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गाजियाबाद नगर निगम का भवन कर निर्धारण घोटाला, आईएएस नगर आयुक्त बदलते रहे, लेकिन नहीं पकड़ सके सुनियोजित घपला
कमलेश पांडेय/विशेष संवाददाता
ghaziabad municipal corporation building tax assessment scam: गाजियाबाद। नगर निगम गाजियाबाद में भवन कर निर्धारण के मामले हुए करोड़ों के घपले के बारे में अंशुल शर्मा, 113 चन्द्र लोक कॉलोनी, मोदी नगर, हापुड़ रोड जिला गाजियाबाद ने उप निदेशक, स्थानीय निधि लेखा परीक्षक विभाग, के 5 शास्त्री नगर मेरठ को एक पत्र लिखा है, जिसमें गाजियाबाद नगर निगम में तैनात मुख्य भवन कर निर्धारण अधिकारी संजीव कुमार व सिटी जोनल अधिकारी सुधीर कुमार शर्मा द्वारा कार्मशियल भवनों पर पिछले कई वर्षों में विधिक रूप से निर्धारित करांकन व एकतरफा निर्धारित करांकन को अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिये बिना सक्षम न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई करके पूर्व में निर्धारित मूल्यांकन को कम करके व पिछले कई वर्षों की बकाया रकम को खत्म करके नगर निगम को करोड़ों रूपये के राजस्व की हानि पहुंचाने के सम्बन्ध में लिखा हुआ है।
इसकी प्रतिलिपि निदेशक- स्थानीय निधि लेखा परीक्षक विभाग, प्रयागराज; अध्यक्ष- उ.प्र. नगर पालिका वित्तीय संशाधन बोर्ड, लखनऊ; सचिव- उ.प्र. नगर पालिका वित्तीय संशाधन बोर्ड, लखनऊ; उप-सचिव, मुख्य मंत्री (कार्यालय) लखनऊ; चीफ सैक्रेट्री, उ.प्र. सरकार, लखनऊ; अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव, उ.प्र. सरकार, लखनऊ; विशेष सचिव, मुख्य मंत्री कार्यालय, लखनऊ; सचिव, नगर विकास विभाग, उ.प्र. शासन, लखनऊ; नगर विकास मंत्री, उ.प्र. सरकार, लखनऊ; अनुसचिव, उ.प्र. शासन, लखनऊ; स्टॉफ आफिसर, मुख्य सचिव, उ.प्र. सरकार, लखनऊ;
विशेष सचिव, नगर विकास मंत्री, लखनऊ; पुलिस अधीक्षक, सर्तकता विभाग, लखनऊ; मुख्य मंत्री, उ.प्र. सरकार, लखनऊ; प्रधानमंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजी गई है। इसकी एक डिजिटल प्रति इस विशेष संवाददाता के भी हाथ लगी है, जिस पर जनहित में यह खबर प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है।
पाठकों की समझदारी के लिए पत्र की भाषा को हूबहू यहां रख रहे हैं- कृपया उक्त के सम्बन्ध में प्रार्थना है कि नगर निगम गाजियाबाद में वर्ष 2018 से तैनात भवन मुख्य कर निर्धारण अधिकारी संजीव कुमार व जोनल अधिकारी सुधीर कुमार की तैनाती हुई, तब से ही नगर निगम को करोड़ों रूपये के राजस्व की हानि पहुंचाने का खेल अपने निजी लाभ की पूर्ति के लिए किया जा रहा है। नगर निगम में कई वर्षों में विधिक रूप से सही कर निर्धारण को व एकतरफा निर्धारित कर निर्धारण को बिना किसी न्यायालय के आदेशों के वार्षिक मूल्यांकन को कम किया जा रहा है तथा पिछले कई वर्षों की बकाया राशि को खत्म करके नगर निगम को आर्थिक रूप से करोड़ों रूपए के राजस्व की क्षति पहुंचाई जा चुकी है।
