अयोध्या

अयोध्या में संत परमहंस दास ने किया चुनाव लड़ने का एलान, बोले- बीजेपी टिकट देती है तो ठीक नहीं तो...

अयोध्या में संत परमहंस दास ने किया चुनाव लड़ने का एलान, बोले- बीजेपी टिकट देती है तो ठीक नहीं तो...
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अयोध्या। अयोध्या में संत जगतगुरु परमहंस दास ने चुनाव लड़ने का एलान किया है. मतदाता दिवस के मौके पर हवन पूजन कर, मतदान का संकल्प कराते हुए संत परमहंस दास ने दावा किया कि बीजेपी को समुचित प्रत्याशी नहीं मिल पा रहा है ऐसे में वह अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे और संत समाज के उत्थान के लिए वह काम करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर योगी आदित्यनाथ यहां से चुनाव लड़ते तो उनका स्वागत था लेकिन गोरखपुर सदर से उनके चुनाव लड़ने के एलान के बाद संत परमहंस दास ने चुनावी ताल ठोंक कर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है।

संत परमहंस ने किया चुनाव लड़ने का एलान

संत परमहंस दास ने कहा कि भगवान राम की नगरी का प्रतिनिधित्व संत समाज ही करेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर मौलवियों को तनख्वाह दी जा सकती है तो वो भी अयोध्या में संत समाज के लिए 40 हजार रुपए तनख्वाह दिलवाएंगे. इसके साथ ही मठ मंदिरों की बिजली पानी भी मुफ्त कराने का वादा किया. उन्होंने कहा कि अकर बीजेपी उन्हें टिकट देती हैं तो ठीक है नहीं तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।

बीजेपी ने नहीं दिया टिकट तो निर्दलीय लड़ेंगे

संत परमहंस दास ने कहा कि अयोध्या के साधु संत भिक्षा मांग करके मठ मंदिर का संचालन कर रहे हैं. संत समाज को जो सम्मान मिलना चाहिए वह तभी मिल पाएगा जब उनके विचारधारा का कोई जनप्रतिनिधि हो, इसलिए मैंने चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि वो बीजेपी से खुद के लिए टिकट नहीं मांगेंगे. इसके साथ ही उन्होंने अपने कामों का भी बखान किया. जगतगुरू ने कहा कि उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए आमरण अनशन किया है. अयोध्या में मांस और मदिरा के प्रतिबंधित करने के लिए जन आंदोलन किया है और वह सफल हुए हैं. इसके साथ ही वो जनसंख्या नियंत्रण, कॉमन सिविल कोर्ट, गौ रक्षा जैसे मामलों के लिए लगातार आवाज उठाते रहे हैं।

मौलवियों की तनख्वाह पर उठाए सवाल

संत परमहंस दास ने कहा कि जब मौलवियों को तनख्वाह दी जा सकती हो तो संत और महंतों को क्यों नहीं. साधु-संतों की वजह से ही देश की संस्कृति बची हुई है. हम निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करते हैं. जब योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने के कयास थे तो हमने खुशी व्यक्त की और लड्डू और पेड़ा बांट करके अपनी खुशी का इजहार भी किया था.

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