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- एक तरफ बन रहा है राम...
एक तरफ बन रहा है राम का भव्य मंदिर, दूसरी तरफ शहीद कारसेवक का परिवार खाने को मोहताज
अयोध्या: 2 नवंबर 1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान विवादित ढांचे पर भगवा ध्वज लहराने पहुंचे रमेश पांडे को सुरक्षा बलों ने मार दी थी गोली।अयोध्या में 5 सौ सालों के लंबे संघर्षों और बलिदानों के बाद रामनगरी अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। बहुप्रतीक्षित भगवान राम के मंदिर के लिए देश के कई कार सेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी है।
सैकड़ों कार सेवकों में एक शहीद कारसेवक रमेश पांडे भी थे। जो मंदिर आंदोलन को धार देने के लिए अपने प्राण को न्योछावर कर दिए। परिणाम स्वरूप रामलला टेंट से मंदिर में प्रवेश कर गए और अब श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। लेकिन आज शहीद कारसेवक रमेश पांडे का परिवार बदहाली में जीवन यापन कर रहे हैं।
दरअसल राम मंदिर आंदोलन के दौरान 2 नवंबर 1990 में तत्कालीन विवादित ढांचे पर जय श्री राम लिखें झंडे को लगाने के लिए चढ़ गए और उस झंडे को लगा दिया लेकिन इस घटना की जानकारी पहले ही पता चल चुका था।
जिसके कारण पूरे राम जन्मभूमि परिसर में सुरक्षा बलों को बड़ी मात्रा तैनात कर दिया गया था। फिर भी लाखों की संख्या में पहुंचे। कारसेवकों ने झंडा लगाए जाने की योजना बना रखी थी और परिसर में घुस गए जब तक सुरक्षा के जवान कोई निर्णय ले सके। तब तक रमेश पांडे ढांचे पर चढ़ गए और झंडे को लगा दिया।
लेकिन इस घटना की जानकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को भी मिल चुकी थी और उन्होंने सुरक्षाबलों से गोली चलाने का आदेश दिया। और सुरक्षा के जवानों के द्वारा चलाई गई गोली सबसे पहले रमेश पांडे को लगी और वह ढांचे से नीचे गिर गए। इसके बाद हुए गोलीकांड में हजारों कारसेवकों की भी मौतें हुई।
शहीद कारसेवक रमेश पांडे की पत्नी गायत्री देवी बताती हैं कि 1990 में मेरे पति शहीद हो गए। उस समय हमारे छोटे-छोटे बच्चे थे। हमने कई बार देश के नेताओं से मुलाकात की।
जब महंत रामचंद्र परमहंस दास जी जीवित थे तब भी हम तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह से मिले थे। उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात हुई।
मैंने बताया कि, हमारा परिवार किराए के माकन में रह रहा है. जिसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया था। लेकिन उसके बाद लगातार आश्वासन मिलता रहा।
अभी तक कुछ नहीं हुआ है। इतने साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली। वही बताया कि किसी तरह पूरे परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।
वहीं बेटा सुरेश पांडे ने कहा कि नौकरी और आर्थिक मदद के लिए बहुत आश्वासन मिला लेकिन कार्य किसी ने नहीं किया। आज राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है।
उसको लेकर कई बार ट्रस्ट के सदस्यों से भी मुलाकात की गई लेकिन कोई उचित जवाब नहीं मिला जबकि सरकार ने भी नौकरी देने की बात कही थी। लेकिन जब 2 नवबर आता है तो कुछ लोग आज भी हमारे पिता स्वर्गीय रमेश पांडे को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचते हैं।