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लेक्चरर से आईपीएस बने हैं अमित पाठक, जानिये गाजियाबाद के नए डीआईजी/एसएसपी के बारे में
उत्तर प्रदेश की सरकार ने आईपीएस अमित पाठक को गाजियाबाद जिले के डीआईजी/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के तौर पर तैनात किया है। अमित पाठक का नाम उत्तर भारत के तेजतर्रार आईपीएस अफसरों में शुमार किया जाता है।
उन्नाव में 22 जनवरी 1979 को जन्मे अमित पाठक केमेस्ट्री से एमएससी हैं। यूजीसी नेट क्वालीफाई कर वह कानपुर विश्वविद्यालय में ऑर्गेनिक केमेस्ट्री के लेक्चरर नियुक्त हुए थे। वर्ष 2007 में आईपीएस चयनित होने के बाद बेहतर पुलिसिंग की बदौलत अमित पाठक हमेशा सुर्खियों में रहे। अमित पाठक अब पुलिस उप महानिरीक्षक/ एसएसपी गाजियाबाद के पद पर तैनात किये गये है।
आगरा जनपद में एसएसपी के रूप में तैनाती उसके बाद मुरादाबाद जिले में लगने वाले जाम को लोग आज तक नहीं भूलते है। जहां हर आम आदमी अपनी शिकायत आसानी से कर सकता है तो वहीं किसी भी तरह के दबाब में काम न करना उनकी हमेशा आदत में शुमार रहता है।
मुरादाबाद में नियुक्ति के दौरान टॉप टेन रैंकिंग में मुरादाबाद को सबसे ज्यादा एनकाउंटर करने के लिए पहले पायदान पर जगह मिली थी। बात करें मुरादाबाद जिले की तो बेस्ट यूपी में अपराधियों की संख्या सबसे ज्यादा थी। यहां तैनाती के दौरान अमित पाठक ने अपराध व अपराधियों को जड़ से खत्म करने का प्रण लिया। जिसकी वजह से जिले में अपराध निम्न स्तर पर रहा जिस की मोहर उस समय सरकार ने भी लगाई थी। मुरादाबाद जिले की कमान जब अमित पाठक ने संभाली और अपनी कार्यशैली शैली से कार्य करना शुरू किया। आम जनता को भी लगा अब जनपद में न्याय प्रिय अधिकारी आये है तो जिले में कुछ अहम बदलाव जरूर करेंगे। जिसकी मोहर सरकार के आंकड़ों ने लगा दी थी। जिले में तैनाती के दौरान 6 महीने में आंकड़ों के मुताबिक कोई डकैती नहीं पड़ी तो लूट की भी सिर्फ चार वारदात हुई। इनमें गंभीर अपराधों का खुलासा शत प्रतिशत रहा। जिले में सबसे बड़ी समस्या मुरादाबाद शहर का जाम था। जिस पर खुद कप्तान अमित पाठक ने सड़क पर उतारकर इस समस्या का निदान किया जिसके सार्थक परिणाम भी आए। मुस्कुराकर हर समस्या का सामना करना उनकी पहचान है। बात चाहे एसएसपी एसटीएफ की हो चाहे आगरा, मुरादाबाद वाराणसी जैसे बड़े महानगर में तैनाती के दौरान जहां रहे अपना एक अलग मुकाम हासिल करना इनकी फितरत में शामिल है।
मुरादाबाद के बाद जिस तरह से वाराणसी में अपराधियों के खिलाफ अभियान में एक लाख के इनामी बदमाश को मुठभेड़ में मार गिराना हो या फिर शिव की काशी में यातयात व्यवस्था को सुगम करना प्राथमिकता थी।
एसटीएफ में तीन साल के कार्यकाल के दौरान अमित पाठक ने कई सनसनीखेज घटनाओं का खुलासा किया था। इनमें सोशल मीडिया में 3700 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश कर उन्होंने आरोपियों को गिरफ्तार किया था और उनसे 650 करोड़ रुपये की बरामदगी की थी। इसे इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी माना गया है। इसके अलावा पेट्रोल पंपों पर घटतौली और चिप के मामले का भी उन्होंने खुलासा किया था।
बिहार के चर्चित डॉक्टर दंपती अपहरण कांड का पर्दाफाश भी अमित पाठक की उपलब्धि में शामिल है। एसटीएफ ने अमित के नेतृत्व में डॉक्टर दंपती को सकुशल बरामद किया था। इसके अलावा बिजनौर में एनआइए अधिकारी तंजील अहमद और उनकी पत्नी की हत्या का पर्दाफाश भी शामिल है। हत्यारोपी मुनीर को गिरफ्तार कर अमित पाठक ने भेल भेजा था। इसके साथ ही अमित पाठक जिस भी जिले में तैनात रहते हैं वहां की यातायात व्यवस्था को सुधारने और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मियों को पकड़ने के लिए अक्सर साइकिल और बाइक से ही अकेले निकल पड़ते हैं।