बता दें कि नगर निगम अधिनियम की धाराओं में स्पष्ट रूप से अंकित है कि विधिक रूप से निर्धारित करांकन या एक तरफा करांकन को नगर निगम द्वारा दुबारा नहीं सुना जा सकेगा। करांकन को संशोधित करने के लिये सक्षम न्यायालय में अपील करनी पड़ेगी। किन्तु कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत से विधिक रूप से सही कर निर्धारण व एक तरफा करांकन को न्यायालय के आदेश के बिना दुबारा सुनवाई करके व्यवसायिक भवनों का मूल्यांकन कम व कई सालों की बकाया धनराशि खत्म की जा रही है। जिनकी सूची इस प्रकार से है:
1. प्रेम चन्द गुप्ता, 11-सी-113, नेहरू नगर, सम्पत्ति कोड सं.-CC1023 पर कैपिटल कॉस्ट के अनुसार एक तरफा कर निर्धारण था, बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुनः सुनवाई करके नगर निगम को 23,91,307/- रूपये के राजस्व की हानि पहुंचाई गयी।
2. सेंट फ्रासिस, बी-95/99, नन्दग्राम जिसका सम्पत्ति कोड सं.-CC47853 पर एक तरफा करांकन निर्धारित किया गया, बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुन: सुनवाई कर नगर निगम को 7,16,427/- रूपये के राजस्व की हानि पहुंचाई गयी।
3. अन्जाना सिंघल, 45 बालूपुरा, सम्पत्ति कोड सं.-CC57207 पर एक तरफा करांकन निर्धारित किया गया किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुनः सुनवाई कर 208194/- रुपये के राजस्व की नगर निगम को हानि पहुंचायी गयी।
4. गौरव अग्रवाल, म.नं.-174, बालुपुरा, सम्पत्ति कोड सं.- CC40324 पर एकतरफा करांकन निर्धारित था किन्तु सक्षम न्यायालय के आदेशों के सुनवाई कर नगर निगम को 178321/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
5. विजय कुमार बंसल, 135 विकास नगर, सम्पत्ति कोड सं. CC40868 पर करीब 10-12 साल पहले एकतरफा करांकन निर्धारित था, किन्तु मा न्यायालय के आदेशों के बिना निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु पुनः सुनवाई करके नगर निगम को रू०-204170/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
उल्लेखनीय है कि बकाया सम्पत्ति कर को कम करने के चक्कर में कर विभाग का एक कर्मचारी अनिल कुमार निलम्बित भी चल रहा है। लेकिन फिर भी भवनकर की बकाया को खत्म किया गया।
6. सै. जोसेफ, नन्दग्राम सम्पत्ति कोड सं.-CC58880 पर एकतरफा करांकन निर्धारित था किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुनः सुनवाई कर नगर निगम को 341464/- रूपए के राजस्व की क्षति पहुंचायी गयी।
7. सै. जासेफ, नन्दग्राम, सम्पत्ति कोड सं.-CC58879 पर एकतरफा कर निर्धारण था किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के सुनवाई करके नगर निगम को 789435/- रूपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
8. मगन देवी, नवयुग मार्किट, सम्पत्ति कोड सं.-CC55447 पर एकतरफा करांकन किया गया किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुनः करांकन की कार्यवाही कर नगर निगम को 382874/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
9. राम कुमार अरोड़ा, गांधी नगर, सम्पत्ति कोड सं.-CC46082 पर पिछले कई सालों से सम्पत्ति कर की धनराशि बकाया थी, किन्तु सक्षम न्यायालय के आदेशों के बिना बकाया धनराशि को समाप्त कर नगर निगम को रूपये-545698/- के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
10. उषा त्यागी, सी-20, लोहिया नगर, जिसका सम्पत्ति कोड- CC61457 पर एकतरफा करांकन निर्धारित किया गया किन्तु सक्षम न्यायालय के आदेशों के बिना पुनः सुनवाई कर नगर निगम को रूपये-271064/- के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
