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माजिद अली खां (राजनीतिक संपादक)
बुलंदशहर में हुई घटना जिसमे एक इंस्पेक्टर समेत एक भाजपा नेता मारा गया और अब सरकार और पुलिस हिंदूवादी संगठनों के दबाव में पूरी घटना को अलग रंग देने और इस पर लीपापोती करने में लगे हैं. इसके बीच मुस्लिम नेतृत्व की बेहिसी पर भी सवालिया निशान लग जाते हैं.
जब बुलंदशहर की ये घटना हुई उस समय वहां मुसलमानो के संगठन तब्लीगी जमात का इज्तिमा चल रहा था और एक बहुत भारी संख्या में मुसलमान वहां देशभर से आये हुए थे. ऐसे मौके पर गाय काटे जाने को लेकर स्याना क़स्बे के पास जाम लगाया गया और हंगामा खड़ा करने के मक़सद से हिन्दू अतिवादी संगठनों ने लोगो को इकट्ठा किया था जिस पर सारा मामला बिगड़ा. इज्तिमा के चलने से उस दिन मुस्लिम समाज का चुप रहना ठीक था लेकिन उसके बाद भी चुप्पी साध लेना ठीक नहीं है.
इसकी वजह ये है की अब सरकार गौकशी की घटना को सच्चा ठहरा कर माहौल को हिन्दू मुस्लिम के तौर पर पेश कर रही है तथा कुछ मुसलमानो के खिलाफ एक रिपोर्ट भी दर्ज कर ली गयी है जिसमे दो बच्चे भी है तथा दूसरे नाम भी फ़र्ज़ी तरीके से लिखे गए हैं. हो सकता है की इसमें कुछ लोगो को बिला वजह गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाये. सारे विवाद का ठीकरा मुसलमानो के सिर फोड़ने की कोशिश मुस्लिम समाज के लिए बहुत नुक्सानदह है. इससे हिन्दू समाज को ये सन्देश जायेगा की मुस्लिम समाज के लोगो ने ज़रूर गाय को काटा है जिसके चलते घटना हुई और एक इंस्पेक्टर की मौत हो गयी.
मुस्लिम समाज के नेताओ का इस मामले में बिलकुल चुप रहना बहुत अफ़सोसनाक है. जब मुसलमान लाखो लोग इज्तिमा में इकट्ठे कर सकते हैं क्या कुछ नेता मिल कर सरकार को ये नहीं कह सकते की इस मामले को बिला वजह मुस्लिम दुश्मनी के रूप में न बदला जाये. लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे मुसलमानो के पास बिलकुल भी नेतृत्व नहीं है. सपा बसपा में खद्दर पहन कर रोब जताने वाले मुस्लिम नेताओ की फ़िलहाल हालत देख कर अफ़सोस होता है की कैसे योगी सरकार की दहशत इनके सिर पर सवार है.
अगर मुस्लिम नेतृत्व ये समझता है की घटना वाले दिन सरकार और प्रशासन की कार्रवाई बिलकुल ठीक थी तो उन्हें बाक़ायदा मुख्यमंत्री से मिल कर धन्यवाद कहना चाहिए लेकिन अब मामले को जिस तरह दूसरे रुख पर मोड़ा जा रहा है इसके बारे में राज्यपाल व मुख्यमंत्री को दो टूक कह देना चाहिए की ये रवैय्या बर्दाश्त से बहार है. सपा बसपा और कांग्रेसी सरकारों में क़ौम के नाम पर दलाली खाने वाले मुसलमानो को इस सरकार में भी सक्रिय रहना चाहिए. मुस्लिम समाज की भी ज़िम्मेदारी है की वह भी अपने इन अंधे बहरे और गूंगे नेताओ को इस बाबत ध्यान दिलाना चाहिए की यदि मुस्लिम नेतृत्व न जागा तो आने वाले वक़्त में हालात और खराब हो जायेंगे.