित हो सकती है. क्यूंकि वेस्ट यूपी के मुरादाबाद मंडल की सभी लोकसभा सीटें एसपी-बीएसपी ने जीती हैं. बीजेपी के विधायक होने के बाद भी उनके क्षेत्र में बीजेपी हारी है.

मेरठ और सहारनपुर मंडल में भी काफी विधानसभा सीटों पर विधायक होने के बाद भी बीजेपी फिसड्डी रही. ऐसे में नई पॉलिसी पर सख्ती से अमल होता है तब विधायकों के दोबारा चुनावी मैदान में उतारे जाने पर संकट आ सकता है.

बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक 2022 के चुनाव में कैंडिडेट सिलेक्शन में बीजेपी हर विधानसभा सीट से करीब 8 नाम जुटाएगी इसमें दो नाम बीजेपी जिलाध्यक्ष से मांगने का प्लान है. इसी तरह दौ नाम मौजूदा सांसद से दो-दो कुल 4 नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिलों में तैनात और प्रदेश और जिला पदाधिकारियों से लिए जाएंगे. इन नामों में से और अब्बल और जिताऊ तलाशने के लिए पार्टी अपने स्तर से भी सर्वे करा सकती है पार्टी की तरफ से गठित कमेटी या किसी बाहरी एजेंसी से भी ऐसा करना संभव हो सकता है.

कसौटी पर परखे जाएंगे दावेदार

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक संभावित कैंडिडेट का नाम फाइनल करने के लिए उनकी सार्वजनिक छवि कैसी है.. इसके अलावा दावेदार का खुद का जनाधार आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाएगा. जातीय समीकरण को भी साधा आ जाएगा. बताते हैं कि 8 में से अगर कोई दावेदार रसूख वाला है लोगों की पसंद है क्षेत्र में उसके जीत के समीकरण हैं, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, तब उसके नाम पर मोहर लगाकर पार्टी चुनाव लड़वाएगी.

बीजेपी का यह उम्मीदवार चयन का नया फार्मूला कई विधायकों की सीट खतरे में करता नजर आ रहा है. जो विधायक क्षेत्र में जाने से क्षेत्रीय जनता का काम करने से कतराते हैं उनका 2022 की विधानसभा में पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन दिखता है. लिहाजा बीजेपी के मौजूदा विधायकों को अपने व्यवहार में अपनी कार्यशैली में काफी बदलाव लाने होंगे ताकि उनकी टिकट बच सकें अन्यथा उनकी टिकट कटने में कोई समय नहीं लगेगा.

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