11. सुभाष त्यागी, विकास नगर, सम्पत्ति कोड सं.-CC780 पर एकतरफा करांकन निर्धारित था किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के पुन: सुनवाई कर नगर निगम को 362965/- रूपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
12 रूची गुप्ता, मोहन चित्रलोक कॉम्पलैक्स, बालुपुरा, सम्पत्ति कोड सं.-CC57337 पर पिछले 15 वर्षों से कैपिटल कॉस्ट के अनुसार एकतरफा करांकन निर्धारित था किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुनः सुनवाई कर नगर निगम को 417424/- रू० के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
13. मोनिका गुप्ता, मोहन चित्रलोक काम्पलैक्स, बालूपुरा, सम्पत्ति कोड सं.-CC57348 पर पिछले 15 सालों से कैपिटल कॉस्ट से एकतरफा करांकन निर्धारित था किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुन: सुनवाई कर निगर निगम को 298613/- रूपये के राजस्व की क्षति पहुंचायी गयी।
14. अशोक कुमार सिंह, पटेल नगर-1, सम्पत्ति कोड सं.-CC73407 पर पिछले कई सालों से एकतरफा करांकन निर्धारित था, किन्तु सक्षम न्यायालय के आदेशों के बिना पुनः सुनवाई कर नगर निगम को 1,00,000/- रूपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
15. ईलम कौर, जटवाड़ा, जिसका सम्पत्ति कोड सं.-CC7401 पर एकतरफा करांकन निर्धारित था, लेकिन बिना मा० न्यायालय के ओदशों के पुन: सुनवाई कर नगर निगम को 307034/- रूपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
16. उषा भारद्वाज, 266 (190ए) बनवारी नगर पर पूर्व से ही सम्पत्ति कोड संख्या सीसी 63591 पर एकतरफा करांकन निर्धारित हुआ था जिसको भवन स्वामी द्वारा मार्च 2017 तक हाथ रसीद संख्या-(1) 11/24899 व कम्प्यूटर रसीद संख्या-CC1F/0323111710105 के द्वारा जमा किया गया था, किन्तु भवन स्वामी को अवैध रूप से लाभ पहुंचाने की नीयत व अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये भवन स्वामी को मार्च 2017 में नई सम्पत्ति कोड संख्या- CC73304 जारी करके नगर निगम को 2 वर्ष के सम्पत्तिकर को समाप्त कर हानि पहुंचायी गयी तथा पुरानी कोड सं.-CC63597 को अन्य भवन स्वामी कुमारी निशी अग्रवाल, 156 बजरिया के नाम अंकित कर दी गयी। इसके साथ-साथ भवन स्वामी द्वारा निर्धारित करांकन को ठीक कराने के लिए नगर निगम के द्वारा सुनवाई न होने पर गाजियाबाद न्यायालय में वाद योजित किया गया, किन्तु योजित वाद का कोई नतीजा आये बगैर ही बिना न्यायालय के आदेश के सम्पत्तिकर कम करके नगर निगम को 39752/- रूपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी है। (साक्ष्य संलग्न है।)
17. संदीप व तुषार मित्तल, जटवाड़ा, सम्पत्ति कोड-CC7343 पर पिछले कई सालों से एकतरफा करांकन निर्धारित किया गया था लेकिन बिना न्यायालय के आदेशों के सुनवाई कर नगर निगम को 150064/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
18. कमला, बालूपुरा सम्पत्ति कोड सं.-CC39971 पर पिछले कई सालों से एकतरफा करांकन निर्धारित था किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुनः सुनवाई कर नगर निगम को 127505/- रू० के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
