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- भेड़ की जान बचाने के...
भेड़ की जान बचाने के चक्कर में नदी में डूब गया गड़ेरिया
वाराणसी। चंदौली जनपद के सय्यद राजा इलाके में एक भेड़ की जान बचाने में एक गड़रिये की जान चली गयी।एक भेड़ और एक युवा गड़रिये के बीच दोस्ती कितनी गहरी हो गई थी इसकी गवाह चंदौली जिले के सैय्यदराजा थानाक्षेत्र में बाढ़ के चलते उफनाई कर्मनाशा नदी रविवार को बनी।यहां एक गड़रिये की मौत जान से प्यारी भेड़ की जान बचाने में डूबने से हो गई।
बताया जाता है कि 35 साल का परसोत पाल अपनी भेड़ को पीठ पर लादकर कर्मनाशा नदी तैरकर रोजाना उस पार चराने जाता था।रविवार को भी ऐसा ही हुआ प्रसोत पाल जब भेड़ ले कर नदी के बीच पहुंचा तो वह डूबने लगा नदी के किनारे साथ के खड़े गड़रिया किनारे से आवाज लगाने लगे कि भेड़ को छोड़ दो लेकिन वह नहीं माना। जान से प्यारी भेड़ की जान बचाने की अंत तक कोशिश करते-करते वह खुद भी नदी में डूब गया।
चंदौली जिले के सैयदराजा थाना क्षेत्र में हलुआ नरहन गांव में प्रसोत पाल की भेड़ से दोस्ती इस कदर थी के वह इसे हमेशा हरी घास खिलाने की कोशिश करता था।हरी घास चराने की रविवार को उसने फिर ठानी और अपनी प्यारी भेड़ को लेकर कर्मनाशा नदी में कूद पड़ा। नदी में अंदर घुसने के बाद पानी का बहाव अचानक तेज होने से पीठ पर लदी भेड़ डूबने लगी।डूबती हुई भेड़ को बचाने के लिए उसे गोदी में ले लिया और तैरने की रफ्तार तेज कर दी लेकिन पानी का बहाव उससे भी तेज था।
भेड़ को जोरदार तरीके से पकड़ने की वजह से वह ठीक से तैर नहीं पा रहा था। ऐसा देखकर जब वह डूबने लगा तो किनारे खड़े साथी उसको भेड़ छोड़कर बाहर निकलने की आवाज लगाते रहें लेकिन वह नहीं माना,भेड़ के साथ वह भी डूब गया।
प्रत्यक्षदर्शी सुरेश ने बताया कि यदि वह भेड़ को छोड़कर तैर कर बाहर निकलता तो उसकी जान बच सकती थी। प्रसोत के डूबने के बाद घंटों मशक्कत करके गोताखोरों ने लाश को निकाला।पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।