- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- गाजियाबाद
- /
- तीनों कृषि कानूनों की...
तीनों कृषि कानूनों की वापसी झूठ पर सत्य की विजय का प्रतीक
ग़ाज़ियाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान झूठ पर सत्य की विजय का प्रतीक है। यह काले कानूनों में विरोध में किसानों की ऐतिहासिक एकजुटता की जीत है और उन लोगों के मुंह पर एक करारा तमाचा है, जो तीनों कृषि कानूनों की पुरजोर हिमायत कर रहे थे। यह उन लोगों के गाल पर करारा तमाचा है जो आंदोलनकारी किसानों को आतंकवादी जैसे शब्दों से नवाज रहे थे। आज गुरुपर्व और देव दिवाली के दिन तीनों किसी कानूनों की वापसी आंदोलन में शहीद हुए उन किसानों की पुन्य आत्माओं के लिए गंगा में दीप दान करने के समान हैं जिन्होंने इन काले कृषि कानूनों के खातिर अपनी प्राणों की आहुति सड़कों पर दे दी। कृषि प्रधान देश भारत के किसानों की यह ऐतिहासिक जीत सदैव के लिए इतिहास की पन्नों में दर्ज गई है।
देर से ही सही आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसान की पीड़ा को समझा और उन्होंने किसानों के विरुद्ध बनाए गए काले कानूनों को वापस लेने का काम किया। मैंने तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसानों के पक्ष में खुलकर समर्थन इसीलिए किया था क्योंकि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में कतई नहीं है। इसी वजह से तमाम यातनाएं, परेशानियां, आरोप-प्रत्यारोप और उत्पीड़न झेलते हुए किसान पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे थे। आखिरकार किसानों का आंदोलन रंग लाया है।
तीनों कृषि कानूनों की वापसी किसानों की एकता की ऐतिहासिक जीत है, यह गलत पर सही की विजय है। इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने गांधीवादी तरीके से लोकतंत्र की नई इबारत लिखी है आखिरकार जिसके आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है।