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Ghaziabad Special: नगर निगम बना नरक निगम... चुनौती स्वीकार करें गौड़ साहेब
सैय्यद अली मेहंदी संपादक नवग्रह टाइम्स
गाजियाबाद नगर निगम कभी तो सफलता की सीढ़ियां चढ़ता हुआ देश में शहर का नाम रोशन करता है तो कभी असफलता की ऐसी दलदल में फंसा दिखाई देता है यहां से विकास किसी सुबह की उम्मीद भी नजर नहीं आती। ताजा मामला एक बार फिर बेहद पेचीदा है। नगर निगम के नए नगर आयुक्त डॉक्टर नितिन गौड़ ने एक नया फरमान जारी किया है उनका कहना है कि नगर निगम 300 करोड़ों रुपए की कर्ज़दारी में डूब चुका है। ठेकेदारों को पैसे नहीं दिए जा पा रहे हैं।
जिसके चलते अब नए काम नहीं किए जाएंगे। वार्ड में नए निर्माण कार्यों के लिए टेंडर नहीं निकाले जाएंगे जबकि पुराने कामों को ही पूरा किया जाएगा। साथ ही ठेकेदारों को पेमेंट भी सुनिश्चित किया जाना बेहद आवश्यकता है ठीक है। यह नगर निगम की पॉलिसी है जहां वे अपने कर्ज़ को निपटाने के लिए नया कर्जा लेने को तैयार नहीं है। नगर निगम की इनकम भी बहुत अधिक नहीं है क्योंकि जिन स्रोतों से इनकम होनी चाहिए उन पर कुछ सफेदपोश माफियाओं का कब्जा है। नगर निगम सफेदपोश माफियाओं के जेब में जा रही है। ऐसे में नगर निगम का कर्जदार होना तो लाजमी है।
दरअसल पांच प्रमुख कारण हैं जिनके चलते नगर निगम कर्जे में डूब गया, इसमें सबसे पहले कूड़ा फैक्ट्री के प्रोजेक्ट पर करीब 25 से 30 करोड़ 25 फिजूलखर्ची की गईं। अधिकारियों मेयर एवं अन्य पदाधिकारियों के कार्यालयों और मकानों के सौंदर्य करण पर मोटी रकम खर्च की गई। अमृत योजना में हिस्सेदारी ना देने पर शासन से ग्रांट में दी गई करीब ₹30 करोड़ की रकम में कटौती हुई।
15 वें वित्त एवम प्रदूषण नियंत्रण के लिए मिले फंड से ज्यादा रकम के काम शुरू कर दिए गए।अवस्थापना निधि के करीब 500 करोड़ रुपए का सरकार से भुगतान नगर निगम लेने में असफल रहा। कुल मिलाकर देखा जाए तो नया नगर आयुक्त के सामने नगर निगम को कर्जा मुक्त संस्था बनाने की बड़ी चुनौती है ऐसे में डॉक्टर साहब इस बीमारी का क्या इलाज करते हैं यह तो आने वाला वक्त बताएगा।
वंदे मातरम