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विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में हिंडन मंथन, हिंडन के पुनर्जीवन के लिए जनांदोलन समय की मांग -ज्ञानेन्द्र रावत
बीते दिनों गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन स्थित सिटी फारेस्ट में तीन दिवसीय हिंडन महोत्सव पर विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित संस्था 'एन्वाइरन्मेंट एंड सोशल डेवेलॉपमेंट एसोसिएशन' (ई. एस. डी. ए.) द्वारा वर्षा जल संचय (Catch the Rain) एवं हिंडन नदी के संरक्षण एवं उसकी निर्मल व अविरल धारा के विषय में हिंडन - मंथन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उत्थान समिति, नेहरू युवा केंद्र गाजियाबाद व दसम संस्था की सहभागिता विशेष रूप से उल्लेखनीय रही । कार्यक्रम में शासन - प्रशाशन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इंडस्ट्रियल अ एसोसिएशन, आर. डब्ल्यू. ए., समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा शहर के सैकड़ों गणमान्य व्यक्तियों, पर्यावरणविदों, समाजसेवियों, छात्रों, नेहरू युवा केंद्र के वॉलंटियर्स आदि की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही एवं सभी ने प्रकृति के असली वातावरण में जल संरक्षण एवं नदी पुनर्जीवन के लिए आयोजित परिचर्चा में बढ़ चढ़ कर अपनी सहभागिता की । कार्यक्रम का शुभारंभ "हिंडन बचाएंगे हम "नाटक से हुआ जिसे सभी उपस्थित जन समूह ने सराहा। इसमे मरती हुई हिंडन नदी की पीडा़ को व्यक्त किया गया।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. जितेंद्र नागर ने बताया कि हिंडन नदी पश्चिम उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण धरोहर है जो लाखों लोगों की जीविका एवं पानी का मुख्य स्रोत है। यह यमुना की सहायक नदी है और यमुना गंगा की मुख्य सहायक नदी है । इसलिए जब गंगा आजतक लाख प्रयासों और हजारों करोड़ की राशि स्वाहा करने के बाद साफ नहीं हो सकी तो हिंडन जैसी नदियो के प्रदूषणमुक्त होने का सवाल ही कहां उठता है। असलियत यह है कि हिंडन में सात जिलों का लगभग 750 एम. एल. डी. सीवेज एवं उद्योगों का अपशिष्ट रोजाना गिरता है जो यमुना के माध्यम से गंगा में पहुंचता है। 300 किमी लम्बी हिंडन नदी क्षेत्र में 350 प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां है तथा इसमें 31 नाले आकर मिलते हैं । अनेक अध्ययनों में पाया गया है कि नदी के पानी में जहरीले कण जैसे लैड, कैडमियम, जिंक, कोबाल्ट, क्रोमियम, आयरन, अल्युमिनियम आदि काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यह हमारे खाद्य पदार्थो में पहुंचकर कैंसर जैसी भयानक बीमारी को जन्म दे रहे हैं और हजारों लोग हर साल असमय मौत के मुंह में जाने को मजबूर हैं ।
डॉ .नागर ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य हिंडन नदी को पुनर्जीवित करने के लिए इसकी मुख्य समस्या को जानकर कार्य करने की योजना बनाना है । ई. एस. डी. ए. जल्दी ही युद्ध स्तर पर योजना बद्ध तरीके से हिंडन संरक्षण के लिए सातों जिलों में जन - सहभागिता से कार्य करेगी जिसका मुख्य केंद्र गाजियाबाद होगा जहां आकर यह सबसे अधिक प्रदूषित होती है और मृतप्राय सी लगती है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि गाजियाबाद की महापौर श्रीमती आशा शर्मा ने कहा कि हम हिंडन नदी को साफ एवं स्वच्छ बनाने के लिए बचनबबद्ध हैं और हम चाहते हैं कि गाजियाबाद देश का सबसे स्वच्छ शहर बने।
मुख्य वक्ता एवं केंद्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड दिल्ली के एडिशनल डाइरेक्टर श्री वी. पी. यादव ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हिंडन की अविरलता एवं निर्मलता के लिए हिंडन एक्शन प्लान तैयार किया है। प्रदूषण फैलाने वाली सभी इंडस्ट्रीज को चिन्हित किया गया है और सभी नालों की पहचान कर ली गयी है जिस पर सरकार जल्दी ही उचित कार्यवाही करेगी । माननीय ग्रीन ट्रिब्यूनल भी हिंडन को लेकर काफी गम्भीर है।
जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के प्रोफेसर सिराजुद्दीन अहमद ने बताया कि हिंडन में ट्रेस मैटल जो बहुत जहरीले होते है उनका स्तर काफी ऊंचा है जो हमारे भूजल को भी जहरीला बना रहा है जिससे अनेक बीमारियां फैल रही हैं। नदी में ऑक्सिजन का लेवेल जीरो के बराबर रह गया है जिससे इसमें जल जीव एक प्रकार से विलुप्त ही हो गए हैं ।
इस अवसर पर साहिबाबाद क्षेत्र के विधायक श्री सुनील शर्मा ने कहा कि हमने हिंडन को मार दिया है और इसके लिए शहर में प्रदूषण एमर्जेन्सी लगनी चाहिये। उन्होंने लोगों से अपील की यदि शासन- प्रशाशन के साथ जनता भी सहयोग करेगी तो हम हिंडन नदी को बचाने में अवश्य सफल होंगे ।
सामाजिक वानिकी सम्भाग की निदेशक श्रीमती दीक्षा भंडारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि नदियों के अस्तित्व को बचाए रखने एवं उनकी अविरल धारा के लिए पेड़ और जंगलों का बहुत महत्व है । इसलिए हमें नदी किनारे अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिये जिसमें हमारा विभाग पूर्ण सहयोग के लिए तत्पर है।
प्रसिद्ध पर्यावरणविद एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री ज्ञानेंद्र रावत ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अब हिंडन पुर्नजीवन के लिए एक जन आंदोलन की बेहद जरूरत है जिसमें जनभागीदारी की विशेष आवश्यकता है। इसका अहम कारण अभी तक किये गये वह चाहे निगम द्वारा किये गये हों, शासन-प्रशासन द्वारा किये गये हों, वह सारे के सारे प्रयास नाकाम हुए हैं । नतीजतन हिंडन गंदे नाले से भी ज्यादा प्रदूषित है। ऐसा लगता है कि यह उसकी नियति बन चुकी है।
उत्थान समिति के चेयरमैन एवं पर्यावरणविद श्री सतेन्द्र सिह ने बतया कि तीन दिवसीय हिंडन महोत्सव केआयोजन का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को हिंडन के प्रति जागरूक करना है। नेहरू युवा केंद्र गाजियाबाद के जिला युवक अधिकारी श्री देवेंद्र कुमार ने बताया कि हमारे संगठन का लक्ष्य भारत सरकार के नेशनल वाटर मिशन के अन्तर्गत वर्षा जल संचय- कैच दी रैन के लिए जागरूक करना है । इस कार्य को हम बखूबी कर रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधायक श्री कृष्णवीर सिंह सिरोही ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजनों से लोगों में काम करने की ऊर्जा एवं उत्साह बढ़ता एवं जागरूकता आती है। उन्होंने कहा है कि वर्षा जल संचयन समय की सबसे बडी़ जरूरत है। इसपर हम सब मिलकर कार्य करेंगे।
कार्यक्रम में सर्वश्री राकेश अग्रवाल, संजय कश्यप, डॉ .अल्पना सुहासिनी, ममता गुप्ता, डॉ. सरोज सिरोही, सरिता वर्मा, डॉ .संध्या मिश्रा, डॉ .गीतांजली सगीना, डॉ. कविता खटाना, रवींद्र चौधरी (भगतराम), डॉ .रिंकल शर्मा, शशी पंडित, कल्पना नागर, रवीद अहमद, डॉ. सुनीता तनेजा, कर्निका, जगत सिंह, भूपेंद्र नागर, सत्यार्थ शांडिल्य, डॉ. नदीम, अलका, डॉ. नीलम शर्मा, वी. के. अग्रवाल, रवींद्र नागर, डॉ.सी. एम. मीणा आदि लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए । इस अवसर पर हरनंदी नामक पत्रिका के संपादक श्री प्रशांत वत्स, पर्यावरणविद श्री प्रशांत सिन्हा, प्रयास एक आशा की संस्थापिका श्रीमती जयश्री सिन्हा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी श्री सुशील कुमार सिन्हा के अलावा बीसियों जल संरक्षण एवं पर्यावरण कार्यकर्ताओं, नगर के प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों, समाज सेवियों व पचास से अधिक छात्र-छात्राओं की उपस्थिति उल्लेखनीय थी। कार्यक्रम के अंत में ईएसडीए के प्रमुख डा. जितेन्द्र नागर ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया और सभी को आश्वस्त किया कि हिंडन के पुनरूद्धार की दिशा में हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तभी कुछ बदलाव संभव है।