19. अनवार अहमद, सम्पत्ति कोड संख्या - CC10033 पर पिछले कई सालों से एकतरफा करांकन निर्धारित था किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुनः सुनवाई कर नगर निगम को रू.-150079/- के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
20. बेगम मेहरू निशा, मालीवाड़ाव, सम्पत्ति कोड सं.-CC34484 पर पिछले कई सालों से एकतरफा करांकन की कार्यवाही कैपिटल कॉस्ट के आधार पर की गयी थी। उसी के अनुसार सम्पत्ति कर बकाया थी। लेकिन बिना सक्षम न्यायालय के आदेशों के पुन: कर निर्धारण की कार्यवाही कर नगर निगम को 387952/- रू. के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
21. दयावती, म.नं.-28, कृष्णा नगर, सम्पत्ति कोड संख्या- CC57210 पर एकतरफा करांकन निर्धारित था। भवन स्वामी द्वारा मुख्य कर निर्धारण अधिकारी को प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के साथ व्यवसायिक सम्पत्तिकर निर्धारण फार्म भर कर दिये जाने के उपरान्त कर निर्धारण अधिकारी द्वारा सुनवाई करके पूर्व में निर्धारित वार्षिक मूल्यांकन 80460/- रुपये के स्थान पर वार्षिक मूल्यांकन 55100/- रुपये निर्धारित किया गया था। लेकिन इसके बावजूद भी भवन स्वामी को ज्यादा से ज्यादा आर्थिक लाभ व अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये नगर निगम को नुकसान पहुंचाते हुये वर्ष 2018 में बिना न्यायालय के आदेश के वार्षिक मूल्यांकन 55100/- के स्थान पर 17181 निर्धारित करके नगर निगम को करीब 373729/- रूपये की हानि पहुंचाकर व गुमराह करने की नियत से रिकार्ड में हेराफेरी कर खत्म की गई। धनराशि को अन्य सम्पति कोड संख्या CC74916 में दर्ज करके मिथ्यक डबल डिमांड दर्शायी गयी। जबकि उक्त सम्मति का दयावती से कोई सम्बन्ध नहींब है। (साक्ष्य संलग्न)
22. जयती देवी, 117, कालका गढ़ी, सम्पति कोड संख्या- CC39999 पर एकतरफा करांकन निर्धारित था, लेकिन बिना सक्षम न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई करके नगर निगम को 153858/- रुपये की क्षति पहुंचाई गयी।
23. विनोद कुमार, 414, जटवाड़ा सम्पत्ति कोड CC41136 पर एकतरफा करांकन निर्धारित था और पिछले कई वर्षों की कर राशि बकाया थी लेकिन अपने निजी लाभ के लिए नगर निगम को 92684/- रू. की राजस्व की क्षति पहुंचायी गयी।
24- सन्तोष देवी, 413 जटवाड़ा सम्पत्ति कोड संख्या- CC41134 पर करांकन निर्धारित होने के कारण पिछले कई वर्षों की बकाया रकम थी। लेकिन बिना सक्षम न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई करके नगर निगम को 160658/- रू० के राजस्व की क्षति पहुंचाई गयी।
25. शिक्षा देवी, मकान नं.-112, बालूपुरा सम्पत्ति कोड CC39971 पर पूर्व में एकतरफा करांकन निर्धारित था लेकिन दोबारा सुनवाई करके नगर निगम को 127505/- रू. के राजस्व की क्षति पहुंचाई गयी।
26. राजपाल, तेजपाल, 385 जटवाड़ा सम्पत्ति कोड संख्या - CC7952 पर पिछले कई वर्षो से एकतरफा कर निर्धारित था। लेकिन बिना न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई करके नगर निगम को 161462/- रू० की क्षति पहुंचाई गई।
