फतेहपुर

7 जनवरी को एनजीटी में होगी सुनवाई, जलधारा बांधकर हुआ था अवैध खनन

Shiv Kumar Mishra
6 Jan 2021 6:31 AM GMT
7 जनवरी को एनजीटी में होगी सुनवाई, जलधारा बांधकर हुआ था अवैध खनन
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- शिकायतकर्ता ने उत्तरप्रदेश सरकार को बनाया प्रतिवादी

फ़तेहपुर । जनपद में लगातार हो रहे अवैध खनन व परिवहन पर भले ही जिले का प्रशासन गम्भीर न रहा हो मगर जनपद का एक मामला एनजीटी कोर्ट पहुंच गया है जिसके बाद सम्बन्धित विभाग सहित खनन व्यापारियों में कार्रवाई के डर से भय व्याप्त है।

बता दें कि जनपद में लगातार पर्यावरण को क्षति पहुंचाकर खदानों में हैवी मशीने रात दिन यमुना का सीना चीर रही हैं जबकि प्रत्येक खदान की पर्यावरण एनओसी शर्तों के साथ जारी होती है जिसमे सख्ती के साथ निर्देशित किया जाता है कि हैवी मशीनों का प्रयोग नहीं करेंगे, रात को खनन पूर्णतया वर्जित रहेगा। जबकि जलधारा को बाधा पहुंचाना गम्भीर मामलों में आता है। मगर जनपद के एक खदान संचालक ने लगभग 15 दिन तक यमुना की एक उपधारा को पूर्णतया कैंची बनाकर बांध दिया था और अपने क्षेत्र से हटकर जमकर अवैध खनन किया था।

जिसकी शिकायत जिले के ही निवासी एक पर्यावरण प्रेमी विकास पांडे द्वारा जनपद से लेकर प्रदेश स्तरीय अधिकारियों से लगातार की गई मगर जिले के अधिकारियों ने इस मामले को पुराना बताकर दबाए रखा और अंततः शासन के संज्ञान लेने के बाद सम्बन्धित खदान के पट्टेधारक पर पर्यावरण क्षति की धाराओं में 20 दिसम्बर को एफआईआर दर्ज कराई गई। एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पर्यावरण की एनओसी कैंसिल कराए जाने के लिए खनन विभाग द्वारा कोई पहल नही की गई। पर्यावरण स्वच्छता विभाग को जानकारी न दिए जाने पर खदान फिर से चालू हो गई। जिसके बाद शिकायतकर्ता विकास पांडे ने एनजीटी में पूरे मामले का केस दर्ज कराया है जिसकी सुनवाई न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की बेंच में होना सुनिश्चित हुआ है।

यह सुनवाई 7 जनवरी को होनी है। शिकायतकर्ता ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रतिवादी बनाया है। शिकायतकर्ता ने कहा कि जब जांच टीम को पर्याप्त साक्ष्य मिले थे कि जलधारा बांधी गई है और जांच टीम ने पट्टेधारक के खिलाफ पर्यावरण की धाराओं में एफआईआर भी दर्ज करवाई तो फिर खनन विभाग या जिला प्रशासन के द्वारा उक्त पट्टेधारक की पर्यावरण एनओसी रद्द करवाने की ओर कोई पहल क्यों नहीं की गई। सुनवाई के दौरान वह इस मुद्दे पर जरूर जवाब मांगेंगे।

- क्या था पूरा मामला

बता दें कि जनपद की अढ़ावल खण्ड 11 खदान में नवम्बर माह के अंतिम सप्ताह में मोरंग के अवैध खनन के लिए जलधारा में पुल बांध दिया गया था। जिसकी शिकायत शहर निवासी विकास पांडे ने 24 नवम्बर को जरिये स्पीड पोस्ट सभी अधिकारियों को भेजी। शिकायतकर्ता विकास पांडे ने बताया कि जिले के अधिकारियों ने हफ़्तों हीलाहवाली की। जब उसने खनिज डायरेक्टर को पत्र भेजा तब पांच दिसम्बर को प्रशासन की संयुक्त टीम खण्ड में पहुंची और पुल को ध्वस्त कराया फिर दो मशीने सीजकर मामूली कार्रवाई करके टीम वापस लौट आयी। शिकायतकर्ता ने कहा कि जब टीम ने मौके पर पुल निर्माण या उसे बनाने का प्रयास पाया तो तब पट्टेधारक पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई। जिले के कुछ अधिकारियों पर संलिप्तता का आरोप लगाते हुए शिकायतकर्ता ने एनजीटी में केस फाइल किया है।

शिकायतकर्ता ने कहा कि लगभग 15 दिन पट्टेधारक ने यमुना की एक धारा को बांध रखा था मगर जिले स्तर से कोई खास कार्रवाई नहीं की गई इसी का नतीजा यह रहा कि खण्ड संचालक ने जमकर अवैध खनन किया। इसकी खबरें भी दैनिक भास्कर अखबार सहित अन्य अखबारों में लगातार प्रकाशित हुईं। मगर स्थानीय प्रशासन मामले को दबाए बैठा रहा फिर शिकायतकर्ता ने बताया कि कार्यवाही न होने पर दोबारा उसने इसकी शिकायत जीपीएस वीडियो बनाकर उत्तरप्रदेश खनिकर्म की डायरेक्टर रोशन जैकब से की जिसको दैनिक भास्कर अखबार ने प्रमुखता से छापा जिस पर खनिज डायरेक्टर ने जिले के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। तब खनिज अधिकारी, राजस्व व पुलिस की संयुक्त टीम ने अढ़ावल 11 नम्बर खदान में छापा मारा और मौके पर कैंची बनाकर जलधारा बंधा हुआ पाया। जिसके बाद पट्टेधारक के खिलाफ पर्यावरण क्षति व सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धाराओं में 20 दिसम्बर को एफआईआर दर्ज कराई गई। एफआईआर दर्ज होने के बाद ओटीपी बंद करके खदान का संचालन पूर्ण बंद हो गया। लगभग दस दिन बाद खदान की ओटीपी सिर्फ पांच लाख जुर्माना करके चालू कर दी गई।

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