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हिन्दू या मुसलमान, थे सब किसान - ट्रांस हिंडन में रहा रतजगा

माजिद अली खान (राजनीतिक संपादक)
गाजियाबाद : संसद का घेराव करने के लिए हरिद्वार से चली किसान क्रांति रैली दिल्ली के बॉर्डर पर पहुँच गयी है. किसानो का सैलाब रात भर ग़ाज़ियाबाद से सटे इलाके इंदिरापुरम, वैशाली, वसुंधरा और नॉएडा में ठहरा रहा. हर जगह किसान ही किसान. बिना भेदभाव ज़ात बिरादरी और मज़हब सब किसान होने का धर्म निभाते रात भर वैशाली के बाहर सड़को पर टहलते रहे.
कहीं वेज बिरयानी बन रही थी, कही छोले पूरी, कही चाय, पूरी रात ऐसी लग रही थी जैसे कोई मेला लगा हो.
हर किसान जोश के साथ एक ही बात कह रहा था की अभी नहीं तो कभी नहीं. जब किसानो से बात की गयी जो मुज़फ्फरनगर के रहने वाले थे एक ही बात कह रहे थे की इस सरकार ने धोका ही नहीं किया बल्कि लोगो को डस लिया है. मुज़फ्फरनगर के गांव कुटेसरा से आये कुछ मुस्लिम किसानो से बात की तो उन्होंने कहा की अब किसान जाग गया है और वह हिन्दू मुस्लिम नहीं बल्कि सिर्फ किसान, बस किसान और किसान है.
एक किसान से जब कहा गया की दिल्ली में तुम्हे घुसने नहीं दिया जायेगा तो उसने बताया की हमारे इस सैलाब को कोई रोक नहीं पायेगा. हम सरकार से आरपार करने आये हैं. मोदी सरकार ने जिन वादों पर सरकार बनायीं थी वह पूरे करना तो दूर की बात उनका उल्टा कर दिया है. महंगाई और क़र्ज़ ने ग़रीब किसानो की कमर तोड़ कर रख दी. किसान का कहना था की ये लड़ाई सिर्फ किसानो की नहीं है बल्कि देश के आम आदमी की लड़ाई है.
इस सरकार ने आम आदमी की रोज़ी रोटी छीन ली है. हम अपना हक़ लेकर रहेंगे या सरकार बदल कर रहेंगे. किसानो ने जोश में आकर नैरा लगाया जो हमसे टकराएगा, चूर चूर हो जायेगा. किसानो के आगे केंद्र और राज्य सरकार भी नतमस्तक होती नज़र आ रही है. अब देखना किसानो की ये म्हणत क्या रंग दिखती है.