27. कुसुम सिंघल, 104 बालूपुरा, सम्पत्ति कोड संख्या- CC39904 पर पिछले कई साल से एकतरफा कर निर्धारित था। किन्तु बिना न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई करके नगर निगम को 140454/- रू के राजस्व की हानि पहुंचाई गयी।
28. सुरेश चन्द शर्मा, 386 पूर्वा ईस्माईल खाँ, सम्पत्ति कोड संख्या CC10871 पर पिछले कई साल से कर निर्धारित था लेकिन बिना सक्षम न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई कर 1910499/- रुपये के बकाया राशि की माफी कर नगर निगम को हानि पहुंचायी गयी।
29. पुष्पेन्द्र, डी-132 नन्दग्राम, सम्पत्ति कोड संख्या - CC49359 पर पिछले कई वर्षो से करांकन के अनुसार धनराशि बकाया थी, किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई कर नगर निगम को 43459/- रुपये की हानि पहुंचायी गयी।
30. मंगु लाल गोयल, 11ए-19, नेहरू नगर, सम्पत्ति कोड संख्या- CC61855 पर पिछले कई वर्षों से बकाया दर्ज थी। लेकिन बिना सक्षम न्यायालय के दोबारा सुनवाई कर नगर निगम को 109342/- रुपये की हानि पहुंचाई गई।
31. गोपाल सिंघल, 140 नवयुग मार्किट सम्पत्ति कोड संख्या- CC31502 पर करांकन के अनुसार बकाया थी। किन्तु बिना सक्षम न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई करके नगर निगम को 147320/- रुपये की हानि पहुंचायी गयी।
32. श्री राम पिस्टन, मेरठ रोड, सम्पत्ति कोड संख्या-CC58216 पर करांकन के अनुसार बकाया थी। लेकिन बिना सक्षम न्यायालय के आदेश के नगर निगम को 1656389/- रुपये की हानि पहुंचायी गयी।
33. कृष्ण मुरारी, 412 बालूपुरा, सम्पत्ति कोड संख्या CC41130 पर करांकन के अनुसार धनराशि बकाया थी किन्तु बिना न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई कर नगर निगम को 124836/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
34. विपिन, 95 बालुपुरा सम्पत्ति कोड संख्या- CC39816 पर करांकन के अनुसार धनराशि बकाया थी। किन्तु बिना न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई कर नगर निगम को 91336/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
35. गिरीराज, 108 नवयुग मार्किट, सम्पत्ति कोड संख्या- CC55480 पर करांकन के अनुसार धनराशि बकाया थी। किन्तु बिना न्यायालय के आदेश के बकाया खत्म कर नगर निगम को 252887/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
36. प्रमोद कुमार, 436 पुर्वा ईस्माईल खां, सम्पत्ति कोड संख्या- CC52584 पर करांकन अनुसार बकाया थी। लेकिन बिना न्यायालय के आदेश के नगर निगम को 150225/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
37. जैन एजेन्सी, 260 कैला ईस्लाम नगर, सम्पत्ति कोड संख्या- CC18744 पर करांकन अनुसार बकाया थी। लेकिन बिना न्यायालय के आदेश के सुनवाई करके नगर निगम को 88982/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
38. आनन्द स्वारूप आदि, 6 घूकना, सम्पत्ति कोड संख्या- CC54036 पर करांकन अनुसार बकाया थी। लेकिन बिना न्यायालय के आदेश के दोबारा सुनवाई कर नगर निगम को 635793/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
39. कवल जीत कौर, 111एम-23, दुकान नं.-8 सम्पत्ति कोड संख्या- CC64761 पर करांकन अनुसार बकाया थी, किन्तु बिना न्यायालय के आदेश के सुनवाई करके नगर निगम को 176725/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
