फिरोजाबाद

उप चुनाव नतीजों से पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका, एक सीट पहले ही हारी

Shiv Kumar Mishra
18 Oct 2020 4:03 PM IST
उप चुनाव नतीजों से पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका, एक सीट पहले ही हारी
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स्नेहलता ने 14 अक्टूबर को नामांकन भरा था. उन्होंने अपने शपथपत्र में वो सभी जानकारी नहीं दी थी जिसकी दरकार चुनाव आयोग को होती है

फिरोजाबाद. यूपी उपचुनाव (UP Bye-election 2020) के नतीजों से पहले ही कांग्रेस (Congress) ने एक सीट गंवा दी है. वैसे तो उपचुनाव में हारने के के लिए कांग्रेस के पास कुछ भी नहीं था, लेकिन पार्टी के किसी प्रत्याशी को इसलिए मैदान छोड़ना पड़े क्योंकि उसका पर्चा खारिज हो जाये, तो ये बड़ी अजीब बात है. फिरोजाबाद (Firozabad) जिले की टूंडला सीट (Tundla Seat) से चुनाव लड़ रहीं कांग्रेस कैंडिडेट का नामांकन ही खारिज कर दिया गया है. कांग्रेस उम्मीद्वार स्नेहलता का पर्चा इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि उनका शपथपत्र अधूऱा था.

शपथपत्र था अधूरा

स्नेहलता ने 14 अक्टूबर को नामांकन भरा था. उन्होंने अपने शपथपत्र में वो सभी जानकारी नहीं दी थी जिसकी दरकार चुनाव आयोग को होती है. नियम ये है कि शपथपत्र का कोई भी कॉलम खाली नहीं छोड़ा जाना चाहिए. स्नेहलता ने अपने आश्रितों के कॉलम खाली छोड़ दिये थे. इसके अलावा और भी कई जगहों पर जानकारी नहीं दी गयी थी. पर्चा खारिज होने से तिलमिलाई स्नेहलता ने फिरोजोबाद जिला प्रशासन पर बेइमानी के आरोप लगाये हैं.

जिला प्रशासन पर लगाए बेइमानी के आरोप

उन्होंने कहा कि 14 अक्टूबर को दाखिल किये गये नामांकन पत्र में कुछ कमियां जरूर थीं लेकिन, 16 अक्टूबर को उसे दुरुस्त कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि वे टूंडला सीट से चुनाव जितने वाली थीं, क्योंकि वही एक ऐसी कैंडिडेट हैं जो यहां की स्थानीय हैं. बाकी सभी उम्मीद्वार बाहरी हैं. ऐसे में रिटर्निंग ऑफिसर ने जानबूझकर उनका पर्चा खारिज कर दिया है. स्नेहलता ने आरोप लगाया कि उनके शपथपत्र के पन्ने बदल दिये गये हैं.

जिला प्रशासन ने दी ये सफाई

दूसरी ओर रिटर्निंग ऑफीसर एसडीएम राजेश वर्मा ने कहा कि स्नेहलता को तीन बार बुलाकर ये बताया गया कि उनका पर्चा अधूरा है लेकिन, हर बार उन्होंने कुछ कॉलम खाली छोड़ ही दिये. सभी घटनाक्रम की सिलसिलेवार वीडियोग्राफी कराई गयी है और किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी की संभावना नहीं है. इस मामले को लेकर कोर्ट जाने की बात पर स्नेहलता ने कहा कि अब कोर्ट क्या जाना. फिलहाल सड़कों पर लड़ती दिख रही कांग्रेस के लिए ये किसी सदमे से कम नहीं है. वैसे तो उपचुनाव की कोई भी सीट उसके पास नहीं थी लेकिन, अब तो एक सीट पर उसका चिराग ही बुझ गया है.

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