गाजियाबाद

राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लेकर आज की रणनीत का किया खुलासा

Shiv Kumar Mishra
29 Nov 2020 3:40 AM GMT
राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लेकर आज की रणनीत का किया खुलासा
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भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने आज की रणनीत के बारे में खुलासा किया.

गाजियाबाद-दिल्ली सीमा पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने अपना विरोध जारी रखा है. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं, "विरोध रामलीला मैदान में होता है, फिर हमें निजी सुविधा वाले निरंकारी भवन में क्यों जाना चाहिए? हम आज यहां रहेंगे." जब सरकार हमें रामलीला मैदान जाने की परमीशन देगी तभी हम यहाँ से जायेंगे.

उत्तर प्रदेश में किसानों के बात करने वाली भारतीय किसान यूनियन का यूपी में अपना वर्चस्व है. किसान यूनियन मोदी सरकार में दूसरी बार अपना प्रदर्शन कर रही है. इससे पहले भी पहली मोदी सरकार में किसानों के हित को लेकर प्रदर्शन किया था. जिसमें कई किसान गोली लगने से घायल भी हुए थे.

किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत को पश्चिमी यूपी में बाबा के नाम से ख्यति मिली हुई है. पश्चिम के मेरठ ज़ोन में इनकी एक हुंकार से लाखों लोग घर से बिना बताये निकल पड़ते है. इनके आगे हर बार सरकार झुकती है लेकिन पहली बार मोदी सरकार ने इनकी बातों को सुनकर नहीं माना है. लेकिन इस बार पूरे देश के कई प्रान्तों का किसान दिल्ली की और बढ़ रहा है.



हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने देर रात अपील भी की है. कहा है कि हम आपकी बात भी सुनेगें और उसका समाधान भी करेंगे . हम आपके साथ तीन दिसंबर को बैठेंगे तब तक शांतिपूर्ण धरने और प्रदर्शन को दिल्ली के निरंकारी मैदान में आप लोग करें. सरकार आपको पूरी सुरक्षा व्यवस्था और सभी सामान खाने पिने का उपलब्ध कराएगी.

उनकी इस अपील का किसानों पर कोई असर नहीं पड़ा है . किसान अब भी रामलीला मैदान में जाने की जिद पर अड़े है. किसानों का कहना है कि सरकार को बता दें कि हम लगभग पचास दिन का राशन पानी लेकर चले है और आगे राशन मंगा लिया जाएगा. लेकिन जब तक सरकार किसान विरोधी बिल वापस नहीं ,लेगी तब तक हम वापस नहीं जायेंगे. यह बात सरकार को बड़ी चुभ रही है.


किसान विरोधी बिल पहले दिन से सरकार की गले की फांस बना हुआ है. अगर सरकार यह बिल वापस लेती है तो मोदी सरकार किसी दबाब में आकर पहली बार झुकेगी. हालांकि कुछ किसान संगठनो का कहना है कि इससे पहले भी सरकार ने शाहीन बाग़ में धरने पर बैठे लोंगों से बात की थी लेकिन उनकी बात मानने से इनकार कर दिया था. इसलिए सरकार किसानों के बीच आये और अपनी बात से आश्वस्त करे और बिल बापसी का एलान करे तभी हम वापस जायेंगे.




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