40. रजत सिंघल, 11बी-1, नेहरू नगर, सम्पत्ति कोड सं.-CC61857 पर एकतरफा करांकन निर्धारित था, लेकिन बिना सक्षम न्यायालय के सुनवाई करके नगर निगम को 140240/- रुपये के राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
41. सरिता, 160, सम्पत्ति कोड सं-CC6500 पर कई सालों से सम्पत्तिकर की राशि बकाया थी, लेकिन बिना न्यायालय के आदेश के बकाया धनराशि 126732/- रुपये को खत्म करके नगर निगम को राजस्व की हानि पहुंचायी गयी।
42. नगर निगम गाजियाबाद के अलग-अलग जोनों में सम्पत्ति कर निर्धारण नियमावली 2014 के अन्तर्गत निर्धारित मापदण्ड अधीन किये जा रहे इण्टरमीडिएट तक के स्कूलों के सम्पत्तिकर करांकन में अलग-अलग नियम बनाये जा रहे हैं कि वसुन्धरा जोन, विजय नगर जोन, मोहन नगर जोन व कवि नगर जोन में तो नियमावली के वर्गीकरण के अनुसार आवासीय दर के आधार पर जबकि सिटी जोन में स्थित इण्टरमीडियएट तक के स्कूलों के करांकन के विषय में आवासीय दर का तीन गुणा करारोपण किया जा रहा है। एक ही नगर निगम में अलग-अलग जोनों में ऐसा विरोधाभास क्यों किया जा रहा है, यह समझ से परे है।
विशेष:- (1) ऐसा नहीं है कि गाजियाबाद नगर निगम की करांकन पत्रावलियों का ऑडिट, ऑडिट टीम द्वारा नहीं किया जा रहा है। गाजियाबाद नगर निगम में वर्ष 1998 से ऑडिट कर रहे ऑडिटर भूपेन्द्र शर्मा अपनी टीम के साथ प्रत्येक वर्ष प्रत्येक पत्रावली का ऑडिट करते हैं, किन्तु अपने निजी लाभ हित साधते हुये महज खानापूर्ति करते हैं। इससे भूपेन्द्र शर्मा की भी नगर निगम के राजस्व की हानि में संलिप्ता प्रतीत होती है। काफी समय से किसी भी करांकन पत्रावली जिसमें काफी कम वार्षिक मूल्यांकन किया गया तथा पिछले कई वर्षों की बकाया धनराशि खत्म की गयी हो पर ऑडिट आपत्ति न लगना इस बात का प्रमाण है कि सारा खेल मिलीभगत से बहुत बड़े पैमाने पर बकाया को खत्म करने का खेल मुख्य कर निर्धारण अधिकारी द्वारा जोनल अधिकारी के माध्यम से किया जा रहा है। इससे नगर निगम को अभी तक करोड़ों रूपयों की हानि पहुंचायी जा चुकी है।
(2.) नगर निगम में तैनात मुख्य कर निर्धारण अधिकारी संजीव सिन्हा द्वारा अपने पद के अनुरूप शासन द्वारा निर्धारित वेतनमान में गलत तथ्यों के आधार पर संशोधन कराके निर्धारित वेतनमान से अधिक वेतनमान लिया जा रहा है। जिसका बोझ भी नगर निगम को सहना पड़ रहा है। इसकी भी जाँच होनी जरूरी है।
(3.) नगर निगम में सम्पत्तिकर के निर्धारण में काफी समय से घोर अनियमितता बरती जा रही है। वर्ष 1991 के बाद से सम्पत्तियों का कर निर्धारण करते समय न तो हैण्डबुक (सर्वे बुक) ही तैयार किया जा रहा है और न ही करांकन को अन्तिम किये जाने के समय असिसमेन्ट रजिस्टर ही तैयार किया जा रहा है। यह सब इसलिये हो रहा है कि कुछ अधिकारियों के लालच के कारण कुछ लिपिक, अनुचर, चौकीदार, गैंगमैन आदि को कर निरीक्षक बनाकर करांकन कराया जा रहा है। नगर निगम में होने वाले करांकन की कार्यवाही 1991 से पहले अधिनियम के अनुसार की जाती रही है कि भवन स्वामी को प्रस्तावित करांकन की सूचना दिये जाने से पूर्व करांकन का विवरण हैण्डबुक में दर्ज करते हुये दी जाती थी। भवन स्वामी द्वारा प्रस्तावित