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- विकास के दावों के बीच...
विकास के दावों के बीच अयोध्या के जिला अस्पताल की यह तस्वीर चौंकाने वाली, बीमार छात्रा को बेंच पर बैठा हाथ में थमा दी ग्लूकोज की बोतल
रामनगरी को विश्वस्तरीय शहर बनाने का दावा जोर-शोर से किया जा रहा है। विकास के दावों के बीच सोमवार को जिला अस्पताल से संवेदनहीनता और अव्यवस्था की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने इन दावों की पोल खोलकर रख दी है। यहां खून कम होने के बाद इलाज के लिए पहुंची एक 14 वर्षीय छात्रा को बेड ही नहीं दिया गया। हालत बिगड़ी तो ग्लूकोज की बोतल लगाकर बेंच पर ही बैठा दिया और बोतल उसके भाई को थमा दी।
ग्राम मलेथू कनक निवासी प्रशांत तिवारी ने बताया कि उनकी बहन अंशिका तिवारी (14) की तबीयत बिगड़ गई थी। बुखार और उल्टियां आने के साथ उसका हीमोग्लोबिन भी कम हो गया था। इस वजह से वह दोपहर में ही बहन को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। इस दौरान उसने इमरजेंसी में चिकित्सक को दिखाया। चिकित्सक ने उसे भर्ती कराने की सलाह देते हुए चाइल्ड वार्ड में भेज दिया। यहां पहुंचा तो बच्चा वार्ड में मौजूद नर्सों ने भर्ती करने से साफ मना कर दिया।
उन्होंने कहा कि यह 13 बेड का वार्ड है और फुल चल रहा है। हम भर्ती नहीं करेंगे। मन मसोसकर बाहर आए भाई ने बहन की बिगड़ती हालत देखी तो डॉक्टरों से गुहार लगाई। इसके बाद उसे ग्लूकोज चढ़ाने के लिए लगाई गई लेकिन बेड खाली न होने के कारण उसे वार्ड के बाहर ही बैठा दिया।
बीमार छात्रा बाहर पड़ी बेंच पर बैठकर ग्लूकोज चढ़वाती रही और भाई हाथ में बोतल लिए खड़ा रहा। आधी बोतल खत्म हो जाने के बाद भी उसे भर्ती नहीं किया गया। इस दौरान उनके अन्य परिवारीजन भी वहां पहुंच गए।
अंशिका की स्थिति को देखते हुए उनके चाचा और अन्य परिवारीजन भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने उसे किसी तरह से भर्ती करने की अपील की। इसके बाद उन्हें पास ही स्थित होल्डिंग वार्ड में भेजा गया, लेकिन वहां मौजूद स्टॉफ ने बताया कि वार्ड पूरी तरह से फुल हैं, यहां अब किसी तरह की जगह नहीं है।
इस मामले की सूचना जैसे ही अमर उजाला टीम को मिली तो मौके पर पहुंचकर बच्चा वार्ड में किनारे खाली पड़ी बेंच पर अंशिका के लेटने की व्यवस्था कराई। इस दौरान अस्पताल स्टाफ की भी आंखें खुलीं और बेड का इंतजाम किया जाने लगा। भाई प्रशांत तिवारी ने बताया कि मेडिकल वार्ड में बेड की व्यवस्था की जा रही है।