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गाजियाबाद में ब्लैक फंगस के मामले हुए दो गुने, प्रशासन हुआ सख्त
गाजियाबाद : शासन के कड़े निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग में ब्लैक फंगस के मरीजों की गिनती शुरू कर दी है। जिसके बाद पहले ही दिन आंकड़ा 24 से 48 तक पहुंच गया। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने अभी इस बीमारी से मौत की पुष्टि नहीं की है।
पिछले कई दिनों से लगातार ब्लैक फंगस के मरीज सामने आ रहे हैं। सभी मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में किया जा रहा है। जबकि स्वास्थ्य विभाग ने अभी इस बीमारी से मौत की पुष्टि नहीं की है।
अभी तक स्वास्थ्य विभाग का दावा था कि उनके यहां कोई ब्लैक फंगस का मरीज नहीं है। इसके इलाज के लिए विभाग के पास दवा तक नहीं थी। पिछले सप्ताह ब्लैक फंगस को लेकर शासन की ओर से गाइडलाइन जारी की गई थी।
शुक्रवार को शासन ने सभी जिलों में ब्लैक फंगस के मरीजों की मॉनिटिरिंग शुरू करने के निर्देश दिए। शासन का निर्देश प्राप्त होते ही स्वास्थ्य विभाग ने इन मरीजो की गिनती शुरू कर दी। शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की गिनती में 48 मरीजों की पुष्टि की गई।
अभी तक विभाग का कहना था कि उनके यहां ब्लैक फंगस का एक भी मरीज नहीं है। वहीं विभिन्न चिकित्सकों की रिपोर्ट के आधार पर 24 मरीजों का इलाज किया जा रहा था। कई बड़े अस्पताल तो मरीजों की जानकारी तक नहीं दे रहे थे। पहले ही दिन जांच में यह आंकड़ा 24 से 48 तक पहुंच गया।
मौत की पुष्टि नहीं कर रहा है स्वास्थ्य विभाग
ब्लैक फंगस से गुरुवार को एक मरीज की मौत होने का मामले सामने आया है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी मौत की पुष्टि करने को तैयार नहीं है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिस अस्पताल में मरीज की मौत हुई है उसके इलाज के पर्चे व परिजनों से अभी बातचीत की जाएगी। उसके बाद तय किया जाएगा कि मरीज की मौत का कारण ब्लैक फंगस है या फिर कोई अन्य बीमारी।
दवा के लिए लगाने होंगे मेरठ के चक्कर
ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले लपोसोमल एंफोटेरिसिन इंजेक्शन के लिए मरीज के तीमारदारों को मेरठ की दौड़ लगानी होगा। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को सरकारी दवाएं प्राप्त करने के लिए कमिश्नर को आवेदन करना होगा। वहां से फाइल एडी हेल्थ के पास जाएगी।
एडी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को फाइल भेजेंगे और मरीज की पुष्टि की जाएगी। इसके बाद फाइल वापस एडी के पास जाएगी। तब कहीं जाकर मरीज को केवल तीन दिन की दवा देने की संस्तुती की जाएगी। इसके बाद मरीज के परिजनों को रेडक्रॉस संस्था में दवा के पैसे जमा कराने होंगे, तब उन्हें दवा मिलेगी। शासन स्तर से केवल दो इंजेक्शन दिए जाएंगे। इनमें एक लाइपोसोमल (6000 रुपए) और इंपलशन (1500 रुपए) शामिल हैं। अन्य कोई दवा सरकारी स्तर से नहीं दी जाएगी। इस प्रक्रिया में तीन से चार दिन का समय लगेगा।
शहर के हर्ष ईएनटी पॉली क्लीनिक में 24, मैक्स अस्पताल में 17, यशोदा अस्पताल में 5 और पल्मोनिक अस्पताल में 2 ब्लैक फंगस के मरीजों की इलाज चल रहा है। इस मामले पर सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता ने कहा, 'ब्लैक फंगस के मरीजों की दवाओं के लिए शासन को पत्र लिखा है। शासन स्तर से लिपोसोमल इंजेक्शन के संबंध में गाइडलाइन जारी की गई है। अभी तक स्वास्थ्य विभाग को कोई दवा नहीं मिली है।