करांकन सूचना प्राप्त करने के उपरान्त चाहे भवन स्वामी द्वारा आपत्ति की गयी है अथवा नहीं, सूचना की समयावधि समाप्त होने के पश्चात पत्रावली तैयार करने के साथ-साथ असिस्मैन्ट रजिस्टर में इस आशय से दर्ज किया जाता है कि प्रस्तावित करांकन से लेकर सक्षम अधिकारी के अन्तिम निर्णय तक की कार्यवाही रजिस्टर में दर्ज होने के साथ-साथ भवन की सम्पूर्ण जानकारी कि भवन पर किन-किन वर्षों में किस-किस आधार पर सम्पत्तिकरों में बढोत्तरी की गयी थी, यह सब दर्ज होने के कारण विधिक रूप से प्रमाणिक अभिलेख तैयार होता है, यदि करांकन पत्रावली कर्मचारी के द्वारा इधर-उधर भी की जाती तो असिस्मैन्ट रजिस्टर में भवन का विवरण दर्ज होने के कारण विधिक रूप से अभिलेख तैयार रहेगा व भवन स्वामी को यदि भविष्य में अपने भवन के करांकन से सम्बन्धित कोई भी प्रमाणिक साक्ष्य भी लेना होगा तो असिस्मैन्ट रजिस्टर तैयार होने पर अभिलेख उपलब्ध होगा।
(4.) नगर निगम गाजियाबाद में वर्ष 1991 तक हुये सम्पत्तिकर निर्धारण के ही असिस्मैन्ट रजिस्टर उपलब्ध है। उसके बाद किये जा रहे करांकन को असिस्मैन्ट रजिस्टर में दर्ज न किये जाने के कारण ही पूर्व में निर्धारित करांकन की पत्रावलियों को गायब करके नई पत्रावलियां बनाकर बकाया राशि व डिमांड को खत्म करके नगर निगम को राजस्व की हानि की जा रही है।
(5.) नगर निगम गाजियाबाद में वर्ष 2015-16 के पश्चात डिमांड रजिस्टर भी तैयार नहीं किये जा रहे हैं। सम्पत्तिकर में डिमांड रजिस्टर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। क्योंकि उसमें मकान के स्वामी के नाम परिवर्तन होने की कार्यवाही दर्ज रहती है। जिससे भवन स्वामी को प्रमाणित प्रति उपलब्ध हो जाती है। डिमांड रजिस्टर तैयार न होने के कारण भविष्य में भवन स्वामी को प्रमाणिक अभिलेख दिया जाना सम्भव ही नहीं है। ऐसा नहीं है कि मुख्य कर निर्धारण अधिकारी को इसके विषय में जानकारी नहीं है। श्री सिन्हा सम्पत्तिकर निर्धारण के काफी वरिष्ठ अधिकारी हैं व सम्पत्तिकर विभाग के मुखिया भी हैं। असिस्मैन्ट रजिस्टर व डिमांड रजिस्टर तैयार न कराया जाना इनकी साजिश स का ही हिस्सा है। क्योंकि इनके द्वारा निदेशक स्थानीय निकाय के पत्रांक-2/26/298- ज./80-रिट/09 व पत्रांक सं-2/7462/39 विविध/टैक्स क्ले./11 आदेश की अवहेलना कर कुछ लिपिक, अनुचर, चौकीदार, गैंगमैन को कर निरीक्षक बनाकर सम्पत्तिकर निर्धारण का कार्य कराया जा रहा है। कार्यवाहक कर्मचारी कर निरीक्षक के रूप में करांकन पत्रावलियों पर अवैध रूप से हस्ताक्षर भी कर रहे हैं। यह सब मुख्य कर निर्धारण अधिकारी व जोनल अधिकारियों के निर्देशन में किया जा रहा है। इनके द्वारा नगर निगम को कई करोड़ रूपये के राजस्व की हानि पहुंचायी जा चुकी है। जिन कर्मचारियों को कार्यवाहक के रूप में कर निरीक्षक बनाया गया है उनकी सूची निम्न प्रकार से है- नाम, मूलपद और कार्यवाहक पद क्रमशः दिए जा रहे हैं- प्रदीप राठी, चौकीदार, कार्यवाहक कर निरीक्षक;
रविन्द्र पाल, अनुचर, कार्यवाहक कर निरीक्षक;
विनोद वर्मा, अनुचर, कार्यवाहक कर निरीक्षक;
आनन्द शर्मा, लिपिक, कार्यवाहक कर निरीक्षक;
यशपाल त्यागी, अनुचर, कार्यवाहक कर निरीक्षक;
प्रमोद प्रजापति, अनुचर, कार्यवाहक कर निरीक्षक;
