बुलंदशहर

'अर्थ गंगा' के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंगा बेसिन में कम से कम 75 गंगा सहकार गाँव स्थापित होंगे, जानिए पूरी बात

Shiv Kumar Mishra
6 Sept 2022 12:40 PM IST
NMCG, Sahakar Bharti, Bulandshahr, UP, Farmers, Natural Farming, Workshop,
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NMCG, Sahakar Bharti, Bulandshahr, UP, Farmers, Natural Farming, Workshop,

एनएमसीजी और सहकार भारती ने बुलंदशहर, यूपी में 400 से अधिक किसानों के लिए प्राकृतिक खेती पर कार्यशाला आयोजित की

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और सहकार भारती ने आज उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के मुबारिकपुर बांगर गांव में 400 से अधिक किसानों के लिए एक 'विशाल किसान सम्मेलन' कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला अर्थ गंगा के तहत प्राकृतिक खेती और अन्य हस्तक्षेपों को बढ़ावा देने के लिए गंगा बेसिन में कम से कम 75 गंगा सहकार ग्राम स्थापित करने के लिए एनएमसीजी और सहकार भारती के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) का हिस्सा थी। कार्यशाला/बैठक का उद्देश्य जलज, प्राकृतिक खेती, घाट पे हाट, कीचड़ से खाद, कृषि/बागवानी उत्पाद का विपणन, पर्यटन आदि का अभिसरण सुनिश्चित करने के लिए अर्थ गंगा संबंधी सभी पहलों को एक साथ लाना था।

इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के 400 से अधिक किसानों के अलावा, जिला स्तर के अधिकारियों, राज्‍य स्‍वच्‍छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश, भारतीय वन्यजीव संस्थान, नेहरू युवा केन्‍द्र संगठन, गंगा विचार मंच और अन्य स्वयंसेवकों ने भाग लिया। किसानों के लिए उपेन्‍द्र नगर के खेतों का एक दौरा भी आयोजित किया गया, जिसमें भाग लेने वाले किसानों और अधिकारियों को प्राकृतिक खेती की तकनीक दिखाई गई। हाल ही में, 18 से 22 अगस्त 2022 तक, एनएमसीजी ने गंगा बेसिन के लगभग 30 किसानों के लिए सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (एसपीएनएफ) तक प्रशिक्षण और कार्यशाला शिविर शिरडी, महाराष्ट्र में आयोजित किया।

सभा को संबोधित करते हुए महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने कहा कि एनएमसीजी और सहकार भारती के बीच सहयोग दीर्घकालिक कृषि और शून्य बजट प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में सकारात्मक वातावरण बना रहा है। दोनों के बीच सहयोग गंगा बेसिन में गंगा सहकार ग्राम स्‍थापित करने की अनूठी पहल पर केन्द्रित है और इसे एक सफल मॉडल के रूप में बनाने और अन्य गांवों में दोहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। अशोक ने कहा, " यह पहल प्राकृतिक खेती के माध्यम से रोजगार सृजन पर केन्‍द्रित है और कृषि के दीर्घकालिक विकास और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक लंबा सफर तय करेगी। उन्‍होंने कहा, " निकट भविष्य में एनएमसीजी द्वारा ऐसी कई कार्यशालाएं/ बैठकें आयोजित की जाएंगी।"

जी. अशोक कुमार ने अर्थ गंगा अवधारणा का अवलोकन भी किया और कहा कि इन पहलों को अर्थ गंगा अभियान के तहत हाथ में लिया गया है। उन्होंने शून्य बजट प्राकृतिक खेती सहित अर्थ गंगा के महत्वपूर्ण घटकों की चर्चा की, जिससे किसानों के लिए "प्रति बूंद अधिक शुद्ध आय", 'गोबर धन' सृजित करने, मुद्रीकरण और कीचड़ और अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग, आजीविका सृजन के अवसर जैसे जलज, 'घाट में हाट', स्थानीय उत्पादों का प्रचार, आयुर्वेद, औषधीय पौधे, गंगा प्रहरी जैसे स्वयंसेवकों के क्षमता निर्माण, हितधारकों के बीच बढ़े हुए तालमेल को सुनिश्चित करने के लिए जन भागीदारी आदि शामिल है। उन्होंने सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन के बारे में भी बात की, जो सामुदायिक जेटी, योग को बढ़ावा देने, साहसिक पर्यटन आदि के माध्यम से नौका पर्यटन की शुरुआत पर विचार कर रहा है।

सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डी.एन. ठाकुर ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सहकार गंगा ग्राम एक व्यापक कार्यक्रम है जो किसानों को न केवल अपने खेतों को तैयार करने बल्कि फसल विविधीकरण, फसलों को सुरक्षित रखने, उचित विपणन, तकनीकी क्षमता निर्माण और किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाने के बारे में उन्‍हें प्रशिक्षित करता है।

एनएमसीजी और सहकार भारती के बीच केन्‍द्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में 16 अगस्त, 2022 को 'यमुना पर आजादी का अमृत महोत्सव' के अवसर पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन जन भागीदारी से स्‍थायी और व्यवहार्य आर्थिक विकास और अर्थ गंगा के आज्ञा पत्र को साकार करने की दिशा में स्थानीय सहकारी समितियों के सृजन और सुदृढ़ीकरण पर सहयोग की परिकल्‍पना पर गौर करता है। समझौता ज्ञापन में गंगा नदी के प्रमुख मार्ग वाले पांच राज्यों में 75 सहकार गंगा ग्रामों को स्थापित करना, किसानों, गंगा के किनारे वाले राज्यों में एफपीओ और सहकारी समितियों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और 'अधिक शुद्ध आय प्रति बूंद' उत्पन्न करना, बाजार लिंकेज के निर्माण के माध्यम से गंगा ब्रांड के तहत प्राकृतिक खेती/जैविक उत्पादों के विपणन की सुविधा प्रदान करना, आर्थिक सेतु के माध्यम से लोगों और नदी के बीच सम्‍पर्क को बढ़ावा देना शामिल है।

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