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एनजीटी कोर्ट में हुई फ़तेहपुर के अवैध खनन पर सुनवाई, प्रशासन को फटकार
फ़तेहपुर । जिले की खदानो में हो रहे अवैध खनन का मामला इन दिनों सुर्खियों में है, नियम कानून को रौंदकर माफिया खदानो में मोरंग का अवैध तरीके से खनन व परिवहन कर रहे हैं। जिसका पहला केस एनजीटी में समाजसेवी विकास पांडे ने दर्ज कराया था। जिसमे अढ़ावल खण्ड 11 के पट्टेधारक द्वारा यमुना बांधकर अवैध खनन का मामला दर्शाया गया था। जिस पर एनजीटी कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील के निवेदन पर तीन माह का ब्यवस्था सुधारने व अढ़ावल 11 पर ठोस कार्रवाई के लिए निर्देशित किया था।
ब्यवस्था न सुधरने पर विकास पांडे ने 5 मोरंग खदानो पर पुनः याचिका जून के प्रथम सप्ताह में दाखिल की जिसकी सुनवाई 17 जून को एनजीटी कोर्ट में हुई। कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि कोर्ट को उचित कार्रवाई स्वयं करनी पड़ेगी। मुख्य न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि पिछले प्रकरण में सेंट्रल पीसीबी, यूपी पीसीबी व जिला मजिस्ट्रेट की कमेटी बनाकर निर्देशित किया गया था कि कानून के अनुसार कार्रवाई हो और अवैध खनन पर लगाम लगे मगर कोर्रा कम्पोजिट, रामनगर कौहन 2 अढ़ावल कम्पोजिट वन, अढ़ावल कम्पोजिट टू व रानीपुर 2 के मामले को देखकर ऐसा लगता है कि जनपद में ईसी के नियमो के अनुसार कार्य नहीं हो रहा।
कोर्ट की बेंच ने कहा ऐसे में जिलाधिकारी को तलब करना ही अंतिम विकल्प होगा वह कोर्ट में आकर विस्तृत बताएं कि फ़तेहपुर में नियमो का पालन क्यों नहीं हो पा रहा। 17 जून को कोर्ट के सख्त आदेश के बाद अढ़ावल खण्ड 11 को निरस्त करने की प्रक्रिया जिला प्रशासन द्वारा नोटिस भेजकर प्रारम्भ की गई। मगर आज भी कोर्रा कम्पोजिट, रामनगर कौहन, अढ़ावल कम्पोजिट वन व अढ़ावल कम्पोजिट टू में हेवी मशीने गरज यमुना की जलधारा को भेद रही हैं जबकि रामनगर कौहन व कोर्रा कम्पोजिट में क्षेत्र से हटकर अवैध खनन बदस्तूर जारी है जिस पर मजबूत कार्रवाई करने में प्रशासन विफल साबित हुआ है।
- क्या है पूरा मामला
जनपद की खदानो में हैवी मशीनों से जलधारा के बीच से मोरंग निकालने के दर्जनों वीडियो आये दिन वायरल होते हैं। मगर जिम्मेदार विभागीय अधिकारी वीडियो को पचा जाते हैं। कार्रवाई के नाम पर महज औपचारिकता पूरी कर एक दो मशीने सीज कर पल्ला झाड़ लिया जाता है। ऐसे ही एक मामले में अढ़ावल खण्ड 11 में जलधारा बांधने की पहली शिकायत 25 नवम्बर 2020 को शिकायतकर्ता विकास पांडे ने साक्ष्यों के साथ की थी। मगर उस समय तत्कालीन डीएम संजीव सिंह व खान अधिकारी ने उसे गम्भीरता से नही लिया और जलधारा बांधकर अवैध खनन होने दिया। बार बार शिकायत करने पर 5 दिसम्बर को संयुक्त टीम ने खदान में छापा मार दो मशीने सीजकर जलधारा का एक बांध तुड़वा दिया मगर एफआईआर नहीं दर्ज करवाई।
बताते हैं उस दिन एफआईआर दर्ज न करवाने की एवज में संयुक्त टीम ने खदान संचालक से मजबूत सेटिंग की। फिर खदान संचालक बेखौफ होकर जलधारा बांधकर अवैध खनन करने लगा। जिसकी शिकायत शासन तक साक्ष्यों सहित पहुंची जिसके बाद जिला प्रशासन को जमकर फटकार मिली।तब जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने 20 दिसम्बर को जलधारा बांधकर अवैध खनन करने के मामले में थाना ललौली में पट्टेधारक रत्ना जादौन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई।
एफआईआर दर्ज होने के बावजूद दस दिन में ही दोबारा सेटिंग के बल पर खदान का संचालन पुनः प्रारम्भ हो गया। जिले के खनन निरीक्षक अजीत पांडे ने सिर्फ पांच लाख का जुर्माना कर खदान की ओटीपी चालू करवा दी। जबकि आज तक खदान में अवैध खनन की मात्रा का आकलन नहीं कर पाए। मोरंग माफियाओ पर ठोस कार्रवाई न होने से आहत पर्यावरण प्रेमी विकास पांडे ने 24 दिसम्बर को एनजीटी कोर्ट में मामले का केस दर्ज कराया। जिसकी सुनवाई क्रमशः दो तीन बार अलग अलग तिथियों में एनजीटी कोर्ट में हुई।
कोर्ट ने माना की खदान में जलधारा बांधकर अवैध खनन हुआ मगर कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील के निवेदन पर ब्यवस्था सुधारने व मामले पर ठोस कार्रवाई करने का आदेश दिया साथ ही कोर्ट ने कहा अब कार्रवाई सेंट्रल पीसीबी के निर्देशन पर की जाएगी। फिर भी ज़िले में अवैध खनन व परिवहन पर लगाम नहीं लगा। इसके बाद बारा खदान पर जलधारा बांधकर अवैध खनन करने का मामला सुर्खियों में आया तो मई 2021 में एक एफआईआर दर्ज हुई। फिर ओटीपी बंद होने के बावजूद अवैध खनन करने पर अढ़ावल खण्ड 11 पर दूसरी एफआईआर जून के प्रथम सप्ताह में दर्ज हुई।
कार्रवाई के बावजूद अवैध खनन के खिलाफ जिला प्रशासन ने ठोस कार्रवाई नहीं की, न ही पट्टा निरस्तीकरण व नियमो के अनुसार अर्थदंड लगाया। तब पर्यावरण प्रेमी शिकायतकर्ता विकास पांडे ने दोबारा जिले की पांच खदानो के खिलाफ एनजीटी में केस दर्ज कराया। उन्होंने एनजीटी में अढ़ावल कम्पोजिट वन, कम्पोजिट टू, कोर्रा कम्पोजिट, रामनगर कौहन व रानीपुर 2 के खिलाफ केस दर्ज कराया था। जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की बेंच में 17 जून को हुई।
विवेक मिश्र