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- लिपिक की फर्जी...
- जांच में लिपिक व उसकी मां को दोषी सिद्ध कर चुकी है टीम !
- कई वर्षों से सरकारी धन का लाभ उठा रहा है लिपिक !
- तथ्य छिपाकर हुई थी मृतक आश्रित में फर्जी नियुक्ति !
- सदर नगरपालिका में सरकारी बजट का भी हो चुका है बड़ा खेल ! 👉
( विवेक मिश्र )
सदर नगर पालिका में बीते कुछ वर्षों में सरकारी बजट का भारी खेल हुआ, कई फर्जी नियुक्तियां हो गई ! तत्कालीन चेयरमैन ने पद का दुरूपयोग कर लोगों को नियम विपरीत पदों पर नियुक्ति दे दी। ऐसा एक मामला न्यायालय तक भी पहुंचा था मगर एक माफिया के कॉकस व सिस्टम में मजबूत सेटिंग के चलते आज भी कई फर्जी नियुक्त किये गए लोग मलाईदार कुर्सियों में नौकरी कर रहे हैं। जिनमे से एक बाबू की नियुक्ति को तो जांच टीम ने अवैध बताकर शासन को भी भेज दिया है मगर फाइल जनपद स्तर में दबी होने के चलते अंतिम आदेश नहीं हो सका है !
आपको बता दें कि नगरपालिका में पूर्व में लिपिक के पद पर तैनात रहे स्व. मुबीनुल इस्लाम की मृत्यु हो जाने के उपरांत उनके पुत्र सैफुल इस्लाम की नियुक्ति मृतक आश्रित के आधार पर उनके पिता के स्थान पर हुई थी ! सैफुल इस्लाम की मां हसीन फात्मा भी इस समय सरकारी नौकरी में थी इस बात को छिपाकर पिता के स्थान पर मृतक आश्रित की जगह सैफुल इस्लाम की नियुक्ति कर दी गई। 2003 में सैफुल इस्लाम की माता ने एक शपथ पत्र भी दिया था जिसमे स्वयं के सरकारी नौकरी में होने की बात छिपाई थी। ऐसे में इनकी नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में नहीं हो सकती थी। जिसकी शिकायत पूर्व विधायक विक्रम सिंह ने शासन में की थी। जिसकी जांच के लिए उपजिलाधिकारी व अधिशासी अधिकारी की टीम बनी थी।
टीम ने जांचकर 14/03/2023 को इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी जिसमे नियुक्ति को अवैध करार दिया था। जांच टीम के पत्र के अनुसार मृतक आश्रित भर्ती नियमावली अधिसूचना संख्या 6/12/1973 - कार्मिक - 2/99 दिनांक 20/01/1999 एवम मृतक आश्रित भर्ती नियमावली अधिसूचना संख्या 6/12/1973 - कार्मिक - 2/2006 दिनांक 28/07/2006 में विहित प्राविधानों के विपरीत की गई। इस प्रकार तथ्य छिपाये जाने के कारण सैफुल इस्लाम व उनकी माता हसीन फात्मा दोनो प्रथमदृष्टया दोषी हैं। फर्जी नियुक्ति के मामले की जांच लगभग छह माह पहले पूरी हो गई थी लेकिन नगर पालिका में अभी भी सम्बन्धित बाबू अपनी सीट पर कार्य कर रहा है।
ऐसे में नगरपालिका से लेकर सम्बन्धित विभाग के उच्चाधिकारियों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं कि आखिर अवैध नियुक्ति के मामले की फाइल स्थानीय स्तर पर क्यों दबाई गई है ! शासन ने इस मामले में डीएम को पत्र भेजकर सैफुल इस्लाम के नियुक्ति पाधिकारी व तत्कालीन अध्यक्ष के कार्यकाल की सम्पूर्ण जानकारी मांगी है। इस बाबत अधिशाषी अधिकारी फतेहपुर समीर कश्यप ने कहा कि इसमे एक कमेटी बनी है मामले की जांच चल रही है, पूर्व की जांच से उन्हें कोई मतलब नहीं है शासन ने जो निर्देेेश दिए हैं उस क्रम में कार्रवाई की जा रही है।