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भाजपा की रोली सिंह व सपा की इंदू सेन के बीच मुकाबला..
जिला पंचायत अध्यक्षी अपने खेमे में करने के लिए सपा व भाजपा के महारथियों ने व्यूह रचना कर लिया है। बसपा व निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य 'जो भी ज्यादा ख्याल रखे' की भूमिका में हैं। पंचायत चुनावों में सत्ता के दुरुपयोग से सपा आशंकित है। चुनाव फर्च फर्च हुआ तो जीत का आंकड़ा सपा के पास है।
जिला पंचायत के इतिहास में अभी तक भाजपा अध्यक्ष पद को अपनी झोली में नहीं डाल पाई है। फैजाबाद की राजनीति में पूर्व सांसद स्वर्गीय मित्र सेन यादव और वर्तमान सांसद लल्लू सिंह ने जो चाहा सो किया लेकिन लल्लू सिंह के खाते में जिला पंचायत अध्यक्षी शून्य में दर्ज है. सब कुछ मैनेज रहा तो लल्लू सिंह की यह कसक दूर हो सकती है हालांकि लल्लू सिंह के करीबी इंद्रभान सिंह को टिकट नहीं दिया गया है। इंद्रभान सिंह पार्टी के बुरे दिनों के कार्यकर्ता हैं।
समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद मित्रसेन यादव की बहू इंदू सेन यादव को प्रत्याशी घोषित कर अपना कील कांटा दुरुस्त कर लिया है। इंदू सेन यादव हरिग्टनगंज से दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य हैं और उसके पहले ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं।इनके पति आनंद सेन यादव बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। जब तक मित्रसेन यादव जिंदा रहे तब तक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जिला पंचायत चुनाव में उनकी ही रणनीति सफल रही।
सेन परिवार को पूर्व सांसद की कमी खल रही है। पार्टी नेताओं को भी लग रहा है कि सत्ता पक्ष प्रशासन का इस्तेमाल करेगा। पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद, पवन पांडेय के नेतृत्व में पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस करके शंका जताई है। बाहुबली, पूर्व विधायक अभय सिंह की भूमिका इस चुनाव में महत्वपूर्ण है। भाजपा भी जानती है कि अभय सिंह की नकेल ना कसी गई तो अध्यक्षी दूर की कौड़ी साबित होगी। अभय सिंह ने अपने विधानसभा की चारों सीटों पर अपना प्रत्याशी जिताया है। लखनऊ के एक पुराने मामले में अभय सिंह को घेरने की कोशिश की जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने रोली सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया है इनके पति ट्रांसपोर्टर है। रोली सिंह को टिकट मिलने के बाद जीत चाहे सपा की हो या भाजपा की, अध्यक्ष की कुर्सी पर लगातार चौथी बार महिला ही विराजमान होगी। इसके पूर्व सोना देवी, मीना गुप्ता व श्वेता सिंह के खाते में प्रथम नागरिक का रुतबा दर्ज है।
अयोध्या नगरनिगम के नए परिसीमन के बाद जिला पंचायत में सदस्यों की संख्या चालीस रह गई है। इस बार के चुनाव में समाजवादी पार्टी के 17, भारतीय जनता पार्टी के आठ, बहुजन समाज पार्टी के 4 व 11 निर्दलीय सदस्य चुने गए हैं। निर्दलीय सदस्यों में 4 सदस्य समाजवादी पार्टी के बागी हैं जिन्हें पार्टी अपने खाते में जोड़कर चल रही है। पूर्व मंत्री पवन पांडे का कहना है कि इसके अलावा पार्टी के संपर्क में 5 सदस्य और हैं। बहुमत का आंकड़ा होने के बावजूद सपा भयभीत है कि भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर सकती है।
भाजपा को भरोसा है कि जीत उसकी ही होगी। हार जीत के गुणा गणित में जो सबसे महत्वपूर्ण कारक है वो है लक्ष्मी कृपा। इस कारक के चलते दलीय प्रतिबद्धता तार तार हो जाती है। इतना तय है कि जीत की चाभी बसपा व निर्दलीयों के हाथ में है। जो भी उम्मीदवार इन्हें 'अपना' बना लेगा उसी के माथे जनपद के प्रथम नागरिक होने का सेहरा बंधेगा।