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श्रीराम और श्रीरामचरितमानस पर प्रश्न करने वाले अल्पज्ञ व दया के पात्र: जगदगुरू बल्लभाचार्य
अयोध्या। श्रीमानस सेवा समिति (मोहन मंदिर) द्वारा अपना स्वर्ण जयंती महोत्सव मणिरामदास छावनी के सभागार में आयोजित किया गया। दो दिवसीय इस समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि, प्रयागराज उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्ति न्यायाधीश सुधीर कुमार सक्सेना और विशिष्ट अतिथि जगदगुरू स्वामी बल्लभाचार्य ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
श्रीराम विनम्रता के आदर्श थे:जस्टिस सुधीर कुमार सक्सेना
इस अवसर पर मुख्य अतिथि न्यायाधीश सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा कि, "नश्वर होते हुए भी मनुष्य में अहं का भाव रहता और ईश्वर होते हुए भी श्रीराम विनम्रता के आदर्श थे।"
माता-पिता को अपने बच्चों को श्रीरामचरितमानस का पाठ पढ़ाना चाहिए: जगदगुरू बल्लभाचार्य
विशिष्ट अतिथि चारुशिला मंदिर जानकीघाट के महंत जगदगुरू स्वामी बल्लभाचार्य ने कहा कि,"आजकल देखने में आ रहा है कि कोई भी सनातन पर सवाल खड़ा कर दे रहा है। हम उनको बताना चाहेंगे की, श्रीराम मानवता के आदर्श थे। सनातन, श्रीराम और श्रीरामचरितमानस पर सवाल खड़ा करने वाले बेचारे, अल्पबुद्धि और दया के पात्र हैं। हर माता- पिता को अपने बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए श्रीरामचरितमानस और रामायण का पाठ पढ़ाना चाहिए
हर लड़की चाहती है रघुकुल जैसा ससुराल मिले: पद्मश्री डॉ. विद्याबिंदु सिंह
पद्मश्री प्रोफ़ेसर विद्याबिंदु सिंह ने कहा कि, " आजकल कहीं भी रघुकुल जैसा घराना देखने को नहीं मिलता है। महाराजा दशरथ का घराना रघुकुल अपने आप में आदर्श था। हर लड़की चाहती है उसको रघुकुल जैसा घराना (ससुराल), श्रीराम जैसा पति, राजा दशरथ जैसा ससुर, लक्ष्मण जैसा देवर और कौशल्या जैसी सास मिले।
चांडाल सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है: डॉ. एसके दीक्षित
लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ.एसके दीक्षित ने कहा कि, "समानुभव,सहिष्णुता आज की सबसे बड़ी जरूरत है। आज समाज में जो भेदभाव है उसका मूल कारण है, जाति, संप्रदाय, आर्थिक विषमता और वर्गबोध। भक्ति में इनका कोई स्थान नहीं है। वो चांडाल सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है,अगर वह भक्त है। अगर ब्राह्मण कुल में पैदा हुआ है और वह भक्त नहीं है तो व्यर्थ है।
विदेशों में भी स्थापित हो मानस सेवा समिति की शाखा: डॉ.मनमोहन सरकार
स्वर्ण जयंती महोत्सव के समापन पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मानस सेवा समिति की संस्थापक और संयोजक डॉ. मनमोहन सरकार ने कहा कि," पांच दशक की आध्यात्मिक और साहित्यिक यात्रा में आज सम्मानित होने वाली विभूतियों का आशीर्वाद हमें मिला, हम उसके आभारी हैं। हमारी अभिलाषा है कि मानस सेवा समिति और मानस मुक्तामणि की उपशाखाएं उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में और विदेशों में भी स्थापित हों। श्रीरामचरितमानस की यही भावना हमारी भावना है ,"अरथ न धरम न काम रुचि गति न चहउँ निरबान। जनम-जनम रति राम पद यह बरदानु न आन॥"
इन विभूतियों को मिला स्वर्ण व रजत पदक
आध्यात्म,साहित्य,समाज, पत्रकारिता और चिकित्सा के क्षेत्र में 21 लोगों को स्वर्ण और 11 लोगों को रजत पदक देकर सम्मानित किया गया।
स्वर्ण पदक: रामदास महाराज, गौरीशंकरदास महाराज, सुदामा कुटी वृंदावन के महंत अमरदास, मिथिलेश नन्दिनी शरण, डॉ सुनीता शास्त्री, मंदाकिनी रामकिंकर, मानस भूषण महंत राम मंगलदास ,रामानन्द दास, महंत माधवदास, वासुदेवाचार्य , सूर्य प्रसाद दीक्षित,डॉ लहरी सिंह म0प्र0, डॉ अतच्युतानन्द तिवारी संस्कृत साहित्य, प्रमोद कांत मिश्र, संगीत में महंत विजयरामदास, डॉ रमेश कुमार मिश्र दिल्ली, डॉ एस के पाठक चिकित्सक,समाजसेवी होम्योपैथी चिकित्सक डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी,आर एन सिंह लखनऊ, पूर्व प्रोफेसर डॉ कृष्ण चन्द्र लाल,
रजत पदक: बैकुंठ शरण ,विजयशंकर मिश्र ,डॉ प्रभा पंत उत्तराखंड,संतोष तिवारी उत्तराखंड, डॉ वीणा सिंह गोंडा, राजेन्द्र पांडेय, भगीरथ पचेरीवाला आदि को सारस्वत सम्मान से विभूषित किया गया।
इस अवसर पर संस्था के सचिव डॉ. वीरेंद्र त्रिपाठी,संयोजन डॉ.संजय कुमार पांडेय, संचालक विवेकानन्द पांडेय,विशाल श्रीवास्तव,,डॉ स्वदेश मल्होत्रा रश्मि, आकाशवाणी कार्यक्रम प्रभारी संजयधर द्विवेदी,शेषमणि मिश्र, विनय कुमार श्रीवास्तव, विष्णु प्रसाद नायक, डॉ.अलकेशदत्त पाठक, डॉ. सुशील कुमार पांडेय, विजय मिश्र, संजय मिश्रा,शत्रुजीत सिंह, प्रत्यूष उपाध्याय, यदुनन्दन पांडेय आदि लोग उपस्थित रहे।