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आखिर खत्म हुआ 28 सालों का इंतजार, टेंट से निकल अस्थायी मंदिर में शिफ्ट हुए रामलला, कम योगी बने गवाह
अयोध्या : जन्मभूमि परिसर में रामलला बुधवार को नवरात्रि के पहले दिन अस्थाई फाइबर मंदिर में विराजमान हो गए। बीते 28 सालों से टेंट में विराजमान रामलला की शिफ्टिंग से पहले अस्थायी मंदिर का शुद्धिकरण किया गया। इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
ब्रह्म मूहूर्त में अस्थायी मंदिर में शिफ्ट हुए रामलला
बुधवार को सुबह ब्रह्म मूहूर्त में करीब 4 बजे श्रीरामजन्मभूमि परिसर में स्थित गर्भगृह में रामलला को स्नान और पूजा-अर्चना के बाद अस्थायी मंदिर में शिफ्ट कर दिया गया। फाइबर के नए मंदिर में रामलला को विराजमान करने के लिए अयोध्या के राजघराने की तरफ से चांदी का सिंहासन भेंट किया गया है। साढ़े नौ किलो का यह सिंहासन जयपुर से बनवाया गया है।
अब चांदी के सिंहासन पर विराज रहे रामलला
जिस आकर्षक सिंहासन पर श्रीरामलला विराजमान हुए हैं, उसके पिछले हिस्से पर सूर्य देव की आकृति और दो मोर बने हैं। अब तक मूल गर्भगृह के अस्थायी मंडप में रामलला लकड़ी के सिंहासन पर विराजित थे। अयोध्या राजघराने के राजा विमलेंद्र मोहन मिश्र स्वयं यह सिंहासन लेकर अयोध्या से आए थे।
नए आसन पर रामलला के साथ तीनों भाई भी
मंत्रोच्चार के साथ रामलला को उनके तीनों भाइयों और सालिकराम के विग्रह के साथ अस्थायी नए आसन पर शिफ्ट किया गया। नए मंदिर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला की आरती की। इस दौरान सीएम योगी ने भव्य मंदिर के निर्माण हेतु ₹11 लाख का चेक भेंट किया।
इससे पहले नए मंदिर के शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए दिल्ली, काशी, मथुरा व प्रयागराज के 24 पंडित आए थे। प्रसिद्ध वैदिक आचार्य डॉक्टर कृति कांत शर्मा ने सोमवार से ही यह अनुष्ठान शुरू कर दिया था।
कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए इस दौरान भीड़ से बचने की कोशिश की गई थी। नए अस्थायी मंदिर में शिफ्टिंग के दौरान सीएम योग के अलावा रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, ट्रस्ट के सदस्य राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, सदस्य अनिल मिश्रा, ट्रस्ट के महासचिव चपंत राय, दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास और अवनीश अवस्थी मौजूद रहे।
फाइबर का नया मंदिर 24x17 वर्गफुट आकार के साढे तीन फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है। इसके शिखर की उंचाई 25 फुट है। इसके चारों तरफ सुरक्षा को लेकर एंगल व बॉर्डर का मजबूत जालीदार कवच बना है। श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए तीन हिस्से से होकर गुजरना पड़ेगा, जिसकी लंबाई मात्र 48 मीटर की होगी। सुरक्षा को लेकर पूरे रास्ते में एलईडी बल्बों से रोशनी का इंतजाम किया गया है। फाइबर मंदिर की दीवारें मलेशिया की ओक लकड़ी की स्ट्रिप्स को जोड़ कर खड़ी की गई हैं।