गाजियाबाद

गाजियाबाद में बनेगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम, जानिए कब तक होगा तैयार

Shiv Kumar Mishra
28 Oct 2022 9:17 AM GMT
गाजियाबाद में बनेगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम, जानिए कब तक होगा तैयार
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गाजियाबाद जिले के लोगों के लिए अच्छा समाचार मिल रहा है। जहां सालों से हम सबका एक सपना था कि यहां एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम बनाया जाए। तमाम अड़चनों एवं अवरोधों के निवारण के उपरांत अब यह सपना साकार होने वाला है। जनवरी 2023 में इसका निर्माण शुरू होगा, और दो साल में पूर्ण होगा। यह जानकारी गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र के सांसद और केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने दी है।

दो साल के भीतर होगा स्टेडियम का निर्माण

इसके बाद सांसद और केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया है- गाजियाबाद के लोगों के लिए अच्छा समाचार। सालों से हम सबका एक सपना था कि यहां एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम हो। तमाम अड़चनों एवं अवरोधों के निवारण के उपरांत अब यह सपना साकार होने वाला है। जनवरी 2023 में इसका निर्माण शुरू होगा, और दो साल में पूर्ण होगा।

दूर हुआ विवाद

उम्मीद है कि स्टेडयिम की जमीन से हाईटेंशन लाइन के तार हटाने को लेकर बिजली विभाग व एफएआर को लेकर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से पिछले तीन साल से चल रहा उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का विवाद अब अगले दो महीने में दूर हो जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम प्रोजेक्ट एक नजर में

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) अपने पहले अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के निर्माण की योजना पर वर्ष 2015 से काम कर रहा है।

यूपीसीए ने पूर्व में जीडीए को जमा कराए गए नक्शे में कुल 32.5 एकड़ जमीन में 22 एकड़ जमीन पर स्टेडियम का निर्माण करना बताया था।

भूमि पर पांच सितारा होटल, हास्टल समेत अन्य गतिविधियों के संचालन का नक्शा शामिल था।

करीब 12 एकड़ जमीन का भू-उपयोग कृषि व अन्य का है। इसे परिवर्तित करने का मामला शासन के पास विचाराधीन है। वहीं बढ़े फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) का मामला अब तक नहीं निपट सका है।

वीके सिंह के हस्तक्षेप के बाद दूर हुई अड़चन

बता दें कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के नियमानुसार निर्माण के लिए 0.5 एफएआर की अनुमति है, जबकि यूपीसीए स्टेडियम के लिए 1.50 एफएआर मांग कर रहा है। स्टेडियम की खाली पड़ी भूमि पर विद्युत निगम ने हाइटेंशन लाइन खींचकर 400 केवीए क्षमता का टावर लगा दिया है। इसे हटाने का खर्च 14 करोड़ रुपये बताया गया है। जनरल वीके सिंह के हस्तक्षेप के बाद अब यूपीसीए इसे खुद ही हटाने पर सहमत हो गया है।

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