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बाहुबल के आगे बेबस हुआ प्रशासन, ईमानदारी के बाद भी ये कैसी लाचारी
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- एफआईआर का भी नहीं रहा खौफ, जलीय जीवों के अस्तित्व पर मडराया संकट
- खदान संचालको की अराजकता पर नहीं लग रही नकेल, बदस्तूर जारी है अवैध खनन का खेल
- सीमा से हटकर हो रहा रामनगर कौहन व कोर्रा कम्पोजिट में अवैध खनन
- अढ़ावल कम्पोजिट टू ने जगह जगह की सैकड़ो फ़ीट की खुदाई, लोगो की जान पर बन आई
फ़तेहपुर । जनपद में मौजूदा समय मे सात मोरंग की खदानें संचालित हैं मानसून आने से पूर्व खदानो में जमकर अराजकता जारी है जिले की कई खदान तो ऐसी हैं जहां एनजीटी के नियमो की खदान संचालको द्वारा रात दिन ऐसी तैसी की जाती है। ऐसा भी नहीं है कि यह गुपचुप हो, खुलेआम खदानो से एनआर ओवरलोड़ गाड़ियां लोडकर लाखों घनमीटर की अवैध डंपिंग कर करोड़ो के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। इसका खुला नजारा जिले की लगभग सभी सड़कों में हजारों की संख्या में फर्राटा भरते ओवरलोड़ वाहन के रूप में आपको देखने को मिल जाएंगे। इतना सब होने के बावजूद जनपद के प्रमुख अधिकारी मोरंग के दलदल से दूरी बनाने में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे, जबकि अधीनस्थ उसका पूरा आनंद उठा रहे हैं। अगर ऐसा न हो तो हाल ही में एक अतिरिक्त एसडीएम जिस खदान में जांच के लिए भेजे गए वहां अवैध खनन और परिवहन मिला और कार्रवाई भी हुई। वहीं जिन खदानो में वर्तमान तैनाती का अधिकारी पहुंचता है वहां सिर्फ मशीन, दो चार ओवरलोड़ ट्रक सीजकर खानापूर्ति की जाती है ताकि उच्चाधिकारियों को कार्रवाई दिखाई जा सके जबकि खुलेआम हो रही ओवरलोडिंग व अवैध खनन इन्ही क्षेत्रीय अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से सम्भव हो पा रही है अन्यथा हिम्मत है कि अगर एसडीएम और सीओ चाह ले तो कोई अवैध खनन या अवैध परिवहन क्षेत्र से हो पाए।
आपको बता दें कि लगातार अवैध खनन व परिवहन की दैनिक भास्कर में प्रकाशित हो रही खबरों व सोशल मीडिया में वायरल अवैध खनन के जीपीएस फ़ोटो व वीडियो को संज्ञान में लेकर डीएम के निर्देश पर संयुक्त टीमो ने कार्रवाई की। जिसमे अढ़ावल 11 पर एफआईआर दर्ज कराई गई जबकि खागा क्षेत्र की दो खदानो से एक एक मशीन सीज की गई। वहीं कोर्रा कम्पोजिट खदान में पट्टा क्षेत्र से हटकर अवैध खनन किये जाने पर एसडीएम आशीष यादव व खनन निरीक्षक अजीत पांडे ने बुधवार को जांच की। जांच के दौरान तीन क्षेत्र सही पाए गए मगर एक सीमा का सीमा स्तम्भ गायब था उस क्षेत्र में अवैध खनन करने के पर्याप्त साक्ष्य मिले। जिसके बाद गुरुवार को एसडीएम के निर्देश पर नायब तहसीलदार, कानून गो व लेखपाल की टीम ने जाकर खदान की पैमाइस की। खनन निरीक्षक अजीत पांडे ने बताया कि पैमाइस रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि उक्त खदान सत्ता पक्ष के एक बड़े नेता के करीबी की है इसलिए अधिकारियों ने स्वयं पैमाइस करवाकर कार्रवाई करने की हिम्मत न जुटाकर छोटे कर्मचारियों को आगे कर दिया। अधिक आशंका यही है कि जांच रिपोर्ट को अंदरखाने से निपटा दिया जाएगा।
इसी प्रकार अवैध खनन के लिए कुख्यात जिले की सबसे चर्चित मोरंग खदान रामनगर कौहन में जाने की छह माह के अंदर किसी ने जहमत नहीं उठाई। आपको बता दें कि उक्त खदान छह माह के शासनादेश के अंर्तगत दी गई है जहां पहले दिन से ही नियम कानून से फुटबाल की तरह खेला जा रहा है क्षेत्रीय पुलिस प्रशासन को मैनेज कर यमुना से करोड़ों की मोरंग वैध के नाम पर अवैध तरीके से उठा ली गई। क्षेत्रीय लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उक्त खदान संचालक अपने क्षेत्र से हटकर भारी पैमाने पर अवैध खनन कर रहा है सीमा स्तम्भ से सैकड़ो मीटर आगे बढ़कर यमुना के कगार को नष्ट किया जा रहा है उन्होंने कहा कि अगर ऐसा न हो तो छह हजार रुपये में ट्रक कैसे लोड हो रहा है इसकी पड़ताल करवा लें। क्षेत्रीय ग्रामीणों ने कहा अगर यहां की ईमानदारी से जांच हो जाये तो अवैध खनन का जिन्न निकल कर सामने आएगा। उधर यही हाल ललौली थाना क्षेत्र की अढ़ावल कम्पोजिट टू खदान का है जहां अवैध खनन कर यमुना में सैकड़ो फ़ीट के तालाब बना दिये गए हैं जिसकी जीपीएस फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है मगर कार्रवाई के नाम पर खनिज व प्रशासन के जिम्मेदार खदान को झांकने तक नहीं गए। यहां भी बाहुबल और टेबल के नीचे के सिस्टम का प्रभाव स्पष्ट नजर आ रहा है। यह खदान भी पूर्वांचल के एक बाहुबली की बताई जा रही है। कुल मिलाकर अवैध खनन और परिवहन पर प्रभावी लगाम लगाने में जिला प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है।
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