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एनजीटी के निर्देश पर टीम करती रही जांच, बगल से निकलता रहा धड़ल्ले से ओवरलोड़
फ़तेहपुर । यमुना की जलधारा बांधकर अवैध खनन किए जाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर जिलाधिकारी द्वारा गठित टीम गुरुवार को शिकायतकर्ता विकास पांडेय के साथ अढ़ावल मौरंग खंड-11 में जांच को पहुंची। गठित टीम पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तैयार कर डीएम को सौंपेगी। डीएम ने मामले की जांच के लिए एसडीएम प्रमोद झा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) प्रयागराज व प्रभारी खान अधिकारी अजीत पांडे की टीम गठित की थी। सयुंक्त टीम गुरुवार की दोपहर लगभग 1 बजे अढ़ावल खंड पहुंची। टीम ने खदान में लगभग दो घण्टे बिताए मगर कोई खास जांच नहीं की।
टीम ने शिकायतकर्ता विकास पांडेय से जरूर कई बिंदुओं में जानकारी ली। इसके अलावा वीडियो व फोटोग्राफ भी लिए। इसके पहले 23 जनवरी को भी टीम ने खदान पहुंच जांच की थी तब भी मामूली जांच कर टीम बैरंग लौट आई थी। शिकायतकर्ता विकास पांडे ने बताया मौके पर आज भी बांध बने होने के सबूत मौजूद हैं, खुलेआम ओवरलोडिंग खदान के अंदर से हो रही है। कैमरों का अता पता नहीं है। धर्मकांटे शोपीस बने हैं। जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। अगर पांचों बिंदुओं पर निष्पक्ष जांच हुई तो पट्टाधारक पर करोड़ों का जुर्माना व उसको पूर्व में बचाने वाले अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है।
बताते चलें कि जलधारा बांध कर अवैध खनन किए जाने की एनजीटी में शिकायत की गई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि नदी में पुल बनाकर पट्टाधारक और संचालक ने अवैध खनन किया है। मामले मे 5 दिसम्बर को खदान में छापामारी की गई। जुर्माने की मामूली कार्रवाई में ही पूरे प्रकरण को निपटा दिया गया था। खदान में दोबारा बांध बनाकर अवैध खनन हुआ। दोबारा शिकायत खनन निदेशक और सीएम से शिकायतकर्ता ने की थी। जिसके बाद 20 दिसंबर को खदान में छापामारी हुई। खनन निरीक्षक अजीत पांडेय की तहरीर पर पट्टेधारक रत्ना जादौन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। प्रशासन पर आरोप लगाए गए कि खदान संचालक को बचा लिया गया। एफआईआर के बाद कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। मामले की 7 जनवरी को एनजीटी कोर्ट ने सुनवाई के बाद यमुना नदी में अवैध खनन गंभीर माना है। एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) और जिलाधिकारी को सयुक्त रूप से जांच किये जाने के आदेश दिए थे। मामले में पीसीबी को नोडल जांच एजेंसी का दर्जा दिया और दो माह के अंदर पूरे प्रकरण में कानूनी कारवाई की रिपोर्ट मांगी है।
- सैकड़ों ओवरलोड़ वाहनों पर बिना कार्रवाई किए लौटी टीम
ओवरलोड़ सड़कों के लिए नासूर बन चुका है। जिन जिन सड़कों से खनिज के वाहन गुजरते हैं वहां जाओ तो रोड है ही नहीं सिर्फ गड्ढे ही गड्ढे हैं। ऐसे में सरकार के निर्देश के बावजूद जनपद से ओवरलोड़ नहीं थम रहा है। एनजीटी में अवैध खनन व जलधारा बांधने के मामले के शिकायतकर्ता विकास पांडे ने बताया कि गुरुवार को एसडीएम, खनिज अधिकारी व पीसीबी की टीम अढ़ावल खण्ड 11 में जांच करने आई थी जहां चार खंडों अढ़ावल 11 नम्बर, अढ़ावल 1 नम्बर, अढ़ावल कम्पोजिट वन, अढ़ावल कम्पोजिट टू का शुरुआत में एक ही रास्ता है। इस रास्ते मे सैकड़ों ओवरलोड ट्रक रास्ते मे ही खड़े थे जिनको पकड़ने की टीम ने जहमत नहीं उठाई। मेरे द्वारा इसके भी जीपीएस वीडियो बनाये गए हैं जब टीम के सामने खदानों से आ रहे सैकड़ों ओवरलोड़ ट्रक मौजूद हों और वह कार्रवाई न कर रही हो।
इस बाबत एसडीएम प्रमोद झा ने बताया कि टीम अढ़ावल खण्ड 11 में जांच करने पहुंची थी, अभी जांच पूर्ण नहीं है। जल्द ही शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए पांचों बिंदुओं व जलधारा प्रकरण में जांच पूर्ण कर रिपोर्ट डीएम को प्रेषित की जाएगी। उन्होंने कहा इस दौरान ओवरलोड़ नौ ट्रकों को सीज कर ललौली थाने में खड़ा कराया गया है। ड्राइवरों के भाग जाने के कारण कई ओवरलोड़ वाहनों पर कार्रवाई नहीं हो पाई। जल्द ही ओवरलोड के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।