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अयोध्या: मस्जिद के लिए दी गई जमीन से नाखुश है मुस्लिम पक्षकार, खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन की घोषणा कर दी गई है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस फैसले को पढ़कर सुनाया। इसके बाद ही प्रदेश की योगी सरकार ने भी अयोध्या जिले के रौनाही में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन का आवंटन कर दी। लेकिन मस्जिद के लिए राज्य सरकार की ओर से अलॉट की गई पांच एकड़ भूमि से मुस्लिम पक्ष संतुष्ट नहीं है। मुस्लिम पक्षकारों ने रामकोट स्थित श्रीरामजन्मभूमि से 25 किमी दूर रौनाही थाने के पीछे दी गई भूमि को मस्जिद के लिए अनुपयुक्त बताया है।
आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के मुताबिक मस्जिद निर्माण के लिए भूमि उपयुक्त जगह पर नहीं दी गई है। वहां अयोध्या के लोग नमाज पढ़ने नहीं जा सकते। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अब राज्य सरकार के आवंटन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने श्रीरामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद को लेकर अंतिम फैसला नौ नवंबर 2019 में सुनाया। विराजमान रामलला को उनका जन्मस्थान मानते हुए संपूर्ण अधिग्रहीत भूमि केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाकर सौंपने का आदेश दिया। जबकि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या में उपयुक्त स्थान पर पांच एकड़ भूमि मस्जिद के लिए देने को कहा था।
राज्य सरकार ने बुधवार को मस्जिद के लिए पांच एकड़ भूमि का आवंटन किया। यह भूमि लखनऊ हाईवे पर स्थित रौनाही थाना के ठीक पीछे धन्नीपुर गांव की है। हालांकि जिला प्रशासन ने भूमि आवंटन के लिए तीन स्थानों का ब्यौरा भेजा था। इसमें सबसे ज्यादा दूर यही जगह थी जिसे मुस्लिम पक्ष ने प्रशासन के अधिकारियों के साथ बातचीत में पहले ही अनुपयुक्त बताया था।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि उनकी ओर से बिजली शहीद मस्जिद के पास भूमि देने का सुझाव दिया गया था। लेकिन सरकार ने अयोध्या से 25 किमी. दूर जमीन देकर न्याय नहीं किया है। जिस मस्जिद के एवज में फैसला आया, इसके लिए आसपास ही भूमि मिलनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसला का अनुपालन नहीं हुआ है। उतनी दूर अयोध्या के लोग नमाज कैसे पढ़ेंगे।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि राज्य सरकार ने मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन जिस स्थान पर दी है वहां मस्जिद बनाने का कोई औचित्य नहीं होगा। हमने तो पंचकोसी और चौदहकोसी के बाहर उदया कॉलेज के पास चक्रतीर्थ इलाके में पांच एकड़ भूमि देने का सुझाव दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट जाकर उपयुक्त स्थान देने के लिए न्याय मांगने का ही रास्ता बचा है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड यह जमीन स्वीकार करेगा तो किसके लिए।