गाजियाबाद

पिटबुल, रॉट विलर और डोगो अर्जेंटीनो को पालने पर पाबंदी....कुत्ता पाल रखा है तो नए नियम जान लें

Arun Mishra
16 Oct 2022 7:22 AM GMT
पिटबुल, रॉट विलर और डोगो अर्जेंटीनो को पालने पर पाबंदी....कुत्ता पाल रखा है तो नए नियम जान लें
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यदि कुत्ते की उम्र छह माह से कम है तो निगम में यह शपथपत्र देना होगा कि छह माह की उम्र पूरी होने पर उसकी नसबंदी करा ली जाएगी।

गाजियाबाद : शहर के लोग अब पिटबुल, रॉट विलर और डोगो अर्जेंटीनो नस्ल के कुत्ते नहीं पाल सकेंगे। नगर निगम ने इन तीनों खतरनाक नस्ल के कु त्तों के पंजीकरण और प्रजनन पर रोक लगा दी है। इनके हमलों की लगातार बढ़ती घटनाओं को देखते हुए शनिवार को बोर्ड बैठक में इन पर पाबंदी का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर दिया गया है। जिन लोगों के पास इन नस्ल के कुत्ते पहले से हैं, उन्हें पंजीकरण कराने के लिए दो महीने की मोहलत दी गई है। इसी अवधि में उनकी नसबंदी कराना भी अनिवार्य होगा। इसके अलावा सुबह 11 बजे से सात घंटे चली बैठक में 16 और प्रस्ताव पास किए गए।

यह प्रस्ताव वार्ड 100 के भाजपा पार्षद संजय सिंह ने पेश किया। नौ सितंबर की बोर्ड बैठक में संजय सिंह ने जब यही प्रस्ताव रखा था, तब उसे फाड़ दिया गया था। इसका आरोप मेयर आशा शर्मा पर लगा था। इस बार मेयर ने भी समर्थन किया। प्रस्ताव रखे जाते ही सदस्यों ने मेज थपथपाकर इसे स्वीकृति दी। उप पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. अनुज ने बताया कि नियम में यह भी व्यवस्था की गई है कि जिनके पास ऐसी नस्ल के कुत्ते पहले से हैं, उन्हें इस शर्त पर पंजीकरण प्रदान किया जाएगा कि अगले दो महीने के अंदर कुत्ते की नसबंदी अनिवार्य रूप से करा लें।

इसके उपरांत पंजीकरण नहीं किया जाएगा। यदि कुत्ते की उम्र छह माह से कम है तो निगम में यह शपथपत्र देना होगा कि छह माह की उम्र पूरी होने पर उसकी नसबंदी करा ली जाएगी। इसकी सूचना निगम में देनी होगी। बैठक में कुत्तों के पालने के लिए बनाए गए नियम लागू करने पर भी सहमति दे दी गई।

कुत्ता पाल रखा है तो नए नियम जान लें-

1. कुत्ता किसी भी नस्ल का हो, पंजीकरण कराना अनिवार्य वरना पांच हजार का जुर्माना।

2. एक फ्लैट में दो से अधिक कुत्तों को नहीं रख सकेंगे, निगम पंजीकरण ही नहीं करेगा।

3. सार्वजनिक स्थान पर कुत्ता गंदगी करता है तो सफाई की जिम्मेदारी मालिक की होगी।

4. सार्वजनिक स्थान पर ले जाने के लिए कुत्ते के मुंह पर मजल लगाना अनिवार्य होगा।

5. सिर्फ सर्विस लिफ्ट से ही कुत्तों को ले जाया जा सकेगा, अन्य में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

6. सोसायटी में तय स्थानों पर ही कुत्तों के लिए खाना डाला जा सकेगा, दरवाजे पर नहीं।

( नियमों का पालन न करने की आरडब्ल्यूए या एओए से शिकायत मिलने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा )

10 से ज्यादा घटनाएं रहीं चर्चा में

खतरनाक नस्ल के कुत्तों के हमलों की घटनाएं यों तो आए दिन हो रही हैं, लेकिन पिछले दो महीने में दस से ज्यादा चर्चा में रही हैं। इनमें संजय नगर में छात्र कुश त्यागी पर पिटबुल का हमला सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा। कुश को 150 टांके आए थे। तीन दिन पहले रामप्रस्था ग्रीन सोसायटी में 11 साल की बच्ची पर पिटबुल ने हमला किया था। इनके अलावा कीर्तन वाली गली, राजनगर एक्सटेंशन में बच्चों पर कुत्तों के हमले की घटनाएं हुईं।

कुत्तों की आक्रामक नस्ल

इन पर रोक लगी ....

पिटबुल : सबसे आक्रामक नस्ल है, लखनऊ में महिला की जान ले ली थी, 41 देशों में इसके पालने पर रोक है।

रॉट विलर : कई देशों में इस नस्ल को पालने पर भी प्रतिबंध लग चुका है, गाजियाबाद में इसके हमले की घटनाएं हुई हैं।

डोगो अर्जेंटीनो : शिकार में इस्तेमाल किया जाने वाला कुत्ता है। हालांकि, गाजियाबाद में इसके हमले की घटना नहीं हुई।

इन्हें पाल सकेंगे

जर्मन शेफर्ड : इस नस्ल का इस्तेमाल ज्यादातर पुलिस और बचाव दल में होता है।

डाबर मैन : इस आक्रामक प्रजाति का इस्तेमाल भी मुख्यत: पुलिस करती है, कई लोगों ने इसे पाल रखा है।

चाउ-चाउ : चीन में पाई जाने वाली इस नस्ल को भारत में भी पाला जाता है। दिखने में शांत लेकिन बेहद खतरनाक होते हैं।

साइबेरियन हस्की : यह दिखने में सुंदर और भेड़िये की तरह के होते हैं, बेहद आक्रामक हैं।

बुलमैस्टीफ : यह दिखने में कुछ पिटबुल की तरह होते हैं, आक्रामकता में उससे कम होते हैं।

मालाम्यूट : यह नस्ल उत्तरी अमेरिका में मिलती है और भेड़ियों की तरह दिखती है। समझदार के साथ आक्रामक भी होते हैं।

बॉक्सर : इन्हें शिकारी कुत्ता भी कहा जाता है। सुरक्षा के लिए अच्छे लेेकिन कई बार हमला कर देते हैं।

ग्रेटडेन : बेहद आक्रामक इस नस्ल को ट्रेनिंग के बाद ही पाला जाता है। बेकाबू होने के बाद संभालना मुश्किल।

(जैसा पशु चिकित्सकों ने बताया)

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