बुलंदशहर

बुलंदशहर घटना की असली कहानी ऐसे शुरू हुई, जिसमें एक पुलिस अधिकारी और युवक की चली गई जान !

Special Coverage News
5 Dec 2018 6:55 AM GMT
बुलंदशहर घटना की असली कहानी ऐसे शुरू हुई, जिसमें एक पुलिस अधिकारी और युवक की चली गई जान !
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Subodh Kumar Singh

कहावत है कि -"खेत चरै गदहा मारे जाय जुलाह" कुछ इसी तरह की घटना दो दिन पहले बुलंदशहर के एक गाँव में पुलिस के साथ हुयी है जिसमें गुनाह किसी ने किया और सजा दूसरे को मिल गयी। इस घिनौनी घटना में एक बेगुनाह पुलिस अधिकारी एवं एक नागरिक की दर्दनांक मौत हो गयी तथा तमाम लोग घायल हो गये। इतना ही नहीं उत्तेजित भीड़ ने एक पुलिस चौकी को जलाकर राख कर दिया और जबरदस्त पथराव एवं जबाबी फायरिंग भी किया। यह सब इसलिए नहीं हुआ कि पुलिस इसमें दोषी थी बल्कि पुलिस तो सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची और वापस लौटकर चौकी पर मुकदमा दर्ज कर अपने कर्तव्यों का पालन कर रही थी।


इसी बीच गोकशी की सूचना मिलते ही पास पड़ोस के गांवों के लोग तीन चार टैक्ट्ररों मेंं भरकर सैकड़ों की तादाद में वहां पहुंच गए और गोकशी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रोडजाम कर दिया। कहते हैं कि भीड़ उग्र तब हो गई जब उसे लगा कि पुलिस गोकशी करने वालों को बचाने की कोशिश कर रही है। घटना से आक्रोशित उग्र भीड़ को नियन्त्रित करने के लिए पुलिस ने रोडजाम कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज एवं हवाई फायरिंग शुरू कर दी और जबाब में भीड़ ने भी पथराव शुरू कर दिया। इस घटना की शुरुआत तब हुयी जब क्षेत्र में आयोजित इत्जिमा के अंतिम दिन एक गन्ने के खेत में व्यापक पैमाने पर गोवंश के अंग पड़े पाये गये। लोगों को आशंका थी कि गोवंशों की हत्या इत्जिमा के दौरान की गयी है। कहते हैं कि घटना सूचना मिलने पर कोतवाली स्याना अन्तर्गत आने वाली पुलिस चौकी के दरोगा दल बल के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को खराब होते देखकर इत्जिमा से वापस लौट रहे वाहनों को किसी अनहोनी से बचने के लिए रास्ते में ही रोक दिया।


पुलिस के घटना स्थल से लौटने के बाद चौकी पहुंची भीड़ उग्र होकर अनियन्त्रित हो गई और खेत में मिले गोवंश के अवशेषों को लेकर पुलिस चौकी पर घेराव प्रदर्शन करते हुए मार्ग को जाम कर दिया गया । पुलिस ने उत्तेेजित भीड़ को पहले समझाने की कोशिश की लेकिन जब भीड़ उग्र होने लगी तो लाठीचार्ज एवं हवाई फायरिंग करके रोडजाम समाप्त कराने की कोशिश की गई। पुलिस के लाठीचार्ज एवं फायरिंग से नाराज उत्तेजित भीड़ ने भी आखिरकार पुलिस पर जबाबी पथराव करते हुए पुलिस चौकी में आग लगा दी जिससे पुलिस चौकी जलकर राख हो गयी और पुलिस को जान बचाने के लाले पड़ गये। गोकशी किसने की इसका पता भले ही अबतक नहीं चल सका है लेकिन इसका खामियाजा बेगुनाह पुलिस एवं नागरिकों दोनों को झेलना पड़ रहा है। इस मामले में 27 लोगों को नामजद तथा 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके करीब आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।


पोस्टमार्टम के बाद पुलिस अधिकारी एवं युवक की मौत गोली लगने से होने की पुष्टि हुई है। सरकार के कड़े प्रतिबंध के बावजूद गोकशी पर लगाम न लग पाना प्रदेश सरकार एवं पुलिस के लिए शर्म की बात है। अगर प्रशासन सजग होता तो शायद गोकशी करने की हिम्मत जल्दी किसी को नहीं पड़ती लेकिन प्रशासन की ढिलाई ने एक बार फिर बेगुनाहों की जान ही नहीं ले ली बल्कि क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव पैदा करके आपसी सौहार्द को बिगाड़ दिया गया। गोकशी को लेकर लोगों में पैदा आक्रोश स्वाभाविक है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि कानून को अपने हाथ लेकर उसे मजाक बना दिया जाय।हमेशा इस तरह के मौकों पर कुछ अराजकतत्व भीड़ में घुसकर भीड़ का एक हिस्सा बनकर अराजकता पैदा करने लगते हैं और इस घटना में भी कुछ ऐसे तत्व जरूर शामिल थे जिन्होंने पथराव के साथ साथ पुलिस पर फायर भी किया क्योंकि अगर फायरिंग नहीं होती तो पोस्टमार्टम में गोली लगने की पुष्टि नहीं होती। घटना की सूचना मिलते ही सक्रिय हुयी सरकार की सक्रियता के चलते हत्या के बाद बिगड़ते माहौल और फैलते साम्प्रदायिक उन्माद को व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के सहारे नियंत्रित कर लिया गया है लेकिन आग आज भी सुलग रही है।


मुख्यमंत्री ने अड़तालीस घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट पेश करने आदेश दिये हैं तथा घटना में शहीद सब इन्सपेक्टर सुबोध कुमार की पत्नी को पचास लाख तथा उनके माता पिता को दस लाख रूपये सहायता के रूप में देने की घोषणा की है। इतना ही नहीं इसकी जांच में विभिन्न एजेंसियों के साथ मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दिए गए हैं।इस घटना के बाद राजनैतिक माहौल भी गरमा गया है और विपक्षी दलों ने योगीराज को जंगलराज करार देते हुए घटना की निंदा करने की शुरूआत कर दी है। जिन असमाजिक तत्वों द्वारा गोकशी करके माहौल बिगाड़ने और सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की वह इस घटना के बाद नेपथ्य में चले गये हैं। इस घटना के बाद व्यापक पैमाने पर गोकशी करके माहौल बिगाड़ने वालों की जगह पुलिस इस घटना में शामिल लोगों की तलाश में जुट गयी है। यह तो तय है कि सरकार के लगातार प्रयास के बाद गोकशी न रूकने के पीछेे प्रशासनिक मिलीभगत की बू आ रही है तथा इतने व्यापक पैमाने पर गौकशी एक सोची समझी रणनीति एवं साजिश के तहत की गई है जिसका पर्दाफाश होना भविष्य के लिए आवश्यक है। उन तत्वों का पता लगना जरूरी है जिन्होंने ऐसी घिनौनी हरकत करने की हिम्मत की है।

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