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- तेल के खेल में अफसर और...
- यूपी का सबसे बड़ा तेल माफिया मनोज अग्रवाल गिरफ्तार
- तीन मुकदमो में भारी चढ़ावा चढ़ाकर निकलवाया था नाम !
- करोड़ों की डील की चर्चा आम, दोषी जांच अधिकारी व अफसर पर कार्रवाई बांकी !
- 50 से ऊपर दर्ज हैं माफिया पर मुकदमे
- एडीजी भानू भास्कर के हस्तक्षेप के बाद गया जेल
( विवेक मिश्र )
मलवां थाने के तीन मुकदमो में वांछित यूपी के सबसे बड़े तेल माफिया को पुलिस ने शनिवार रात मथुरा जनपद के हाइवे थाना क्षेत्र के गोवर्धन चौराहे से गिरफ्तार किया है। पुलिस कई दिन से शातिर माफिया की गिरफ्तारी के लिए मथुरा में मुखबिर सक्रिय किये थी शनिवार रात अपराध निरीक्षक सरताज अली, उपनिरीक्षक अभिलाष त्रिपाठी, उपनिरीक्षक मनोज कुमार, मुख्य आरक्षी विपिन मिश्रा, मुख्य आरक्षी शैलेन्द्र कुशवाहा, आरक्षी प्रमोद गौतम, आरक्षी रिषभ चकाहा, आरक्षी शिवसुन्दर, आरक्षी आशीष पाल, आरक्षी अवनीश को गिरफ्तारी में सफलता प्राप्त हुई।
रविवार को शातिर माफिया को जेल भेजा गया है। माफिया मनोज अग्रवाल के खिलाफ गैंगेस्टर के मुकदमे में विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर कोर्ट ने एनबीडब्ल्यू जारी कर रखा था। पूर्व में उसको बचाने के लिए यूपी के एक मंत्री ने पत्र लिखा। एक आईपीएस अफसर ने इंटरेस्ट लेकर कई बार विवेचना बदली और फतेहपुर के मुकदमो से माफिया का नाम बाहर करवाया। चर्चा है कि माफिया का नाम सभी मुकदमो से हटाने के लिए करोड़ों की डील हुई थी। जिसमे एक आईपीएस व इंस्पेक्टर की अहम भूमिका रही। बीच के अधिकारियों व नेताओ ने भी माफिया की मलाई चाटी। अन्ततः एडीजी प्रयागराज भानू भास्कर की जानकारी में आने के बाद माफिया की कुंडली दोबारा खुली और पुनर्विवेचना के बाद माफिया के खिलाफ चार्जशीट लगी और उसे जेल जाना पड़ा।
बता दें कि मलवां थाना क्षेत्र के बुधईयापुर सहित अलग अलग इलाकों से बरौनी पाइप लाइन को काटकर 2019 में तेल चोरी की घटनाएं हुई थी। जिस पर बरौनी पाइन लाइन के कानपुर क्षेत्र के इंचार्ज सौरभचन्द्र पुत्र सुरेशचन्द्र ने अज्ञात चोरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। सरकारी पाइप लाइन काटकर चोरी होने का मामला हाईप्रोफाइल बन गया था। तत्कालीन एसपी ने जल्द ही घटना का खुलासा करते हुए कई बदमाशो को जेल भेजा था। जिसमे तेल माफिया मनोज अग्रवाल पुत्र समर चंद्र निवासी बेरी जिला मथुरा, शैलेंद्र सिंह उर्फ शालू पुत्र प्रताप सिंह मैनपुरी, पंकज सिंह पुत्र प्रताप सिंह निवासी मैनपुरी, प्रतीक गर्ग पुत्र आलिंद गर्ग जिला गाजियाबाद शामिल थे। मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की थी लेकिन जिला प्रशासन की एक अहम सीट में बैठे जिम्मेदार ने गैंगेस्टर की फाइल टेबल पर रोक ली और माफिया जमानत में छूट गया।
जेल से छूटने के बाद तेल माफिया ने अपना जाल फैलाया और गंभीर मामलों से बचने के लिए एक मंत्री का पत्र लिखवाया, जिसके आधार पर शासन से पुनर्विवेचना कराने का एक पत्र फतेहपुर भिजवाया गया। जिसके बाद फतेहपुर में तैनात एक पूर्व आईपीएस को सेट करके मलवां पुलिस से जांच बदलवाई गई ! और अपना नाम दोनो तेल चोरी के मुकदमो 80/2019, 96/2019 से बाहर करवा लिया। जिसकी वजह से गैंगेस्टर की फाइल बेकार हो गई। माफिया के तिकड़म और धनबल के आगे कई सीटे बिकीं जिन्होंने माफिया को क्लीन चिट दी।
माफिया के खिलाफ वर्तमान में 50 से ऊपर मुकदमे दर्ज हैं इसके बावजूद फतेहपुर के मुकदमो में उसे समाज हितैषी बताकर दोषमुक्त कर दिया गया। हाईप्रोफाइल मामले की शिकायत जब एडीजी जोन भानू भास्कर तक पहुंची तो उन्होंने सख्ती दिखाते हुए सभी मामलो की पुनर्विवेचना सीओ थरियांव प्रगति यादव को सौंपी जिन्होंने मामले में तेल माफिया के खिलाफ चार्जशीट लगाई और अन्ततः माफिया को जेल जाना पड़ा। माफिया के जेल जाने के बाद पूरे खेल में शामिल अफसर और इंस्पेक्टर सकते में है हालांकि अभी तक दोषी अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होना शेष है।