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जब सिस्टम सेट हो तो नियम, कानून, अदालत का क्या मायने.....? शहर के सैय्यदवाड़ा में अराजकता की सीमाएं पार
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( विवेक मिश्र )
- शहर के सैय्यदवाड़ा में अराजकता की सीमाएं पार
- ईओ का आदेश सिविल कोर्ट से भी हो गया ऊपर
- मौके पर दो गाड़ी पुलिस ने जबरन करवाया घर मे कब्जा
- माफिया लगातार घर खाली करने की दे रहे थे धमकी
- न्यायालय में विचाराधीन वाद छिपाकर सेटिंग से कराया नगर पालिका से ध्वस्तीकरण का आदेश
- दिनदहाड़े पुलिस की मदद से महिलाओं को घर से निकाला
- मारपीटकर घर का सामान बाहर फेंककर कर लिया कब्जा
फ़तेहपुर में नियम कानून माफिया व धनबल के आगे बौने साबित हो रहे हैं। आश्चर्य यह है कि जिस माफिया की अरबो की संपत्ति को पुलिस ने करोड़ो दिखाकर कुर्की कर उसकी अवैध संपत्ति बचाई। आज भी वही गैंगेस्टर सिस्टम को चला रहा है। जिले में जमीनों के कब्जे के अधिकतर मामलों में उसका, या उसके गुर्गों का हाथ रहता है मगर कुछ अधिकारियों का करीबी ये माफिया आज भी खुलेआम माननीय बना घूम रहा है। सरकारी रुपयों का ब्यक्तिगत दुरुपयोग करके पूरे शहर में बैनर पोस्टर और जगह जगह प्रतिनिधि के रूप में इसका नाम लिखा आप देख सकते हैं। ऐसे शर्मनाक सिस्टम को थू है जो सरकारी धन के दुरुपयोग को भी नही रोक पा रहा। एक गैंगेस्टर खुलेआम अधिकारियों के साथ पारिवारिक ब्यक्ति के पद के नाम पर माननीय/समाजसेवी बना घूम रहा है और जगह जगह सरकारी धन से अपनी ब्रांडिंग कर रहा है मगर यह इन अंधे प्रशासको को नजर नही आता।
बता दें कि शहर के गंगानगर कालोनी का एक बुजुर्ग अपने ही मकान को खाली कराने के लिए एसडीएम कोर्ट का आदेश लिए कई महीनों से घूम रहा है मगर पुलिस और प्रशासन के पास उसके लिए समय नहीं है। बाकरगंज स्थित माफिया की एक अवैध बिल्डिंग गिराने का एसडीएम कोर्ट से आदेश लगभग चार माह पूर्व हो गया था मगर उस माफिया की बिल्डिंग न गिराकर उसे अगली कोर्ट में जाने का समय दिया गया, अब मामला अन्य न्यायालय में लंबित कहकर बिल्डिंग ध्वस्ती की कार्रवाई रोक दी गई है। इसी तरह भिटौरा बाई पास के समीप एक मकान खरीदकर 50 लाख एकाउंट से देने वाले ब्यक्ति की मदद करने के बजाय इस भ्रष्ट सिस्टम ने पीड़ित के खिलाफ ही एफआईआर लिख दी। शहर की चूड़ी वाली गली में एक ब्यक्ति लाखों रुपये देकर मकान का बैनामा कराकर भी कोतवाली पुलिस व अफसरों के चक्कर लगा रहा है। मगर ऐसे लोगों को अपना मकान खाली कराने में खाकी की कोई मदद नही मिली। लेकिन जब मामला माफिया व उसके करीबियों का था तो नगर पालिका के एक आदेश के दम पर पालिका की टीम व पुलिस ने सैय्यदवाड़ा में आजम अख्तर के प्रार्थना पत्र पर मकान दिन दहाड़े कब्जा करवाकर गिरा दिया जिसमे जमाल फ़ातिमा का गरीब परिवार लगभग 60 वर्षो से निवास कर रहा था। दिनदहाड़े पुलिस की मदद से जबरन मकान कब्जा कराने के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं जबकि इसी मामले का एक मुकदमा सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां 32/70 सन 2020 से चल रहा है। मगर सिविल जज के यहां चल रहे इस वाद को छिपाकर एक प्रार्थना पत्र पर घर जीर्ण शीर्ण होने की बात कहकर नगर पालिका से ध्वस्तीकरण का आदेश करा लिया गया। अब सवाल यह उठता है कि जब शहर का पूरा सिस्टम नगर पालिका के कर्मी, एक माफिया व कोतवाली पुलिस ही चला रही है तो न्यायिक ब्यवस्था को समाप्त कर देना चाहिए। ऐसे शहर में हजारों मकान हैं जिनमे किरायेदार पचासों वर्ष से रह रहे हैं चौक में तो कई मालिक रोड में ठेला लगा रहे हैं और करोड़पति किरायेदार शोरूम चला रहे हैं तो क्या ऐसे लोगो को निकालकर असल मालिको व उनके वारिसानो को कब्जा दिला सकती है नगरपालिका और कोतवाली पुलिस। अगर नहीं तो न्यायालय से ऊपर आप कबसे हो गए....? न्यायालय के विचाराधीन वाद को छिपाकर आखिर मनमानी घर गिराए जाने का आदेश कैसे कर दिया नगरपालिका ने....? वहीं न्यायालय में वाद विचाराधीन होने के बावजूद घर कैसे कब्जा करा दिया कोतवाली पुलिस ने.....? इन सब सवालों के जवाब शायद किसी के पास नहीं होंगे। बस यही कहा जा सकता है कि जो सिस्टम आम आदमी और गरीब, दुखिया के सहयोग व पीड़ित की मदद के लिए बना है वो हमेशा से माफियाओ की उंगली में नाचता रहा है और योगीराज में भी नाच रहा है।