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IPS श्लोक कुमार Exclusive इंटरव्यू : 'अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने में सक्षम है पुलिस'
गाजियाबाद : मूल रूप से बिहार निवासी श्लोक कुमार का वर्ष 2014 में भारतीय पुलिस सेवा में चयन हुआ था। आईपीएस श्लोक कुमार की पहली तैनाती आगरा में एएसपी के पद हुई। उनके पिता भी बिहार कैडर में सीनियर आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। श्लोक कुमार गाजियाबाद में एसपी सिटी के अलावा हमीरपुर और रायबरेली में अपनी जिम्मेदारी का शानदार तरीके से निर्वहन कर चुके हैं।
स्पेशल कवरेज न्यूज़ के ब्यूरो चीफ सैयद अली मेहंदी ने एसएसपी बुलंदशहर श्लोक कुमार से विस्तृत बातचीत की प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश।
सवाल- आपने रायबरेली,हमीरपुर जैसे पूरब के क्षेत्रों में भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। साथ ही आप गाजियाबाद के बाद अब बुलंदशहर में भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं । तो ऐसे में कितना फर्क है पूरब और पश्चिम के क्राइम में और दोनों क्षेत्र के क्रिमिनल को किसका नाम से टैकल किया जाता है।
जवाब- देखिए पुलिसिंग अपने बेसिक तरीके से चलती है।क्रिमिनल कहीं के भी हो किसी तरह के हो या उनकी प्रवृत्ति कुछ भी हो पुलिस अपने काम को कानून के दायरे में रहते हुए बखूबी निर्वहन करती है । पूरब और पश्चिम के अपराधियों में थोड़ा बहुत अंतर है, जहां तकनीक,हथियार और टाइमिंग का फर्क है।वहीं इसी क्रम में पुलिस भी तैयार है । पूरब की पुलिस हो या पश्चिम की,उत्तर प्रदेश पुलिस सामूहिक रूप से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के क्रम को जारी रखते हुए मेहनत कर रही है। निश्चित रूप से अपराधीकरण में कमी आई है। पुलिस अपने काम को बेहतर तरीके से कर रही है और जनता के सहयोग से यह और अधिक बेहतर हो सकता है। ऐसे में एक फर्क नहीं पड़ता कि पुलिस पूरब की है या पश्चिम की। उत्तर प्रदेश पुलिस संयुक्त है दृढ़ संकल्प है और उसे मालूम है कि आला अधिकारियों के नेतृत्व में किस तरह से अपने फर्ज को अंजाम देते हुए राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान देना है।
सवाल- साइबर क्राइम में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है हमारी पुलिस के साइबर अपराधियों से निपटने के लिए सक्षम है कि हमारे पास इतनी तकनीक और दक्षता है कि हम साइबर अपराधियों को मुंहतोड़ जवाब दे सकें।
जवाब- देखिए इस संबंध में थोड़े आत्ममंथन की आवश्यकता है। दरअसल साइबर अपराधियों का शिकार वही लोग बनते हैं जो कि कहीं ना कहीं किसी न किसी प्रलोभन या दबाव में आ जाते हैं हालांकि बड़े मामलों में देखा गया है कि तकनीकी रूप से सक्षम साइबर अपराधी मनचाहे लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। उद्योगपति और बिजनेसमैन उनके निशाने पर होते हैं। ऐसे में सभी तरह की सावधानियां बरती जा रही है जैसे कि किसी भी साइबर क्राइम को अंजाम देने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है और इंटरनेट कनेक्शन लेने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है अब थोड़ा सा जनता को सहयोग करना है ताकि बेहतर तरीके से हम लोग साइबरक्राइम को नियंत्रित कर सके और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सके ।
आमतौर पर जब हम किसी भी साइबर क्राइम के बाद नंबर को ट्रेस करते हैं तो उसका आईटीआई एड्रेस बहुत दूर होता है। मान लीजिए बुलंदशहर में किसी ने साइबर क्राइम की शिकायत की और हमने ट्रेस किया तो उसका नंबर झारखंड उत्तराखंड और बिहार में ट्रेस होगा जो किसी बहुत मुश्किल होता है लेकिन अपराधी कहीं भी छुपे हो पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए प्रतिबंध है ताकि अपराधों में कमी आ सके। इस मामले में पुलिस को जनता का सहयोग चाहिए जनता सजग रहें सतर्क रहें और अपने बैंक अकाउंट ओटीपी सहित अन्य गोपनीय दस्तावेजों की जानकारी किसी को ना दें । बाकी पुलिस तैयार है अगर कोई अपराधिक वारदात होती है तो उसके दोषियों को पुलिस कड़ी कार्रवाई के जरिए सज़ा दिलाने का काम करेगी।
सवाल- पहले मैनुअल पुलिसिंग होती थी जहां गुप्तचर और मुखबिर तंत्र को डेवलप किया जाता था अब पूरी तरह से तकनीक पर निर्भरता बढ़ रही है सर्विलांस, कॉल डिटेल, ट्रेनिंग जैसी चीजें सामने आ रही हैं ऐसे में आपको क्या लगता है पहले की पुलिसिंग बेहतर थी आज की।
जवाब- मैंने अपने कैरियर में अलग-अलग केसों में देखा है कि मैन्युअल और डिजिटल पुलिस दोनों ही बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों के समन्वय से बेहतर स्थिति पुलिस के आगे नजर आती है। जहां पुलिस अपने काम को और अधिक सटीक तरीके से अंजाम देते हैं। आज तकनीक का दौर है ऐसे में पुलिस तकनीक के जरिए अपने काम को अच्छे से अंजाम दे रही है वही मैनुअल पुलिसिंग का भी कोई जवाब नहीं है कुल मिलाकर कहा जा सकता है दोनों का शानदार समन्वय ही अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने में पुलिस की भरसक मदद कर रहा है।