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Fatehpur News: सामूहिक दुष्कर्म में नहीं हुआ विधायक आवास का इस्तेमाल, तीनो आरोपी गिरफ्तार, खोला राज
- आरोपियों को पनाह देने वाले का व विधायक का नाम एक होने की वजह से फैला भ्रम
- दुष्कर्म के आरोपियों ने विधायक का नाम लेकर डराया था नाबालिग को
- विवेचना में लापरवाही बरतने पर शाह चौकी इंचार्ज निलम्बित
फतेहपुर । नाबालिग किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले का पुलिस अधीक्षक ने खुलासा किया है। जिसमें यह साबित हो गया कि पूरे मामले में अयाह शाह विधायक का कोई लेना देना नहीं था। आरोपितों ने पीड़िता को दबाव में लेने के लिये बबलू विधायक के बंगले में लाने को बताया था जबकि वह बंगला बबलू सिंह तोमर का था।
मालूम हो कि बीती 10 जून को गाजीपुर थाना क्षेत्र के मदरियापुर गाँव निवासी एक ब्यक्ति ने उसकी नाबालिग पुत्री के गायब होने की तहरीर थाना गाजीपुर में दी थी। पिता ने दो युवकों पर उसे गायब करने का आरोप लगाया था। जिस पर गुमशुदगी की धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया और शाह चौकी इंचार्ज अमित सिंह को विवेचना मिली। अमित सिंह ने आरोपियों को जेल भेजने के बजाय उनसे प्रभावित होकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया और आरोपियों को चौकी में लाकर वहीं से उन्हें छोड़ दिया। बाद में 13 जून को बच्ची को बरामद कर बिना जांच किये, बिना साक्ष्य संकलन किये आरोपियों को दोष मुक्त करार कर दिया जबकि बच्ची के साथ कई स्थानों में ले जाकर बलात्कार हुआ था। इस मामले में पीड़िता के पिता ने अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार को तहरीर देकर विवेचक बदलने की मांग के साथ न्याय की गुहार लगाई थी लेकिन मामला जस का तस रहा। तब पीड़िता व उसके पिता ने मीडिया का सहारा लिया जिसके बाद पीड़िता के पिता का एक वीडियो बयान सोशल मीडिया में वायरल हुआ जिसमें बबलू विधायक के बंगले में ले जाकर बंधक बनाने की बात पीड़िता के पिता ने कही जिसके बाद विपक्ष हमलावर हो गया।
उधर पीड़ित व उसकी नाबालिग पुत्री ने स्थानीय पुलिस पर कार्यवाही ना करने का आरोप लगा शिकायती पत्र पुलिस कप्तान सतपाल अंतिल को देकर पूरे मामले की जांच करा आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी। पुलिस कप्तान सतपाल अंतिल ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए मामले की जाँच गाजीपुर थाना प्रभारी अर्जुन सिंह व सर्विलांस सेल को सौंपी। जाँच के दौरान जब पुलिस ने पीड़िता व उसके परिजनो के साथ घटनास्थलो पर भेजकर पहचान कराई तो जो तथ्य उभरकर सामने आये वो चौंकाने वाले थे। पीड़िता को उसके गाँव से आरोपी संदीप पुत्र सरजू पटवा बहला फुसलाकर अपनी राधानगर अन्दौली पुलिया स्थित कास्मेटिक की दुकान ले गया जहाँ उसने पीड़िता के साथ बलात्कार किया। बाद में संदीप ने पीड़िता को अपने अन्य साथी राहुल कश्यप को सौंप दिया। जो कि पीड़िता को लेकर एक प्लांट में गया बाद में उसने पीड़िता को अपने साथी शुभम गुप्ता को सौंप दिया। जो की पीड़िता को पहले हसवा कस्बे स्थित रानी तालाब में गया इसके बाद हथगांव ले गया। जहाँ से वो उसे लेकर रायबरेली जिले के रामपुर कला गाँव स्थित बब्लू सिंह तोमर के निजी आवास ले गया। जहाँ उसने पीड़िता को सर्वेंट क्वार्टर में रखा। जहाँ शुभम ने उसके साथ कई दिनों तक बलात्कार किया। पीड़िता की मानें तो इसी दौरान घटना स्थल का नाम छिपाने के लिये आरोपित शुभम गुप्ता ने पीड़िता को ये कहकर धमकाया था कि ये बबलू विधायक का बंगला है यहां कोई नहीं आएगा। जिससे पीड़िता ने समझा कि ये अयाह शाह विधायक विकास उर्फ बबलू गुप्ता की बात कर रहा है। क्यों कि उनको भी लोग बब्लू भइया के नाम से बुलाते हैं। पुलिस ने तीन आरोपितों राहुल पुत्र बुद्धराम कश्यप, संदीप पुत्र सरजू पटवा निवासी अन्दौली पुलिया राधानगर कोतवाली व शुभम पुत्र मुन्ना उर्फ योगेन्द्र गुप्ता निवासी सथरियांव राधा नगर को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। जबकि चौथा आरोपित बब्लू सिंह तोमर जो की जनपद की बालू खदानों में कमीशनखोरी करता है। पुलिस टीम को चकमा देकर भागने में सफल रहा। जिसकी पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस ने गिरफ्तार किये गये अभियुक्तो के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकद्दमा दर्जकर जेल भेज दिया। इस बाबत पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल ने बताया कि 10 जून को वादी के तहरीर देते ही बच्ची के गायब होने की एफआईआर दर्ज हो गई थी। बाद में विवेचना में शाह चौकी इंचार्ज ने सही तरीके से साक्ष्य संकलन नही किये। लापरवाही बरतने में एसआई अमित सिंह को निलम्बित कर दिया है। घटना के खुलासे के लिए थाना प्रभारी अर्जुन सिंह व सर्विलांस टीम को लगाया था जिसमे साइंटिफिक तरीके से साक्ष्य संकलित किये गए। सर्विलांस की मदद से व पीड़िता के द्वारा सभी घटना स्थलों का बेहतर तरीके से पहचान कराकर, पुलिस टीम द्वारा घटना स्थल से सुबूत इकट्ठे कर तीनो आरोपियों को जेल भेजा गया है। इसमे विधायक अयाह शाह विकास गुप्ता उर्फ बबलू के बंगले में जाने की बात सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आई थी जिसकी पड़ताल में यह सामने आया कि विधायक को क्षेत्र में लोग बबलू भैय्या के नाम से जानते हैं और आरोपियों ने पीड़िता को बबलू के बंगले में रखने की बात कही थी इसी विसंगति में उनका नाम पीड़िता के परिजनों ने लिया जबकि उनके बंगले का इस घटना से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है।