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एनजीटी में दर्ज हुआ पांच खदानो पर केस, जलधारा बाधित कर गहरी खुदाई का आरोप
- लाखों जलीय जीवों की मृत्यु का आखिर कौन होगा जिम्मेदार
- अढ़ावल खण्ड 11 में पहले ही दर्ज हो चुका है केस, कोर्ट ने माना था हुआ है अवैध खनन
- अधिकारियों की लापरवाही पर कोर्ट लगा चुकी है फटकार, फिर भी नहीं हुआ सुधार
- जिले की अधिकतर खदानो में जलधारा में बीस फिट गहरी खुदाई कर रही हैवी मशीने*
फ़तेहपुर । जनपद की खदानो में हैवी मशीनों से जलधारा के बीच से मोरंग निकालने के दर्जनों वीडियो आये दिन वायरल होते हैं। मगर जिम्मेदार विभागीय अधिकारी वीडियो को पचा जाते हैं। कार्रवाई के नाम पर महज औपचारिकता पूरी कर एक दो मशीने सीज कर पल्ला झाड़ लिया जाता है। ऐसे ही एक मामले में अढ़ावल खण्ड 11 में जलधारा बांधने की शिकायत 25 नवम्बर 2020 को शिकायतकर्ता विकास पांडे ने साक्ष्यों के साथ की थी। मगर उस समय तत्कालीन डीएम संजीव सिंह व खान अधिकारी ने उसे गम्भीरता से नही लिया और जलधारा बांधकर अवैध खनन होने दिया। बार बार शिकायत करने पर 5 दिसम्बर को संयुक्त टीम ने खदान में छापा मार दो मशीने सीजकर जलधारा का एक बांध तुड़वा दिया मगर एफआईआर नहीं दर्ज करवाई।
बताते हैं उस दिन एफआईआर दर्ज न करवाने की एवज में संयुक्त टीम ने खदान संचालक से मजबूत सेटिंग की। फिर खदान संचालक बेखौफ होकर जलधारा बांधकर अवैध खनन करने लगा। जिसकी शिकायत शासन तक साक्ष्यों सहित पहुंची जिसके बाद जिला प्रशासन को जमकर फटकार मिली।तब जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने 20 दिसम्बर को जलधारा बांधकर अवैध खनन करने के मामले में थाना ललौली में पट्टेधारक रत्ना जादौन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। एफआईआर दर्ज होने के बावजूद दस दिन में ही दोबारा सेटिंग के बल पर खदान का संचालन पुनः प्रारम्भ हो गया। जिले के खनन निरीक्षक अजीत पांडे ने सिर्फ पांच लाख का जुर्माना कर खदान की ओटीपी चालू करवा दी।जबकि आज तक खदान में अवैध खनन की मात्रा का आकलन नहीं कर पाए।
माकूल कार्रवाई न होने से आहत पर्यावरण प्रेमी विकास पांडे ने 24 दिसम्बर को एनजीटी कोर्ट में मामले का केस दर्ज कराया। जिसकी सुनवाई क्रमशः दो तीन बार अलग अलग तिथियों में एनजीटी कोर्ट में हुई। कोर्ट ने माना की खदान में जलधारा बांधकर अवैध खनन हुआ मगर कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील के निवेदन पर ब्यवस्था सुधारने व मामले पर ठोस कार्रवाई करने का आदेश दिया साथ ही कोर्ट ने कहा अब कार्रवाई सेंट्रल पीसीबी के निर्देशन पर की जाएगी। अभी उस मामले की गर्माहट जिले से कम नहीं हुई थी कि पर्यावरण प्रेमी शिकायतकर्ता विकास पांडे ने दोबारा जिले की पांच खदानो के खिलाफ एनजीटी में केस दर्ज कराया है।
उन्होंने बताया कि जिले की खदानो में कुछ नेताओं व नौकरशाहों की वजह से जमकर अवैध खनन हो रहा है। खदान संचालक बेखौफ होकर हैवी मशीनों से यमुना में बीस बीस फिट गहरी खुदाई कर रहे हैं। जिससे एक ओर जलधारा बाधित हो रही है जबकि दूसरी ओर लाखों जलीय जीवों की हत्या हो रही है। शिकायतकर्ता ने कहा कि जनपद के अधिकारी अवैध खनन के प्रति गंभीर नहीं है। उन्हें जलधारा बांधना महज एक छोटी सी गलती लगती है। उन्होंने बताया कि एनजीटी में अढ़ावल कम्पोजिट वन, कम्पोजिट टू, कोर्रा, रामनगर कौहन व रानीपुर 2 के खिलाफ केस दर्ज कराया है। साथ ही कोर्ट से सीबीआई जांच की भी मांग की है ताकि जिले के उन अधिकारियों की भी जांच हो सके जो जिले से बीते वर्ष अवैध खनन करवाकर करोड़ों रुपये लूट चुके हैं और आज भी कुछ अधिकारी उसी रैकेट का हिस्सा बनकर काम कर रहे हैं।