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गाजियाबाद में यमुना की बाढ़ से 250 फैक्टरियों में 40 करोड़ का नुकसान
यमुना में 45 साल बाद आई बाढ़ ट्राॅनिका सिटी के उद्योगों को ऐसे गहरे जख्म दे गई जिन्हें भरने में लंबा वक्त लगेगा। पानी उतरने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) और जिला उद्योग केंद्र की ओर से 250 फैक्टरियों में कराए गए सर्वे में 40 करोड़ रुपये का नुकसान मिला है। कुल फैक्टरियों की संख्या दो हजार है। जाहिर है, सर्वे पूरा होने पर तबाही का ग्राफ बहुत ऊपर पहुंच जाएगा। मशीनें खराब हो जाने से कई फैक्टरियों में तो 15 दिन बाद भी उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है।
जिला उद्योग केंद्र के डिप्टी कमिश्नर (इंडस्ट्री) श्रीनाथ पासवान ने बताया कि कच्चे माल, तैयार उत्पाद, मशीनरी और इमारत को पहुंचे नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे पूरा होने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। सिर्फ उन फैक्टरियों का सर्वे किया जा रहा है जिनमें ज्यादा नुकसान हुआ है। इसके लिए पहले सूची तैयार की गई है। पांच से दस फीसदी नुकसान वाली फैक्टरियों में नुकसान का आकलन नहीं किया जा रहा है।
उद्यमी अरुण जैन ने बताया कि जिन फैक्टरियों में बाढ़ के पानी से मशीनें खराब हो गईं, उनमें उत्पादन शुरू होने में वक्त लगेगा। बाढ़ का पानी आने पर सभी दो हजार फैक्टरियां बंद हो गई थीं। पानी उतरने और बिजली की आपूर्ति सुचारू होने पर ज्यादातर में काम शुरू हो चुका है।
बिजली आपूर्ति बंद होने से आधा रह गया उत्पादन
पहले यमुना और फिर हिंडन में आई बाढ़ से उद्योगों को जोर का झटका लगा है। बिजली के उपकेंद्रों में पानी भर जाने से आपूर्ति बहुत कम रह गई है। इससे उद्योगों में उत्पादन 50 फीसदी तक घट गया है। ट्राॅनिका सिटी, साहिबाबाद और महाराजपुर की 1700 इकाइयां संकट झेल रही हैं। उद्यमियों की सबसे बड़ी परेशानी है कि उत्पादन की रफ्तार बहुत कम रह गई है। इस वजह से माल निर्यात नहीं कर पा रहे हैं। शुक्रवार को उद्यमी उद्योग बंधु की बैठक में डीएम राकेश कुमार सिंह और जिला उपायुक्त के सामने फिर से मुद्दा रखेंगे। इसके लिए सभी उद्यमियों ने एजेंडा भी तैयार किया है।औद्योगिक एसोसिएशन के सचिव मुकेश गुप्ता का कहना है कि पिछले बिजली की आपूर्ति बहुत ही कम समय के लिए हो रही है। ऐसे मशीनें और हीटर बंद हो जाते हैं और उनमें पड़ा कच्चा माल बेकार हो जाता है। उद्यमी विमल मुंद्रा कहते हैं कि लगातार ट्रिपिंग होने से 150-200 इकाइयों ने अपने कार्य का समय बदल दिया है।
आज शुरू हो सकते हैं कान्हा और करहेड़ा उपकेंद्र
प्रशासन और ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने शुक्रवार को कान्हा और करहेड़ा उपकेंद्र चालू करने का दावा किया है। शुरुआत में भार डालकर कुछ ही फीडरों को चालू कराया जाएगा। वहीं, दोनों उपकेंद्र से बृहस्पतिवार को पानी निकालने का तेजी से काम कराया गया। ऊर्जा निगम के पारेषण के अधीक्षण अभियंता राधेश्याम ने बताया कि कान्हा उपकेंद्र के पैनल व रिले में पानी चला गया था। पानी निकालकर उपकरणों को सुखाने के बाद लाइन व ट्रांसफार्मर को चार्ज किया जाएगा। टेस्टिंग के बाद ही उपकरणों को चलाया जाएगा। शुक्रवार दोपहर तक आगे बिजली देने का काम चालू हो जाएगा।
1.45 मीटर और घटा हिंडन का जलस्तर
हिंडन नदी बृहस्पतिवार को 1.45 मीटर नीचे उतर गई। करहेड़ा और सिटी फाेरेस्ट इलाके में भी तीसरे दिन डेढ़ से दो फुट पानी घटा। आबादी में लोगों को बाढ़ से धीरे-धीरे राहत मिल रही है।
आपदा नियंत्रण अधिकारी एडीएम विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि हिंडन नदी का जलस्तर बृहस्पतिवार को डाउन स्ट्रीम 199.70 मीटर रहा जबकि बुधवार को जलस्तर 201.15 दर्ज किया गया था।
कृषि व तहसील टीम करेगी सर्वे
एडीएम ने बताया कि अगले दो-तीन दिन निचले इलाके में जलभराव की समस्या रहेगी। इसको पंप लगाकर निकालवाया जाएगा। वहीं स्वास्थ्य व नगर निगम की टीम लगाकर क्षेत्र में एंटी लार्वा व दवाइयों का छिड़काव कराया जाएगा। बाढ़ से नुकसान का आकलन करने के लिए कृषि व तहसील की टीमों को लगाया जाएगा। सदर, लोनी व मोदीनगर तहसील टीमें चरी व धान की फसलों को हुए नुकसान का आंकड़ा जुटाएगी।