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गाजियाबाद। इंदिरा पुरम। दिशा रवि मामले में सुनवाई करते हुए जज श्री धर्मेन्द्र राणा का फैसला जहां देश की न्याय व्यवस्था के लिए मिसाल है, वहीं अपने अहं की तुष्टि के लिए देश की सत्ता पर काबिज सरकार के लिए यह स्पष्ट संकेत भी है कि लोकतंत्र में हरेक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। उसे अपनी जिद के लिए छीना नहीं जा सकता।
न्यायमूर्ति श्री धर्मेन्द्र राणा ने अपने फैसले में कहा है कि-' एक लोकतांत्रिक देश में नागरिक सरकार की अंतर आत्मा के संरक्षक होते हैं। सरकारी नीति से असहमति होने की वजह से उन्हें जेल नहीं हो सकती। देशद्रोह के कानून का इस्तेमाल सरकार के जख्मी अहंकार के लिए मरहम के लिए नहीं किया जा सकता।' यह साबित करता है कि दिशा रवि की गिरफ्तारी और फिर उसे जेल भेजा जाना नितांत गलत और सरकार की अपनी जिद की पूर्ति की दिशा में लोकतांत्रिक मूल्यों की सरेआम अवहेलना का जीता जागता सबूत है।
लेकिन दुख इस बात का है कि बहुमत के नशे में मदमस्त यह सरकार सारे नियम कानूनों, मूल्यों को दरकिनार कर मनमानी कर रही है। दुख इस बात का है कि विपक्ष जिस पर सरकार के जनविरोधी कार्यों के सशक्त विरोध की जिम्मेदारी होती है, वह निजी स्वार्थों के चलते मौन है और जनता दिनोंदिन बदहाल और कंगाली की ओर बढ़ रही है।