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क्या 100 नम्बर के मायाजाल को तोड़ पाएगी योगी की प्रतिज्ञा....?
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- दो दशक से सिस्टम को सेट करके बदस्तूर चल रहा माफिया का राज..!
- दो दर्जन मुकदमो के बावजूद फैसला एक मे भी नहीं..!
- फ़तेहपुर से जुड़े अतीक के करीबियों की हो सकती है गिरफ्तारी..!
- सैय्यदवाडा और पनी मोहल्ले में भी संदिग्धों पर पैनी नज़र..!
( विवेक मिश्र )
यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में माफ़ियाओ पर नकेल कसने का काम शुरू हुआ जो निरंतर चल रहा है। प्रयागराज में हुई दिनदहाडे बमबाजी व गोलीकांड की घटना ने पूरे प्रदेश के लोगो को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई माफियाओ का सफाया हो गया है अगर हो गया है तो ये लोग कौन थे..? लोगो का मानना है कि सरकार किसी भी पार्टी की रही हो मगर सिस्टम पर हमेशा से माफ़ियाओ की धमक रही है। धनबल और बाहुबल के आगे या तो शिकायतकर्ता खरीद लिए जाते रहे या फिर उन्हें रास्ते से हटा दिया जाता रहा। अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी भले ही जेल में हों मगर उनका नेटवर्क, सिस्टम में बैठे उनके करीबी नेता और अफ़सर उनके लिए ही काम करते रहे हैं! जिसकी बानगी अभी हाल ही में प्रदेश की जनता ने देखी।
चित्रकूट में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी से मिलने रोज़ उनकी बहू निखत बानो जेल के अंदर जाती रही जिसे मिलवाने में यही अफ़सर और सिस्टम काम करता रहा। खैर उस पर कोई घटना होने से पहले समय रहते कार्रवाई हो गई। इसी तरह सूत्र बताते हैं कि प्रयागराज में दिनदहाड़े हुए उमेश पाल हत्याकांड की साजिश भी जेल में रची गई। बरेली जेल में बंद अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ से कुछ लोग जेल में मिलने गए थे जिसके बाद इस दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम दिया गया! इस मामले में भी यूपी एसटीएफ सहित दस टीमे लगाई गई हैं जैसा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त लहजे में सदन में कहा था कि माफिया को मिट्टी में मिला देंगे उस पर काम भी शुरू हो गया है।
प्रयागराज में चर्चित हत्याकांड में शामिल एक शूटर अरबाज़ को यूपी पुलिस ने मार गिराया है अन्य शूटरों की तलाश में पुलिस फ़तेहपुर सहित प्रयागराज के आस पास के जिलों में भी छापेमारी कर रही है। लेकिन सोचने वाली गम्भीर बात यह है कि अस्सी के दशक से चार दशक तक गुंडई व माफियागिरी के बल पर अतीक प्रयाग में राज करता रहा जिसे जब चाहा उठा लिया, जब चाहा जमीन कब्जा कर लिया। लगभग 100 मुकदमे होने के बाद भी आज तक इस माफ़िया को एक मे भी सज़ा नहीं सुनाई गई।
इसी तरह फ़तेहपुर में भी दो दशक से गैंगेस्टर रज़ा और उसके गैंग ने अपनी गुंडई के दम पर करोडो की नाजायज़ संपत्ति बनाई मगर आज भी सिस्टम उनके लिए ही काम कर रहा है! सोचिए कि लगभग ढाई दर्जन मुकदमे होने के बावजूद आज तक एक मे भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। अधिकतर मुकदमो में या तो माफिया के दबाव में पीड़ितों ने मुकदमे वापस ले लिए। या फिर पुलिस ने धनबल के प्रभाव में आकर एफआर लगा दी! आश्चर्य यह है कि गैंगेस्टर में भी माफ़िया की महज एक करोड़ की संपत्ति कुर्क कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जबकि उसके गैंग में शामिल एक भी सदस्य की संपत्तियों की कुर्की नहीं की गई। ऐसे में योगी सरकार में आज भी ये सवाल बना हुआ है कि माफ़िया पर आखिर किसका वरदहस्त है..?
- 100 नम्बर के नाम से कुख्यात है गैंग..!
फ़तेहपुर जनपद में 100 नम्बर के नाम से यह गैंग कुख्यात है। दो दशक से इस गैंग की जड़ें सिस्टम में इस कदर जमी हैं कि इन्हें निकाल पाना इतना आसान नहीं। डेढ़ दशक तक लोगों की जमीने जबरन कब्जा करना, सरकारी जमीने हेर फेर कर बेचना, लोगों की संपत्ति कब्जा कर लेना इस गैंग का पेशा रहा है। 2017 में योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने जिसके बाद माफियाओ पर ठोस कार्रवाई होनी प्रारम्भ हुई। मगर फ़तेहपुर में सत्ता के कथित नेताओं को अवैध धंधों में अपना पार्टनर बनाकर व अफसरों को खरीदकर यह गैंग बदस्तूर अवैध कामो को अंजाम देता रहा! योगी सरकार के प्रथम कार्यकाल मे इस गैंग ने दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की मगर कार्रवाई की जद में आने से बचता रहा। लगभग ढाई दर्जन मुकदमो से तिकड़म, धनबल व बाहुबल से बचते रहे इस माफिया को अंततः भाजपा नेता फैजान रिजवी से मारपीट के मामले में पूर्व सदर विधायक विक्रम सिंह के हस्तक्षेप के बाद जेल जाना पड़ा। जिसके बाद माफ़िया के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई हुई और उसकी संपत्ति को कुर्क किया गया।
इस मामले में भी उसी सिस्टम ने काम किया जो आज भी अतीक, मुख्तार, इरफान जैसे माफियाओ के लिए ईमान बेचकर काम करता रहा है! बताते हैं कि दो दशक से जनपद में आने वाला राजस्व व पुलिस से सम्बंधित शायद बिरला ही कोई अधिकारी रहा हो जो माफिया की मिठाई न खाया हो ! तभी तो माफिया की कई फाइलें आज भी जनपद के एसडीएम सहित कई अधिकारियों के दफ्तरों और न्यायालयों में दम तोड़ रही हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ तारीख़ पर तारीख़ लग रही है। ब्यक्तिगत जमीने व मुकदमे तो दूर की बात जिला प्रशासन सरकारी जमीनों के कब्जो व तालाब बिक्री जैसे मामलो में गम्भीर नहीं है! या तो अधिकारी हिस्सा लेकर मामले को टरकाते रहते हैं या फिर बवाल से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं! ऐसे में सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की माफियाओ को मिट्टी में मिलाने की प्रतिज्ञा क्या फ़तेहपुर के माफियाओ पर भी लागू होगी या फिर माफिया के करीबी सत्ता के कथित नेता, बिके हुए अफ़सर या फिर धनबल के आगे बिका हुआ सिस्टम माफिया को बचा ले जाने में कामयाब होगा..!