दिनेश शर्मा, गैंगमैन, कार्यवाहक उद्यान निरीक्षक;
राजकुमार शर्मा, गैंगमैन, कार्यवाहक कर निरीक्षक;
सुनील कुमार, अनुचर, कार्यवाहक कर निरीक्षक;
रीगन नागर, अनुचर, कार्यवाहक कर निरीक्षक; और
राहुल कुमार, अनुचर, कार्यवाहक कर निरीक्षक।
पत्र में दो टूक लिखा हुआ है कि श्रीमान जी उपरोक्त सूची आंशिक मात्र है। अगर जाँच करायी जाती है तो काफी अनुचर, चौकीदार, लिपिक, कार्यवाहक के रूप में महत्वपूर्ण पद पर कार्य करते हुये निगम को काफी नुकसान पहुंचा चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम गाजियाबाद में पूर्व से ही निर्धारित सम्पत्ति करांकन को कम किये जाने के सम्बन्ध में अनुराग यादव- सचिव, नगर विकास विभाग, उ.प्र. शासन के पत्रांक सं.-523/स. न. वि. (अ०)/2021 दिनांक 30 नवम्बर 2021 के द्वारा भी 2017 से अक्टूबर 2021 तक अनावासीय भवनों के सम्पत्तिकर में धारा 213 के अधीन किये गये संशोधन के परिणाम स्वरूप नगर निगम द्वारा लगाये गये पूर्व के सम्पत्तिकर में संशोधन करते
हुये समस्त संशोधित कर निर्धारण किये जाने विषयक के समस्त प्रकारणों को सूचीबद्ध किये जाने हेतु भी आदेशित किया जा चुका है। लेकिन सम्भवतः इन अधिकारियों द्वारा उपरोक्त सम्पत्तियों की सूची इस आशय से प्रस्तुत नहीं की गयी होगी, क्योंकि सूची में इनके द्वारा अवैध तरीके से दुबारा करांकन करके नगर निगम को करोड़ों रूपयों की हानि पहुंचायी गयी है। (सचिव के आदेश की प्रति संलग्न)
सम्पत्तिकर निर्धारण अधिकारी संजीव सिन्हा की हिम्मत तो देखिये इनके द्वारा नगर निगम में पूर्व में निर्धारित करांकन को कम करने के विषय में एक तुगलकी आदेश जारी किया गया कि पहले से विधिक रूप से निर्धारित करांकन को कम करके बिल जारी करें। (आदेश की छायाप्रति) उ.प्र. शासन, नगर निगमों को अपनी आय बढ़ाने व ज्यादा से ज्यादा वसूली बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश दे रहा है किन्तु निगम के जोनल अधिकारी व मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डिमांड को कम व बकाया राशि को खत्म करके नगर निगम को करोड़ों रूपये का चूना लगा रहे हैं। जब से मुख्य सम्पत्तिकर निर्धारण अधिकारी श्री सिन्हा की तैनाती नगर निगम गाजियाबाद में हुई है तभी से नगर निगम गाजियाबाद की वसूली अपने लक्ष्य से काफी पीछे जा रही है। आप चाहें तो पिछले तीन वर्षों की वसूली का लेखा-जोखा चैक करा सकते हैं।
महोदय आपसे करबद्ध प्रार्थना है कि उपरोक्त के सम्बन्ध में निष्पक्ष जाँच कराकर उचित कार्यवाही करने की कृपा करें जिससे नगर निगम के राजस्व की क्षति को रोका जा सके। शुभचिंतक, अंशुल शर्मा, 113 चन्द्र लोक कॉलोनी, मोदी नगर, हापुड़ रोड जिला-गाजियाबाद। यदि इस प्रकाशित पत्र पर किसी को आपत्ति है तो उनके खंडन का 8586800513 पर भी स्वागत है। जिसे अगले अंक में जगह दी जाएगी।
विभागीय सूत्रों ने बताया है कि गाजियाबाद नगर निगम का जो ऑडिटर है, वह पिछले लगभग 20 वर्षों से यहीं पर जमा हुआ है।
मंगलवार को उप निदेशक की टीम गाजियाबाद नगर निगम में आई थी एवं उनसे पत्रावलियां मांगी गई थीं। ये टीम एमएनए से भी मुलाकात करके गए हैं। टीम सूत्रों के मुताबिक, निगम कर्मियों ने विभाग में हुई फेरबदल का बहाना लेकर कुछ वक्त मांगा है।