फतेहपुर

दिव्यांग की तस्वीर बना भरवा दिए रंग पर वास्तविक जीवन में रंग हैं कोशों दूर, वीडियो देखकर दिल दहल जाएगा!

Special Coverage News
7 April 2019 10:47 PM IST
दिव्यांग की तस्वीर बना भरवा दिए रंग पर वास्तविक जीवन में रंग हैं कोशों दूर, वीडियो देखकर दिल दहल जाएगा!
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इस दौर में हर काम दिखावा नजर आ रहा है, ये कैसा है विकास की ये दिव्यांग कराहता नजर आ रहा है।

धीरेन्द्र सिंह"राणा"

वैसे तो सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्य की दिव्यांग जनों के अच्छे जीवन यापन के लिए व उन्हें सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये बेहतर से बेहतर योजनाएं चला रही है!चाहे निराश्रित दिव्यांगों के भरण पोषण के लिए दिव्यांग पेंशन योजना हो, चाहे शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए कृतिम अंग अनुदान योजना हो,चाहे दिव्यांगों के पुनर्वास योजना हो या राज्य परिवहन की बसों में निशुल्क यात्रा की योजना आदि बहुत सी योजनाएं चला रही है, पर उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।


जनपद फ़तेहपुर के अयाह शाह विधान सभा के गाजीपुर चौराहे पर ही एक दिव्यांग व्यक्ति कई सालों से केवल एक कंधे मात्र से घसिट-घसिट कर चलता नजर आ रहा है।उसे आजतक न तो कोई सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाया और न ही उसकी मदद के लिए कोई एन जी ओ या समाज के ठेकेदार या नेता आया है। उस दिव्यांग की जो स्थित है वो किसी के भी अंतरात्मा को झकझोर सकती है, परन्तु वहाँ से निकलने वाले सांसद, विधायक, सरकारी अधिकारियों, कर्मचरियों, समाज के ठेकेदार नेताओं की निगाहें उस व्यक्ति पर इतने सालों बाद नही पड़ी। सरकार बदली, विधायक बदले पर इस दिव्यांग की स्थित नहीं बदली।



ये शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति आज भी सड़को पर कंधे के बल सरक सरक कर भीख माँग कर पेट भर रहा है। इसका जीवन आज भी नर्क से बद्दतर बना हुआ है। एक एक वोट पर नजर रखने वाले राजनितिक गणितज्ञ हों या हर एक व्यक्ति पर नजर रखने का दंभ भरने वाला जिला प्रशासन दोनों ही को आखिर दिव्यांग भोला की सुध क्यों नही आई। हा इतना जरूर हुआ की इस दिव्यांग भोला की तस्वीर गाजीपुर पंचायत भवन में बनवाकर उसमे रंग जरूर भर दिए गये है पर उसके वास्तविक जीवन में कोई भी रंग आजतक नहीं भर सका है।


ये सब देखकर ऐसा तो जरूर लगा की आजकल लोगों के स्वार्थ के आगे मानवीय संवेदनाएं नहीं बची हैं। दिव्यांग भोला की मदद का न होना स्वार्थ की राजनीति और स्वार्थ में समाज की सेवा करने वालों के नाम पर एक प्रश्नचिन्ह है। एक प्रश्न विचारणीय है आखिर अभी तक भोला की मदद क्यों नहीं हो सकी ?

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