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- गौशाला या बेज़ुबानों का...
धीरेन्द्र सिंह"राणा"
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गौ सेवा और गौ प्रेम किसी से छिपा नहीं है, इसी कारण उनको अपना आदर्श मानने वाले युवाओं में भी गौ प्रेम देखा जा सकता है। गौ प्रेम के प्रति संजीदा होने के कारण ही योगी आदित्य नाथ बार बार प्रदेश के हर जिले की गौशालाओं की स्थिति को जानने का प्रयत्न और चर्चा करते रहते हैं। अभी हाल ही में प्रदेश के मुखिया जनपद फतेहपुर में मेडिकल कालेज के शिलान्यास करने के लिए आये थे तो भी उन्होंने जनपद में बनी गौशालाओं की चर्चा मंच से की थी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री के जनपद आने के चंद दिनों बाद ही जनपद की गौशालाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करने लगी है। बात करते हैं जिले के असोथर ब्लाक के देवलान गाव में बनी गौशाला की, जो आजकल अपनी बदईन्तजामी के लिए चर्चा में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहाँ जानवारों को भरपेट चारा नहीं दिया जाता है कुछ ग्रामीणों ने तो यहाँ तक बताया कि भूसा कई कई दिनों बाद गौशाला में आता है। जानवर भूखे ही रहते हैं और मर जाते हैं जब इसकी हकीकत जानने के लिए असोथर ब्लाक के बीडीओ को फोन किया गया तो उनका कहना था कि गौशाला के अंदर प्रेस-मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंद है।
आखिर गौशाला में ऐसा क्या है जो बीडीओ द्वारा प्रेस-मिडिया के प्रवेश को प्रतिबंधित किया गया है। कहीं इसका कारण बीडीओ साहब को मीडिया कवरेज से गौशाला की सच्चाई सामने आने का भय तो नहीं है। और वहीँ एडीओ पंचयात फोन पर साफ साफ बताने से कतराते रहे। गाव के प्रधान प्रतिनिधि तेज बहादुर यादव गौशाला के संबंध में कुछ ज्यादा तो नहीं बता सके परंतु बातों ही बातों में कह गए की दोपहर 2 बज गए हैं अभी तक न गौशाला साफ सुथरा हुई है और न ही जानवरों को चारा दिया गया है क्योंकि गौशाला में भूसा या हरा चारा कुछ भी नहीं है। वही गौशाला में जानवरो के ईलाज करने गए पशुचिकित्सक ने बताया कि बीडीओ साहब को सूचना देने के बाद भी वो एक घण्टे से गौशाला के गेट के बाहर खड़े हैं और गेट नहीं खोला जा रहा है।
गेट के बाहर खड़ी जेसीबी के ऑपरेटर रामदीन ने पूछने पर बताया कि भरपेट चारा नही मिलने के कारण अक्सर कई गायें मर रही हैं और उसे गड्डा खोदने के लिए फोन कर बुलाया जाता है। वहीँ ग्रमीणों का कहना है कि गौशाला की देखरेख न होने के कारण अंदर लगे पेड़ भी जानवारों द्वारा तोड़ दिए गए हैं ऐसे में तो गौशाला के अंदर कभी पेड़ तैयार ही नहीं हो पाएंगे और जानवरो को कभी भी प्राकृतिक माहौल नहीं मिल पायेगा। आखिर सरकार द्वारा इतना पैसा लगाने के बाद भी गौशाला की स्थिति इतनी दयनीय क्यों है?
ऐसे में ग्रामीणों में ये प्रश्न उठना लाजमी भी है कि कहीं सरकारी पैसे का दुरूपयोग तो नहीं हो रहा है ? चाहे प्राधान प्रतिनिधि हो या पशुचिकित्सक या जेसीबी ऑपरेटर या ग्रामीणों सभी ने गौशाला में पशुओं के मरने की बात कही है। ऐसे में गौशाला को जानवरों का आश्रयस्थल कहा जाये या बेजुबानों का कैदखाना।