अयोध्या

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर फारुक अब्दुल्ला का बड़ा बयान

Special Coverage News
4 Jan 2019 9:20 AM GMT
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर फारुक अब्दुल्ला का बड़ा बयान
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फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि राम सबके भगवान हैं, जिस दिन समाधान हो जाएगा मैं खुद वहां ईंट लगाने जाऊंगा?

नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने इस मसले पर बड़ा बयान दिया है। फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि इस मसले को बातचीत से सुलझा लेना चाहिए था, कोर्ट तक जाना ही नहीं चाहिए था। फारुक अब्दुल्ला बोले कि भगवान राम सभी के हैं, कानून बनाकर राम मंदिर बनाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि राम सबके भगवान हैं, जिस दिन समाधान हो जाएगा मैं खुद वहां ईंट लगाने जाऊंगा। उन्होंने कहा कि भगवान राम से किसी को बैर नहीं होना चाहिए।

अब्दुल्ला ने कहा कि इस मामले पर चर्चा होनी चाहिए और इसका समाधान ढूंढा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'इस मामले को कोर्ट में ले जाने की क्या जरूरत है? मुझे पूरा भरोसा है कि बातचीत के जरिए इसे सुलझाया जा सकता है।' अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि भगवान राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, वह पूरी दुनिया के हैं। उन्होंने कहा, 'भगवान राम से किसी को बैर नहीं है और होना भी नहीं चाहिए। कोशिश करनी चाहिए मामले को सुलझाने की और बनाने की। जिस दिन यह हो जाएगा, मैं भी एक पत्थर लगाने जाऊंगा।' इस दौरान अब्दुल्ला ने बीजेपी पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने पिछले पौने पांच साल में कुछ भी नहीं किया। उन्होंने कहा, 'मंदिर बनाने से बीजेपी का कोई सरोकार नहीं है। ये लोग सिर्फ कुर्सी पर बैठने के लिए मंदिर की बात उठाते हैं।'



आपको बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में अब 10 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। 10 जनवरी को मामला सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की स्पेशल बेंच के सामने जाएगा। 6 या 7 जनवरी को इस बेंच में शामिल जजों के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा। जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद इस मामले में सुनवाई के लिए कोई विशेष पीठ नहीं थी। सीजेआई ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए एक रेग्युलर बेंच बनेगी, जो 10 जनवरी को इस मामले में आगे के आदेश परित करेगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वकील हरिनाथ राम की तरफ से दाखिल की गई उस पीआईएल को भी खारिज कर दिया है, जिसमें अयोध्या विवाद की रोजाना सुनवाई की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस कदर भीड़ थी कि पैर रखने की भी जगह नहीं थी। सीजेआई के सामने जब मामला आया तो उन्होंने कुछ ही सेकंड में 10 जनवरी को सुनवाई की बात कही।

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