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कांग्रेस के प्रदेश महासचिव एवं चमरौआ के पूर्व विधायक अली यूसुफ अली हाथ का साथ छोड़कर आज सपा की साइकिल पर सवार हो गए। अली यूसुफ ने कांग्रेस को यह बड़ा झटका तब दिया, जब एक दिन पहले ही कांग्रेस ने उन्हें चमरौआ विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया था।
बता दें कि वर्ष 2012 में नव सृजित विधानसभा सीट चमरौआ से अली यूसुफ अली ने पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, तब मुरादाबाद मंडल में बसपा का खाता सिर्फ रामपुर की चमरौआ सीट पर यूसुफ अली ने खोला था। बाद में बसपा छोड़कर वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
बता दें कि कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश में जिम्मेदारी देते हुए अल्पसंख्यक कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और बाद में पार्टी ने उन्हें मुख्य कमेटी का प्रदेश महासचिव बनाया। कांग्रेस में उनकी मजबूत पैठ स्थानीय कांग्रेसियों को बहुत खल रही थी।
आज शुक्रवार को कांग्रेस ने रामपुर में जिन चार सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए, उनमें से एक सीट चमरौआ भी थी, जिस पर अली यूसुफ अली को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया था। लेकिन, कांग्रेस को झटका देकर यूसुफ ने लखनऊ में सपा ज्वाइन कर ली।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बसपा सरकार में जिस वक्त स्वामी प्रसाद मौर्य मंत्री हुआ करते थे, यूसुफ अली विधायक थे। उनके आपसी रिश्ते बहुत मजबूत थे। बाद में दोनों के सियासी दल भले ही अलग हो गए लेकिन, दिल से जुड़े रहे। नतीजा यह हुआ कि शनिवार को लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ अली यूसुफ अली भी मंच पर पहुंचे और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी में शामिल करने का ऐलान किया।
बता दें कि अली यूसुफ ने कहा कि हमारे नेता मोहम्मद आजम खां की संस्तुति के बाद मैं स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ लखनऊ में सपा के कार्यक्रम में शामिल हुआ। यहां सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा ज्वाइन करायी। इसके लिए आजम खां, तजीन फात्मा, अब्दुल्ला आजम, रामपुर की सपा इकाई के सभी पदाधिकारियों व हाईकमान के आभारी हैं।